राफेल डील पर फ्रांस्वा ओलांद का खुलासे के बाद अब कांग्रेस के निशाने पर अब फ्रांस सरकार

वहीं,कांग्रेस पर पलटवार करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता व केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार ने ट्वीट कर कहा, "राफेल सौदे में गलत जानकारी देने के मामले में फ्रांस सरकार ने दसॉल्ट से बात की है."

राफेल डील पर फ्रांस्वा ओलांद का खुलासे के बाद अब कांग्रेस के निशाने पर अब फ्रांस सरकार

फाइल फोटो

खास बातें

  • कांग्रेस के निशाने पर फ्रांस सरकार
  • ओलांद के बयान पर फ्रांस सरकार का निशाना
  • मनीष तिवारी ने किया ट्वीट
नई दिल्ली:

राफेल सौदे में फ्रांस और दसॉल्ट एविएशन द्वारा पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के बयान से किनारा करने के बाद कांग्रेस ने शनिवार को कहा कि फ्रांस का बयान जितना खुलासा करता है, उससे कहीं ज्यादा तथ्यों को छिपाने वाला है. कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष तिवारी ने ट्वीट कर कहा, "फ्रांस का बयान जितना खुलासा करता है, उससे कहीं ज्यादा छिपाने वाला है. फ्रांस सरकार जानती है कि पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद और भारतीय वार्ताकारों के बीच मौखिक बातचीत ब्योरेवार रही है, जो उभरकर सामने आ सकती है." उन्होंने कहा,"राफेल मामले में फ्रांस की संसदीय सुनवाई और फ्रांस ने सूचना की स्वतंत्रता के अधिकार 1978 के तहत प्रशासन के दस्तावेजों तक पहुंच बनाने की अटकलें हैं." तिवारी ने कहा, "क्या फ्रांसीसी सरकार/कॉर्पोरेट इकाई ने राफेल खरीद को फ्रांस की राजनीति में भी घरेलू मुद्दा बना दिया है."
 



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वहीं,कांग्रेस पर पलटवार करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता व केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार ने ट्वीट कर कहा, "राफेल सौदे में गलत जानकारी देने के मामले में फ्रांस सरकार ने दसॉल्ट से बात की है." फ्रांस सरकार ने शुक्रवार रात यह बयान पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के उस बयान के बाद जारी किया, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि भारत सरकार ने राफेल सौदे के लिए एक निजी कंपनी का नाम सुझाया था.  
 
ओलांद ने कहा था, "हमारे पास कोई विकल्प नहीं था. भारत सरकार ने यह नाम (रिलायंस डिफेंस) सुझाया था और दसॉल्ट ने अंबानी से बात की थी." इस दावे पर प्रतिक्रिया देते हुए शुक्रवार रात जारी बयान में कहा गया, "इस सौदे के लिए भारतीय औद्योगिक साझेदारों को चुनने में फ्रांस सरकार की कोई भूमिका नहीं थी." 

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बयान में आगे कहा गया कि भारतीय अधिग्रहण प्रक्रिया के अनुसार, फ्रांस की कंपनी को पूरी छूट है कि वह जिस भी भारतीय साझेदार कंपनी को उपयुक्त समझे उसे चुने, फिर उस ऑफसेट परियोजना की मंजूरी के लिए भारत सरकार के पास भेजे, जिसे वह भारत में अपने स्थानीय साझेदारों के साथ अमल में लाना चाहते हैं ताकि वे इस समझौते की शर्ते पूरी कर सके. राफेल विमानों के निमार्ता दसॉल्ट एविएशन ने भी शुक्रवार रात अपने बयान में कहा कि दसॉल्ट एविएशन ने भारत के रिलायंस ग्रुप के साथ साझीदारी करने का फैसला किया था. यह दसॉल्ट एविएशन का फैसला था.  फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने की घोषणा 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी और 2016 में सौदे पर हस्ताक्षर हुआ था. 

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इनपुट : आईएनएस

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