जमानत पर रिहा हुए आकाश विजयवर्गीय ने एनडीटीवी से कहा- मैं प्रार्थना करता हूं कि दोबारा बल्लेबाजी न करनी पड़े

आकाश ने विवादित घटनाक्रम के बारे में कहा, 'जब मैं वहां पहुंचा तो पहले मेरी बात नगर निगम के अधिकारियों से हो गई थी कि उस मकान में बहुत गरीब परिवार रहता है, विकलांग महिला रहती है.

खास बातें

  • 'मुझे जानकारी मिली थी कि महिला को घसीटा जा रहा है'
  • 'पिता ने कहा, तुम अपने निर्णय लेने के लिए स्‍वतंत्र हो'
  • 'ईश्‍वर मुझे शक्ति दें कि मैं गांधीजी के दिखाए मार्ग पर चल सकूं'
भोपाल:

बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे और बीजेपी विधायक आकाश विजयवर्गीय ने एनडीटीवी से खास बातचीत की है. आकाश को शनिवार को भोपाल की विशेष अदालत ने जमानत दे दी थी. उन्हें रविवार सुबह 10 बजे जेल से रिहा किया जाना था लेकिन कानून व्यवस्था की स्थिति ना बिगड़े इस वजह से आकाश को जल्दी छोड़ दिया गया. नगर निगम के कर्मचारी को बल्ले से मारने की वजह से आकाश चर्चा में हैं. आकाश ने एनडीटीवी को बताया, 'हमारा मिशन लोगों के जीवन में सुख और समृद्धि लाना और महिलाओं-गरीबों के सम्मान के लिए प्रयत्न करना है. इसके लिए हम अब खुलकर काम कर सकते हैं.'

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उन्होंने विवादित घटनाक्रम के बारे में कहा, 'जब मैं वहां पहुंचा तो पहले मेरी बात नगर निगम के अधिकारियों से हो गई थी कि उस मकान में बहुत गरीब परिवार रहता है, विकलांग महिला रहती है. उनकी अभी दूसरी कोई व्यवस्था नहीं है. इसलिए अभी के लिए वो अपनी कार्रवाई टाल दें. उन्होंने मुझसे कहा कि हम इसे टाल देंगे. लेकिन अगले दिन वो वहां पहुंच गए. जब मैंने अपने लोगों को वहां भेजा तो मुझे पता लगा कि ये लोग मान नहीं रहे हैं और महिलाओं को घसीटकर बाहर निकाल रहे हैं. एक पक्षपाती अधिकारी विकलांग महिला की टांग खींच रहा था और घर से घसीटकर बाहर निकाल रहा था. जब मैं वहां पहुंचा तो मुझसे ये देखा नहीं गया और ये सब पुलिस की मौजूदगी में हो रहा था क्योंकि नगर निगम जब भी गैंग लेकर कहीं जाता है तो पुलिस की सुरक्षा में जाता है.'

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आकाश ने कहा, 'जब मुझे जेल हुई थी उस दिन मेरी एसएसपी से बात हुई थी. उन्होंने कहा था कि हम 2-3 दिन में इस पर जांच करेंगे. और अब मैं फ्री होते ही एसएसपी से बात करूंगा कि उन्होंने क्या किया है और पूरा प्रयास करेंगे कि दोषी को सजा मिले जिससे भविष्य में किसी दुराचारी के दिमाग में इस तरह से महिला का अपमान करने का विचार ना आए.'

सवाल : क्‍या आपको अफसोस है कोई मन में कि इस तरह की घटना हो गई, क्‍योंकि एक तरफ क्रिकेट वर्ल्‍ड कप की चर्चा और दूसरे तरफ आपके बैट की चर्चा हो रही थी? कई मीम भी बने इस बारे में.

जवाब : जी, जो मैंने किया उसके लिए मुझे बिल्‍कुल भी मलाल नहीं है क्‍योंकि मैंने बहुत सोच समझकर जिम्‍मेदारी के साथ किया. अगर मैं वो नहीं करता, उन्‍हें खदेड़ता नहीं वहां से तो 5 मिनट बाद उस महिला की इज्‍जत भी चली जाती और वो मकान भी उसका चला जाता.

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सवाल : तो और कभी आपको लगता है कि इस तरह का वाकया कभी ना हो क्‍योंकि अधिकारी को भी चोट लगी, वो भी अस्‍पताल में है. कभी इस तरह की स्थिति आएगी जैसे आप कह रहे थे कि कोशिश करेंगे गांधीजी के रास्‍ते पर चलने की?

जवाब : बिल्‍कुल, मैं ईश्‍वर से प्रार्थना करता हूं कि दोबारा मुझे बल्‍लेबाजी करनी पड़े ऐसा अवसर जीवन में मुझे ना दें. और मुझे इतनी शक्ति दें कि मैं गांधीजी के दिखाए हुए मार्ग पर सदा चल सकूं.

सवाल : पर जिस तरह से एमएस होटल का वाकाया हुआ था, उसके बाद जर्जर सा ही मकान है. तो यहां पर भी नगर निगम कह रही है कि स्‍ट्रक्‍चर ऑडिट हमने कराया था. रहने पर भी तो उनको जान का खतरा हो सकता था?

जवाब : देखिए, मुझे कुछ महीने पहले जानकारी मिली थी कि कांग्रेस के कुछ नेता जैसे, सज्‍जन सिंह वर्मा, राम सिंह परिया, शेख अलीम और ये सबूतों के साथ मुझे जानकारी दी गई थी कि इन्‍होंने कुछ प्रॉपर्टी खरीदी है और उन्‍हें जर्जर घोषित करवा के तुड़वा दिया गया है. तब मैंने निगम आयुक्‍त से निवेदन किया था कि इस प्रकार का आप कुछ भी काम मेरी विधानसभा में न करें क्‍योंकि मैं जनता के वोटों से चुना हुआ जनप्रतिनिधि हूं, विधायक हूं, तो इस प्रकार की कोई घटना आप मेरे विधानसभा में करें तो उसकी जानकारी पहले मुझे दें. ऐसा मैंने उन्‍हें कहा था. मगर न जाने कांग्रेस की सरकार आने के बाद इन अधिकारियों पर क्‍या गुरूर सवार है कि उन्‍होंने इस बात को उचित नहीं समझा और मुझे कोई जानकारी नहीं दी.

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सवाल : उन्‍होंने हमसे कहा कि आपको जानकारी दी गई थी
जवाब: मैंने उन्‍हें कॉल किया था दो दिन पहले. ये इनको जब नोटिस पहुंचा था तब इस परिवार को तेा वो मेरे पास आए थे. मैंने आशीष सिंह को फोन लगाया था कि आप इस मकान को मत तोड़ना, ये गरीब परिवार है, इसमें विकलांग महिला रहती है. इनकी दूसरी कोई व्‍यवस्‍था नहीं है. बारिश का मौसम है और मकान उतना भी कच्‍चा नहीं है कि एकदम गिर जाएगा. तो आप अभी रुक जाइए. तो उन्‍होंने मुझे कहा था कि ठीक है, मैं बात कर लेता हूं.

सवाल : फिर आप लोगों ने मेयर वगैरह से बात नहीं की, आप ही की पार्टी के हैं. यहां पर भी एक फाड़ नजर आई क्‍योंकि महापौर हों चाहे बाकी दूसरे लोग हों, वो साथ खड़े नहीं थे?
जवाब : मैं स्‍वयं विधायक हूं. मुझे मेयर से बात करने की आवश्‍यकता नहीं है क्‍योंकि अगर मेरी अधिकारी से बात हो चुकी है तो उसका सम्‍मान होना चाहिए. ठीक है मेयर से बात तो हमारी होती रहती है, वो मेरी मां समान हैं, मैं तो उनको राजनीतिक रूप में मानता ही नहीं हूं. उनका पुत्र मेरा बहुत अच्‍छा मित्र है औ वो मेरी मां समान हैं.

सवाल : पार्टी में कोई अंदरूनी राजनीति तो नहीं है?
जवाब : बिल्‍कुल भी नहीं. मैं उनका बहुत सम्‍मान करता हूं, वो मेरी मां समान हैं. मगर उनसे बात करने की आवश्‍यकता क्‍या थी. मैं खुद विधायक हूं, क्‍या अधिकारी मेरी बात नहीं सुनेंगे?

सवाल : कोई कह रहा था कि आप लोग तैयार हो कर आए थे कि लड़ना ही है. आप पहले बेस बॉल बैट ढूंढ रहे थे फिर आपने बैट ढूंढा. इसमें कितनी सच्‍चाई है?

जवाब : हां, ये बात सही है क्‍योंकि मुझे फोन पर ही जानकारी आ गई थी कि महिला को घसीटा जा रहा है. तो मैं ये सोचके ही गया था कि इनको वहां से खदेड़ना ही एक मात्र ऑप्‍शन है. मेरे लोग वहां पर थे जो मुझे पल पल की जानकारी दे रहे थे.
सवाल : पिता से आपकी कोई बात हो पायी, कैलाश जी से?

जवाब : उन्‍होंने मुझे कहा है कि अब तुम बड़े हो गए हो, तुम अपने निर्णय लेने के लिए स्‍वतंत्र हो. मगर जो भी निर्णय करो उसके परिणाम को भुगतने के लिए भी तैयार रहना.

सवाल : क्‍योंकि ऐसी खबर है कि पार्टी हाई कमान ने भी कुछ रिपोर्ट मांगी है आपके इस पूरे वाकये पर.

जवाब : मुझे इसकी जानकारी नहीं है क्‍योंकि मैं 4-5 दिन से पूरा कट ऑफ हूं. अब मैं सारी जानकारियां इकट्ठी करके जो निर्णय होगा.

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