नए मेडिकल विधेयक के प्रावधानों से पीछे हटने को तैयार नहीं केंद्र सरकार, नाराज़ डॉक्टरों की देशव्यापी हड़ताल

स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़े सूत्रों ने बताया है कि डॉक्टरों की मांग पर कई बार अलग-अलग स्तरों पर चर्चा हो चुकी है.  सहमति बनाने के बाद ही सरकार बिल लेकर आई है.

नए मेडिकल विधेयक के प्रावधानों से पीछे हटने को तैयार नहीं केंद्र सरकार, नाराज़ डॉक्टरों की देशव्यापी हड़ताल

फाइल फोटो

खास बातें

  • NMC बिल पर पीछे हटने को तैयार नहीं केंद्र सरकार
  • राज्यसभा में भी जेपी नड्डा ने दिया बयान
  • 'कल हमने IMA को अपना दृष्टिकोण बता दिया है'
नई दिल्ली:

केंद्र सरकार   ने सख्ती का रुख अपनाते हुए साफ कहा है कि नेशनल मेडिकल कमीशन बिल (एनएमसी) से पीछे नहीं हटेगी. स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़े सूत्रों ने बताया है कि डॉक्टरों की मांग पर कई बार अलग-अलग स्तरों पर चर्चा हो चुकी है.  सहमति बनाने के बाद ही सरकार बिल लेकर आई है. बिल का उद्देश्य स्वास्थ्य शिक्षा को आगे बढ़ाना, भ्रष्टाचार खत्म करना और डाक्टरों की संख्या बढ़ाना है. वहीं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने राज्यसभा में इस मुद्दे पर जवाब देते हुए कहा कि उन्होंने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से कल बात की थी और अपना भी दृष्टिकोण रखा था

आज देशभर में हड़ताल पर रहेंगे 3 लाख डॉक्टर, स्वास्थ्य सेवाएं रहेंगी ठप, जानिए क्या है पूरा मामला

गौरतलब है कि इस बिल के विरोध में देशभर के डॉक्टरों की हड़ताल आज सुबह छह बजे से शुरू हो गई है. आज संसद में पेश होने वाले नेशनल मेडिकल कमीशन बिल के विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने ये बंद बुलाया है, जिसमें करीब 3 लाख डॉक्टर शामिल हो रहे हैं. प्राइवेट से लेकर सरकारी अस्पतालों के ओपीडी ठप रहने की आशंका है.  हालांकि इमरजेंसी सेवा जारी रहेगी फिर भी मरीज़ों को काफ़ी परेशानी हो सकती है. केरल तिरुवनंतपुरम जैसे शहरों में ओपीडी सेवाएं  प्रभावित होने की खबरें आ रही हैं.

वीडियो : बिल के विरोध में डॉक्टरों की हड़ताल

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) का कहना है कि अगर ये बिल पास हुआ तो इतिहास का काला दिन होगा. क्योंकि अगर ये क़ानून लागू हुआ तो इलाज महंगा होगा और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा. आईएमए नए बिल के कई प्रावधानों के ख़िलाफ़ है. प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में 15% सीटों की बज़ाय 60% सीटों की फीस तय करने का अधिकार मैनेजमेंट को दिया जाना है. एमबीबीएस के बाद भी प्रैक्टिस के लिए एक और परीक्षा देने को अनिवार्य बनाना जैसे कई दूसरे प्रावधानों का विरोध हो रहा है. इसमें एमसीआई की जगह एक राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग बनाने का प्रावधान है 


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