सरकार के भेजे प्रस्ताव पर विचार करें किसान संगठन, हम बातचीत के लिए हमेशा तैयार हैं : कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर

नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि नए कानून में विवाद समाप्त करने का अधिकार एसडीएम को दिया गया है, किसानों ने जब इस पर सवाल उठाया तो हमनें प्रस्ताव रखा की कोर्ट जाना चाहते हैं तो जा सकते हैं.  

सरकार के भेजे प्रस्ताव पर विचार करें किसान संगठन, हम बातचीत के लिए हमेशा तैयार हैं : कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की.

नई दिल्ली:

Farmers Protest : नए कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध कर रहे किसानों के साथ पांच दौर की बातचीत विफल होने के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने गुरुवार को एक बार फिर किसान नेताओं को भरोसा दिलाने की कोशिश की कि ये बिल किसानों के हित में है, ना कि उनके विरोध में. नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, "इन तीनों नए कानून के जरिए सरकार किसानों को मंडी के जंजीरों से दूर करना चाहती है. किसान अपने माल को किसी को भी, कहीं भी मनचाही कीमत पर बेचने के लिए स्वतंत्र हो, इसके लिए नया कानून लाया गया."

कृषि मंत्री ने कहा कि एमएसपी को लेकर मोदी सरकार लिखित आश्वासन देने को तैयार है. उन्होंने कहा कि एमएसपी को लेकर मोदी सरकार कटिबद्ध है और रहेगी.

कृषि मंत्री ने आगे कहा, " मैं किसान संगठनों से आग्रह करना करता हूं कि वह सरकार की तरफ से दिए गए लिखित प्रस्ताव पर विचार करें और जब भी उस प्रस्ताव पर चर्चा के लिए उनकी तरफ से कहा जाएगा सरकार बातचीत के लिए तैयार रहेगी."

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नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि नए कानून में विवाद समाप्त करने का अधिकार एसडीएम को दिया गया है, किसानों ने जब इस पर सवाल उठाया तो हमनें प्रस्ताव रखा की कोर्ट जाना चाहते हैं तो जा सकते हैं. 

इसके अलावा किसान यूनियनों द्वारा नए बिजली (संशोधित) बिल पर सवाल उठाने को लेकर केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि किसानों को बिजली सब्सिडी की जो मौजूदा व्यवस्था है वह जारी रहेगी.

गुरुवार को हई अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में तोमर ने कहा, "पिछले संसद के सत्र में भारत सरकार तीन कानून लेकर आई थी. कृषि के क्षेत्र में ये दो कानून है जिनका कृषि उपज और वाणिज्य से संबंधित है और उनके मूल्य आश्वासन से संबधित है. इन दोनों कानूनों पर लोकसभा और राज्य सभा में 4-4 घंटे सभी सांसदों ने स्वच्छंद होकर अपना विचार प्रस्तुत किया, पक्ष और विपक्ष दोनों ने. लोकसभा में ये पारित हुआ..."

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"....इसके बाद राज्य सभा में इस पर 4 घंटे की चर्चा पूरी हुई और जब मेरे जवाब देने की स्थिति खड़ी हुई तो प्रतिपक्ष के लोगों ने बहुत ही अभद्र घटना को अंजाम दिया जो देश लोकतांत्रिक इतिहास में हमेशा काले धब्बे के रूप में अंकित रहेगी. लेकिन दोनों कानून पारित हुए, महामहिम राष्ट्रपति जी के पास भेजे गए और उनके हस्ताक्षर के बाद ये कानून देशभर में लागू हैं."

उन्होंने आगे कहा, "हम सब जानते हैं कि कृषि के क्षेत्र में योजनाओं और कानूनों के माध्यम से काफी कुछ किया जाता रहा है. लेकिन कृषि क्षेत्र में नीजि निवेश गांवों तक और खेत तक पहुंचे इसकी संभावनाएं ना के बराबर थी. और कानून के माध्यम से भी जो बंदिशें थी वो खुले इसका देशभर को इंतजार था. "

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