ग्लोबल हंगर इंडेक्स: भुखमरी दूर करने में मनमोहन सरकार से पीछे मोदी सरकार, 5 साल में रैंकिंग 55 से गिरकर 103 पहुंची

भुखमरी (Hunger) दूर करने की भारत की कोशिशों को तगड़ा झटका लगा है. साल 2018 के ग्लोबल हंगर इंडेक्स (Global Hunger Index) में भारत की रैंकिंग और गिरी है.

ग्लोबल हंगर इंडेक्स: भुखमरी दूर करने में मनमोहन सरकार से पीछे मोदी सरकार, 5 साल में रैंकिंग 55 से गिरकर 103 पहुंची

साल 2018 का ग्लोबल हंगर इंडेक्स (Global Hunger Index) जारी हो गया है.

खास बातें

  • GHI रैंकिंग हर साल अक्टूबर में जारी होती है
  • 2018 का इंडेक्स इसका 13वां संस्करण है
  • भारत गरीबी को दूर करने का पुरजोर प्रयास कर रहा है
नई दिल्ली :

भुखमरी (Hunger) दूर करने की भारत की कोशिशों को तगड़ा झटका लगा है. साल 2018 का ग्लोबल हंगर इंडेक्स (Global Hunger Index) जारी हो गया है और इस बार भारत की रैंकिंग और गिरी है. भारत को 119 देशों की सूची में 103वां स्थान मिला है. पिछले साल भारत ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) में 100वें स्थान पर था. गौर करने वाली बात यह है कि साल 2014 में केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार बनने के बाद से ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत की रैंकिंग में लगातार गिरावट आई है. साल 2014 में भारत GHI में जहां 55वें पायदान पर था. तो वहीं 2015 में 80वें, 2016 में 97वें और पिछले साल 100वें पायदान पर आ गया. इस बार रैंकिंग 3 पायदान और गिर गई. 

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क्या है ग्लोबल हंगर इंडेक्स ( Global Hunger Index) 
ग्लोबल हंगर इंडेक्स यानी GHI की शुरुआत साल 2006 में इंटरनेशनल फ़ूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट ने की थी. वेल्ट हंगरलाइफ़ नाम के एक जर्मन संस्थान ने 2006 में पहली बार ग्लोबल हंगर इंडेक्स जारी किया था. इस बार यानी 2018 का इंडेक्स इसका 13वां संस्करण (एडिशन) है. ग्लोबल हंगर इंडेक्स में दुनिया के तमाम देशों में खानपान की स्थिति का विस्तृत ब्योरा होता है. मसलन, लोगों को किस तरह का खाद्य पदार्थ मिल रहा है, उसकी गुणवत्ता और मात्रा कितनी है और उसमें कमियां क्या हैं. GHI रैंकिंग हर साल अक्टूबर में जारी होती है. 

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क्यों चिंताजनक है भारत रैंकिंग 
भारत गरीबी और भूखमरी को दूर कर विकासशील से विकसित देशों की कतार में शामिल होने के लिए जोर-शोर से प्रयास कर रहा है. सरकार का दावा है कि इसके लिए तमाम योजनाएं चलाई जा रही हैं. नीतियां बनाई जा रही हैं और उसी के अनुरूप विकास कार्य किये जा रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की '2018 बहुआयामी वैश्विक गरीबी सूचकांक' की मानें तो वित्त वर्ष 2005-06 से 2015-16 के बीच एक दशक में भारत में 27 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर निकल गए हैं. पिछले दिनों संयुक्त राष्ट्र महासभा के 73वें सत्र में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसके लिए भारत की तारीफों के पुल भी बांधे. लाखों लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकालने के उन्होंने सरकार की पीठ थपथपाई, लेकिन ग्लोबल हंगर इंडेक्स ने तमाम दावों और आंकड़ों पर सवाल खड़े कर दिये हैं. 
 

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बांग्लादेश और नेपाल से भी खराब हालत
ग्लोबल हंगर इंडेक्स - 2018 में भारत की स्थिति नेपाल और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों से भी खराब है. इस साल GHI में बेलारूस टॉप पर है. तो वहीं भारत के पड़ोसी चीन को 25वीं, बांग्लादेश को 86वीं नेपाल को 72वीं श्रीलंका को 67वीं और म्यांमार को 68वीं रैंक मिली है.  हालांकि पाकिस्तान रैंकिंग में भारत से नीचे से और उसे 106वीं रैंक मिली है. 

साल दर साल गिर रही है रैंकिंग 
वर्ष            भारत की रैंकिंग 
2014           - 55
2015           - 80
2016           - 97
2017          - 100
2018          - 103 
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GHI-2018 में भारत के पड़ोसी देशों की स्थिति 
चीन                25 
श्रीलंका            67
म्यामांर            68
नेपाल              72
बांग्लादेश         86 
मलेशिया          57 
थाईलैंड           44
पाकिस्तान      106

(विस्तृत रिपोर्ट इस लिंक पर देखें) 

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