ट्रांसफर को चुनौती देने एके बस्सी फिर पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, CBI के अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव पर लगाए ये आरोप...

सीबीआई (CBI) के DSP अजय कुमार बस्सी (AK Bassi) ने अपने पोर्ट ब्लेयर ट्रांसफर को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चुनौती दी है.

ट्रांसफर को चुनौती देने एके बस्सी फिर पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, CBI के अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव पर लगाए ये आरोप...

एके बस्सी (AK Bassi) ने पोर्ट ब्लेयर ट्रांसफर को सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती.

नई दिल्ली:

सीबीआई (CBI) के DSP अजय कुमार बस्सी (AK Bassi) ने अपने पोर्ट ब्लेयर ट्रांसफर को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चुनौती दी है. एके बस्सी का दावा है कि उनका तबादला दुर्भावना से प्रेरित है और इससे जांच ब्यूरो के पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी की जांच प्रभावित होगी. जांच एजेंसी के पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप में दर्ज प्राथमिकी की जांच करने वाले एके बस्सी ने आरोप लगाया गया है कि वह जांच एजेंसी के अंतरिम निदेशक एम नागेश्वर राव के शोषण का शिकार हैं. बस्सी ने याचिका में दावा किया है कि जांच एजेंसी के भीतर कुछ तत्वों का प्रतिनिधित्व कर रहे नागेश्वर राव नहीं चाहते कि राकेश अस्थाना की प्राथमिकी के मामले में याचिकाकर्ता स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से जांच करे.

यह भी पढ़ें: सीजेआई ने CBI अधिकारी से कहा- अंडमान हुआ है तबादला? अच्छी जगह है, कुछ दिन बिताएं

जांच एजेंसी के इस अधिकारी ने याचिका में कहा है कि नागेश्वर राव ने ही 24 अक्टूबर, 2018 को भी उनका तबादला पोर्ट ब्लेयर किया था और एक बार फिर वह आलोक वर्मा प्रकरण में शीर्ष अदालत के फैसले की अनदेखी करते हुये उन्हें अंडमान निकोबार भेज रहे हैं. बस्सी ने अपनी याचिका में जांच ब्यूरो के अंतरिम निदेशक के 11 जनवरी के तबादला आदेश को चुनौती देते हुए कहा है कि इससे जांच एजेंसी के पूर्व निदेशक आलोक कुमार वर्मा के मामले में न्यायालय के निर्देशों का उल्लंघन होता है.

यह भी पढ़ें: सीबीआई में रिश्वत : राकेश अस्थाना के मामले की जांच करे अधिकारी भी पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, कहा- SIT बनाई जाए

शीर्ष अदालत के 8 जनवरी के फैसले के बाद हालांकि आलोक वर्मा को जांच एजेंसी के निदेशक पद पर बहाल कर दिया गया था, लेकिन दो दिन बाद ही उन्हें उच्चस्तरीय समिति ने भ्रष्टाचार और जिम्मेदारियों के निर्वहन में लापरवाही की वजह से पद से हटा दिया था. शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में बस्सी सहित उन सभी अधिकारियों, जिनका वर्मा को अवकाश पर भेजने के केंद्र सरकार के फैसले के बाद अलग-अलग स्थानों पर तबादला किया गया था, से कहा था कि वे अपने तबादलों के मामले में उचित मंच से संपर्क करें. इस अधिकारी के अनुसार वर्मा की बहाली के बाद 9 जनवरी को उन्होंने जांच एजेंसी के निदेशक को एक प्रतिवेदन दिया था जिस पर उनका वापस दिल्ली तबादला कर दिया गया था.

यह भी पढ़ें: CBI के अंतरिम निदेशक के रूप में नागेश्वर राव की नियुक्ति के खिलाफ याचिका पर सुनवाई से CJI ने खुद को अलग किया

बस्सी ने अपनी याचिका में कहा है कि यह आदेश ऐसे अधिकारी ने दिया है जो ऐसे आदेश देने के लिए सक्षम नहीं है. याचिका में कहा गया है कि इस आदेश का मकसद उनका शोषण करना है और यह राकेश अस्थाना के खिलाफ 15 अक्टूबर, 2018 को दर्ज प्राथमिकी की जांच को अनुचित तरीके से प्रभावित करने वाला है. बस्सी ने याचिका में यह भी कहा है कि वह अस्थाना से संबंधित प्राथमिकी की जांच करने वाले जांच दल या किसी अन्य मामले की जांच कर रहे ब्यूरो के दल का हिस्सा बनने का दावा नहीं कर रहे हैं.

VIDEO:  राकेश अस्थाना के खिलाफ सबूत का दावा

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

(इनपुट: भाषा)