बीजेपी नेता ने SC में दायर की याचिका, कहा- बोफोर्स मामले की जल्द सुनवाई हो

जेपी नेता एवं अधिवक्ता अजय अग्रवाल की ओर से दायर याचिका में सीबीआई की आरोपियों के साथ कथित तौर पर मिलीभगत का आरोप लगाया.

बीजेपी नेता ने SC में दायर की याचिका, कहा- बोफोर्स मामले की जल्द सुनवाई हो

बोफोर्स तोप खरीद मामले में कथित घोटाला मामले में कई बार गांधी परिवार का नाम जोड़ा जाता रहा है.

खास बातें

  • वर्ष 1986 के 1,437 करोड़ रुपये के होवित्जर तोप सौदा का मामला
  • दिल्ली हाईकोर्ट ने हिंदुजा बंधुओं पर लगे आरोपों को खारिज किया
  • सीबीआई और आरोपियों के कथित मिलीभगत के आरोप
नई दिल्ली:

राजनीतिक रूप से संवेदनशील 64 करोड़ रुपए के बोफोर्स दलाली मामले की जल्द सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन दायर किया गया है. यह आवेदन उस वक्त दायर किया गया है जब एक मीडिया रिपोर्ट में वर्ष 1986 के 1,437 करोड़ रुपये के होवित्जर तोप सौदे के लिए वित्तीय लाभ पहुंचाने और हासिल करने की बात कही गई है. बीजेपी नेता एवं अधिवक्ता अजय अग्रवाल की ओर से दायर याचिका में सीबीआई की आरोपियों के साथ कथित तौर पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए कहा गया है कि जांच एजेंसी ने 31 मई, 2005 के दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती नहीं दी जिसमें यूरोप में रह रहे हिंदुजा बंधुओं के खिलाफ लगे सभी आरोपों को खारिज किया गया था. 

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क्वात्रोच्ची के बैंक खाते पर 2006 में रोक लगा दी गई: अग्रवाल ने हाईकोर्ट के इस फैसले को चुनौती दी है. सर्वोच्च अदालत ने 18 अक्तूबर, 2005 को उनकी उस याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार किया था जिसे सीबीआई द्वारा हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील नहीं किए जाने के बाद दायर किया गया था. अपने आवेदन में अग्रवाल ने कहा कि उन्होंने जनहित में अपील दायर की है क्योंकि सीबीआई आगे नहीं आई और यह कहा गया कि कानून मंत्रालय से एजेंसी को अनुमति नहीं दी गई, जबकि हाईकोर्ट का आदेश गैरकानूनी था. 

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सीबीआई और आरोपियों के बीच कथित मिलीभगत के आरोप को ठोस बनाने के प्रयास के तहत अग्रवाल ने अपने आवेदन में उस पूरे घटनाक्रम का सिलसिलेवार ब्यौरा दिया जिसके चलते इतालवी कारोबारी ओत्तावियो क्वात्रोच्ची के लंदन स्थित बैंक खाते पर 2006 में रोक लगा दी गई थी और इसके लिए तत्कालीन सॉलीसीटर जनरल बी दत्ता इंग्लैंड गए थे. 

वीडियो: फिर खुल सकता है बोफोर्स घोटाला


सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं अग्रवाल: क्वात्रोच्ची इस मामले में कथित बिचौलिया था. अग्रवाल ने कहा कि इस तरह का कदम तब उठाया गया जबकि तत्कालीन संप्रग सरकार और सीबीआई जानते थे कि सुप्रीम कोर्ट ने उनकी अपील स्वीकार कर ली है. बीते लोकसभा चुनाव में रायबरेली से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले अग्रवाल ने यह भी दावा किया कि सीबीआई ने खातों पर रोक लगाने के कदम के बारे में मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट को सूचित करने की जहमत नहीं उठाई. 

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अग्रवाल ने कहा कि उन्होंने पूरे बोफोर्स घोटाले और क्वात्रोच्ची के लंदन स्थित बैंक खाते में जमा की गई कथित रिश्वत की रकम के ब्यौरे तथा 16 जनवरी, 2006 को खाते पर रोक लगाए जाने के बाद घटनाक्रमों की फिर से जांच की मांग करते हुए बीते तीन अगस्त को सीबीआई को पत्र लिखा था. वकील की ओर से दायर याचिका का इस संदर्भ में भी खासा महत्व है कि बीजेपी सांसदों ने मीडिया में आई खबरों के मद्देनजर संसद में बोफोर्स मामले की जांच को फिर से खोलने की मांग की. 

खबरों में कहा गया है कि स्वीडिश जांच अधिकारी स्टीन लिंडस्ट्रॉम के मुताबिक कथित रिश्वत की रकम शीर्ष स्तर के लोगों तक गई. संसद में यह मामला उठने के बाद अग्रवाल ने रिश्वत की रकम की लेनदेन की पूरी श्रृंखला की फेमा-1999 तथा धन शोधन की रोकथाम कानून 2002 के तहत जांच करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय को लिखा था. बीते 28 जुलाई को ईडी को लिखे पत्र में अग्रवाल ने दावा किया कि कथित अपराधों को 2006 में क्वात्रोच्ची के लंदन स्थित खातों पर रोक लगाए जाने तक निरंतर अंजाम दिया जाता रहा. 

बीजेपी नेता अग्रवाल ने कहा कि तथ्यों और जांच की स्थिति को लेकर सीबीआई को हलफनामा दायर करना चाहिए. उन्होंने कहा कि वह सर्वोच्च अदालत को अपनी याचिका के जरिए यह समझाने की कोशिश करेंगे कि ‘हाईकोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ आरोपों को तकनीकी आधार पर खत्म किए और अदालत का आदेश निरस्त करने योग्य है.’
 


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