कांग्रेस को याद आए बरसों से बिसराए हुए नरसिम्हा राव, गांधी परिवार ने पत्र लिखकर की प्रशंसा

ऐसा पहली बार है जब सोनिया गांधी सार्वजनिक रूप से श्री राव के योगदान को स्वीकार कर रही हैं और उनकी प्रशंसा कर रही हैं

कांग्रेस को याद आए बरसों से बिसराए हुए नरसिम्हा राव, गांधी परिवार ने पत्र लिखकर की प्रशंसा

पूर्व पीएम पीवी नरसिम्हा राव और डॉ मनमोहन सिंह को देश में आर्थिक उदारीकरण का श्रेय दिया जाता है

नई दिल्ली:

कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी ने पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव की जन्मशताब्दी के अवसर पर पार्टी की तेलंगाना इकाई को एक साल तक मनाने लिए प्रशंसा पत्र लिखे हैं, जो तेलंगाना बनने से दशकों पहले आंध्र प्रदेश में पैदा हुए थे. गांधी परिवार द्वारा लिखे गए पत्र महत्वपूर्ण और दुर्लभ हैं क्योंकि राव के 90 के दशक के समय गांधी परिवार के साथ अधिकतक ठंडे संबंध ही रहे. 1991 में जब वह प्रधानमंत्री बने, उस समय वह पहले प्रधानमंत्री थे जो कि नेहरू-गांधी परिवार से बाहर के थे जिन्होंने अपने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया था. 

पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव की तारीफ करते हुए सोनिया गांधी ने पत्र में लिखा, “राज्य और राष्ट्रीय राजनीति में एक लंबे कैरियर के बाद वह गंभीर आर्थिक संकट के समय भारत के प्रधानमंत्री बने. उनके साहसिक नेतृत्व के माध्यम से, हमारा देश कई चुनौतियों को सफलतापूर्वक पार करने में सक्षम हुआ. 24 जुलाई, 1991 का केंद्रीय बजट और हमारे देश के आर्थिक परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त किया, "

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आपको बता दें कि ऐसा पहली बार है जब सोनिया गांधी सार्वजनिक रूप से श्री राव के योगदान को स्वीकार कर रही हैं और उनकी प्रशंसा कर रही हैं, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री की विरासत को उपयुक्त बनाने के प्रयास से प्रेरित है.

नरसिंह राव एक प्रतिबद्ध राष्ट्रवादी बने रहे और उन्होंने अलग तेलंगाना का समर्थन नहीं किया. राव और डॉ मनमोहन सिंह, जो 1991 में वित्त मंत्री थे, उन्होंने आयात शुल्क में कटौती, कम करों, अधिक विदेशी निवेश और अन्य उपायों से भारत की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया, जिससे अंततः अर्थव्यवस्था का उदारीकरण हुआ, और उसी के परिणाम सहस्राब्दी के अंत में देखे गए जब देश का विकास आसमान छूने लगा.

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हालांकि, 1996 तक चलने वाले अपने प्रधानमंत्रित्व काल में राव का राजनीतिक करियर पूरी तरह से कांग्रेस पार्टी के साथ नहीं चल पाया था. आलोचकों ने उन्हें पार्टी में अलगाव की वजह भी मानते हैं जिसके चलते 1996 के आम चुनावों में कांग्रेस की हार हुई थी.  

दिसंबर 1992 में दक्षिणपंथी समूहों द्वारा उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बाबरी मस्जिद का विध्वंस भी तब हुआ जब राव प्रधानमंत्री थे. उनके आलोचकों का कहना है कि राव ने इस अप्राकृतिक घटना को रोकने का निर्णय ले सकते थे. 1996 के आम चुनाव में त्रिशंकु संसद बनी और कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के लिए राव को दोषी ठहराया गया. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस अपने कई गढ़ों में चुनाव हार गई थी. 

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राहुल गांधी ने आज अपने पत्र में कहा,  “इस दिन (24 जुलाई), भारत ने आर्थिक परिवर्तन के साहसिक नए मार्ग को अपनाया. पीवी नरसिम्हा राव और डॉ मनमोहन सिंह ने उदारीकरण के युग की शुरुआत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. मुझे उम्मीद है कि यह घटना हमारे युवाओं के बीच भारत के विकास कहानी और इसे संभव बनाने वाले उल्लेखनीय व्यक्तियों के बारे में जानने के लिए रुचि को पुनर्जीवित करेगी"