गरीब रथ ट्रेन बंद करने की तैयारी, दो गरीब रथ ट्रेनें हो गईं मेल-एक्सप्रेस.. बढ़ गया भाड़ा

पटरी पर दौड़ती गरीब रथ ट्रेन को मंत्रालय बेपटरी करने की तैयारी में है. शुरुआत काठगोदाम से जम्मू और कानपुर सेंट्रल गरीब रथ से हो चुकी है.

नई दिल्‍ली:

कम पैसे में एसी ट्रेन में सफर करने का सपना साकार करने वाली गरीब रथ ट्रेन का भविष्य संकट में है. रेल मंत्रालय इस ट्रेन को बंद करने की तैयारी में है. इस कड़ी में हफ्तेभर के भीतर दो गरीब रथ ट्रेनों के कम्पोजीशन भी बदले जा चुके हैं. पूरी तरह से थर्ड एसी इस ट्रेन में स्लीपर कोच भी जोड़े गए और भाड़ा भी रेलवे ने बढ़ा दिया. पटरी पर दौड़ती गरीब रथ ट्रेन को मंत्रालय बेपटरी करने की तैयारी में है. शुरुआत काठगोदाम से जम्मू और कानपुर सेंट्रल गरीब रथ से हो चुकी है. उसके रेक बदल गए और पूरी तरह से थर्ड एसी ट्रेन में स्लीपर के डिब्‍बे भी जोड़ दिए गए. इन दोनों गरीब रथ में महज़ 4 डिब्बे थर्ड एसी के रह गए और 7 डिब्‍बे स्लीपर के इसमें जोड़ दिये गए. जहां काठगोदाम से जम्मू का भाड़ा पहले 755 रुपये था उसको बढ़ाकर 1070 रुपये कर दिया गया. वहीं  काठगोदाम से कानपुर सेंट्रल गरीब रथ का भाड़ा जो 475 रुपये होता था उसको बढ़ाकर 675 रुपये कर दिया गया.

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नई दिल्ली रांची गरीब रथ में जब एनडीटीवी ने मुसाफिरों से बात की तो उनका दर्द साफ दिखा. 52 साल की सुनीता शर्मा ने कहा कि फिर राजधानी और गरीब रथ में फर्क ही क्या रहेगा. इसी ट्रेन में यात्रा कर रहे राहुल सिन्हा ने भी कम शब्दों में सवाल भी उठा दिया और पीड़ा भी बता दी. राहुल ने कहा, 'ये नाम से विपरीत होने जा रही है.'

गरीब रथ के फर्श पर सोने के लिए मजबूर हुई पैरा-एथलीट

2006 में तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने इसकी शुरुआत गरीबों को ध्यान में रख कर की थी. मक़सद गरीबों को कम पैसे में एसी ट्रेन की सुविधा देना था. फिलहाल इन ट्रेनों की तादाद 26 है.

जब रेल राज्यमंत्री सुरेश अगड़ी से गरीब रथ ट्रेन को बंद करने को लेकर सवाल पूछा गया तो जवाब गोल गोल मिला कहा जब जिसको जो सुविधा चाहिए दे रहे हैं. सबको एसी चाहिए सबको एसी दे रहे हैं. भारत बदल रहा है. भाड़े को लेकर कोई शिकायत नहीं मिली है. जब मिलेगी तो देखेंगे.

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रेलवे की दलील है कि गरीब रथ ट्रेनों के रेक अब बनने बंद गो चुके हैं. लिहाज़ा नए मॉडर्न रेक से पुराने को बदल रहे हैं. पर सवाल है कि फिर भाड़े में बढ़ोत्तरी क्यों और बनावट में बदलाव क्यों?