महाराष्ट्र में ऑक्सीजन को लेकर सरकार के फैसले का इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने किया विरोध

देश में जारी कोरोना संकट के बीच महाराष्ट्र (Maharashtra) सहित कई राज्यों में ऑक्सीजन (oxygen) का भी अभाव देखने को मिल रहा है. इन सब के बीच महाराष्ट्र सरकार ने तय कर दिया है कि एक मरीज को कितना ऑक्सीजन का उपयोग करना चाहिए.

महाराष्ट्र में ऑक्सीजन को लेकर सरकार के फैसले का इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने किया विरोध

प्रतीकात्मक तस्वीर

मुंबई:

देश में जारी कोरोना संकट के बीच महाराष्ट्र (Maharashtra) सहित कई राज्यों में ऑक्सीजन (oxygen) का भी अभाव देखने को मिल रहा है. इन सब के बीच महाराष्ट्र सरकार ने तय कर दिया है कि एक मरीज को कितना ऑक्सीजन का उपयोग करना चाहिए. सरकार की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है कि अस्पताल के वार्डों में कोविड रोगियों के लिए ऑक्सीजन की खपत 7 लीटर प्रति मिनट तक सीमित होनी चाहिए.गहन चिकित्सा इकाइयों में रोगियों के लिए, संबंधित आंकड़ा 12 लीटर प्रति मिनट होना चाहिए.सरकार के फैसले से डॉक्टर नाराज हो गए हैं. डॉक्टरों का संगठन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की राज्य इकाई ने कहा है कि सरकारी आदेश मरीजों के जीवन पर सबसे बड़ा, क्रूर हमला है.

डॉक्टरों ने कहा है कि गंभीर रोगियों के लिए जो गहन चिकित्सा इकाइयों में हैं या वेंटिलेटर पर हैं उनके लिए सरकार की तरफ से तय किया गया मानक काफी कम है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की राज्य इकाई के अध्यक्ष डॉ अविनाश भोंडवे ने कहा कि जो मरीज कोरोनावायरस से प्रभावित नहीं है, उन्हें प्रति मिनट दो से दस लीटर ऑक्सीजन की आवश्यकता हो सकती है. गहन चिकित्सा इकाई में एक मरीज को प्रति मिनट 10 से 30 लीटर की आवश्यकता हो सकती है. एक मरीज जो वेंटिलेटर पर है, उसके लिए जरूरत 30 लीटर से लेकर 90 लीटर तक की होती है. 

डॉ अविनाश भोंडवे ने NDTV से बात करते हुए कहा, "हर डॉक्टर अपने मरीज की जान बचाने के लिए जितनी ऑक्सीजन की जरूरत होती है, उतनी ऑक्सीजन देता है." उन्होंने कहा, "यह मरीजों को बचाने के लिए डॉक्टरों के ज्ञान और अध्ययन पर हमला है." मेडिकल कंसल्टेंसी ग्रुप एसोसिएशन ऑफ मेडिकल कंसल्टेंट्स ने भी फैसले का कड़ा विरोध किया है. उन्होंने सुझाव दिया कि ऑक्सीजन की कमी के मामले में, ऑक्सीजन सांद्रता मशीनों का उपयोग किया जाना चाहिए जो हवा से सीधे ऑक्सीजन खींचता है और रोगी को ऑक्सीजन उपलब्ध करवाता है. 

IMA के अध्यक्ष डॉ. दीपक बैद ने IMA द्वारा सुझाए गए आंकड़ों को दोहराते हुए कहा, "सरकार को जमीनी हकीकत की जानकारी नहीं है. या उन्हें गलत जानकारी दी जा रही है".महाराष्ट्र सरकार के आंकड़ों से पता चलता है कि राज्य में न केवल देश के कोविड के सबसे ज्यादा मरीज हैं, बल्कि यहां बहुत गंभीर रूप से बीमार मरीज भी है, जिन्हें ऑक्सीजन की जरूरत है.सरकार की तरफ से जारी सर्कुलर के मुताबिक, राज्य में 15 फीसदी सक्रिय मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं. जबकि देश भर में ये आकंड़ा  5 फीसदी से लेकर 6 फीसदी तक है.


महाराष्ट्र सरकार के आंकड़े यह भी कहते हैं कि राज्य में प्रतिदिन 1,000 मीट्रिक टन से अधिक ऑक्सीजन का उत्पादन होता है, जिसमें से 600 मीट्रिक टन कोविड रोगियों द्वारा उपयोग किया जाता है.पिछले हफ्ते, डॉ भोंडवे ने एनडीटीवी से कहा था कि "जो जरूरत है उसका 60 प्रतिशत ही आपूर्ति की जा रही है", जिसने पूरे राज्य में ऑक्सीजन की कालाबाजारी को बढ़ावा दिया है.उन्होंने इसे प्रशासन की भारी विफलता बताते हुए कहा, "महाराष्ट्र के पुणे, सोलापुर, सतारा, उस्मानाबाद, ठाणे, कोल्हापुर के कई ऐसे जिलों में ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं हो रही है."

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