PM मोदी ने 25 बार की कृषि कानून पर बात, 5 महीनों में 1.37 लाख वेबीनार, फिर भी गतिरोध बरकरार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम समेत 25 मौकों पर नए कृषि कानूनों पर बात की है और देशभर के किसानों को भरोसे में लेने की कोशिश की है लेकिन अभी भी किसानों के बीच गतिरोध बरकरार है और उनका आंदोलन जारी है.

PM मोदी ने 25 बार की कृषि कानून पर बात, 5 महीनों में 1.37 लाख वेबीनार, फिर भी गतिरोध बरकरार

प्रधानमंत्री मोदी नए कृषि कानून पर 25 से भी अधिक बार बोल चुके हैं. यानी इस मुद्दे पर हर सप्ताह उन्होंने एक संबोधन किया है.

खास बातें

  • पीएम मोदी ने अब तक 25 बार अपने भाषणों में कृषि कानून पर चर्चा की है
  • कानून बनाने से पहले और बाद में भी किसान संगठनों से अधिकारियों ने की बात
  • अभी भी किसानों से सरकार की हुई बात, पर गतिरोध बरकरार
नई दिल्ली:

सरकारी सूत्रों ने इस आरोप को गलत बताया है कि तीन कृषि कानूनों (Farmers Bill 2020) को लाने से पहले उन पर व्यापक विचार-विमर्श नहीं किया गया और किसानों को भरोसे में नहीं लिया गया. आला सरकारी सूत्रों के मुताबिक सरकार ने कानून लाने से पहले और लाने के बाद भी किसान संगठनों और उनके प्रतिनिधियों से लगातार बातचीत की है ताकि कानून में जरूरत पड़ने पर सुधार किए जा सकें. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने इन कानूनों के बारे में जागरुकता फैलाने का काम अपने हाथों में लिया. उनके अलावा कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर तथा कृषि मंत्रालय के अन्य अधिकारी लगातार किसानों, किसान संगठनों और किसान प्रतिनिधियों के संपर्क में रहे. इसके अलावा ग्रामीण स्तर पर हजारों छोटी सभाओं के माध्यम से इन सुधारों के बारे में जानकारी दी गई. 

अगर प्रधानमंत्री मोदी की बात करें तो वे इन सुधारों के बारे में 25 से भी अधिक बार बोल चुके हैं. यानी इस मुद्दे पर हर सप्ताह उन्होंने एक संबोधन किया है. उन्होंने इन सुधारों के प्रावधानों के बारे में विस्तार से कहा. किसानों को इससे कैसे लाभ मिलेगा, यह बताया. कानूनों से जुड़ी शंकाओं और आशंकाओं को दूर किया. उन्होंने सभी तबकों के सामने बात की. इनमें किसान और ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के अलावा वैश्विक निवेशक और मन की बात भी शामिल है. इन सुधारों के बारे में उन्होंने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से संबोधन में भी कहा और बिहार की चुनाव रैलियों में भी जहां जनता ने एनडीए को आशीर्वाद दिया. 

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सुधारों के ऐलान से पहले कृषि मंत्रालय ने विभिन्न विशेषज्ञों और पूर्व अधिकारियों से चर्चा की. मंत्रालय विभिन्न राज्यों के कृषि विभागों के संपर्क में रहा. कुछ प्रगतिशील किसानों और मंडी अधिकारियों से भी फीडबैक लिया गया. वीडियो कांफ्रेंस के जरिए कई एफपीओ से बैठक की गई. मंत्रालय ने महत्वपूर्ण किसान संगठनों से चर्चा की और उनके फीडबैक के आधार पर एक अध्यादेश में बदलाव तक किया. 

सुधारों के ऐलान के बाद कृषि मंत्री तोमर ने राज्यों के कृषि मंत्रियों, विभिन्न किसान संगठनों, राजनीतिक दलों, आढ़तिया समूहों और उद्योग समूहों से चर्चा की तथा कृषि विज्ञान केंद्रों के वर्कशॉप में हिस्सा लिया. 

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केंद्र सरकार ने किसानों से भी संपर्क किया और उन्हें वेबीनार तथा ट्रेनिंग के जरिए इन सुधारों के बारे में जानकारी दी. जून और नवंबर 2020 के बीच कुल 1,37,054 वेबीनार के जरिए 92,42,376 किसानों से संपर्क साधा गया.  इनके अलावा अक्तूबर महीने में 2.23 करोड़ SMS संदेश भेजे गए. बिल लाने के बाद भी किसान संगठनों से बातचीत जारी रही.  

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14 अक्तूबर को केंद्रीय कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने पंजाब के 29 किसान संगठनों के साथ बैठक की. 13 नवंबर को नरेंद्र सिंह तोमर, पीयूष गोयल और सोम प्रकाश ने किसान संगठनों से चर्चा की. यह बैठक दो दिसंबर को भी हुई. तीन दिसंबर को भी कृषि मंत्रालय के अधिकारियों के साथ चर्चा की गई. पांच दिसंबर को एक बार फिर तोमर, गोयल और सोम प्रकाश की पंजाब के किसान संगठनों के साथ बैठक हुई.  सूत्रों के अनुसार इसीलिए यह धारणा गलत है कि सरकार ने सलाह-मशविरा नहीं किया.

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