अब कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे एंप्लॉयीज़ का डेटाबेस बनाएगा रेलवे, संगठित क्षेत्र की तरह देगा फायदा

अनुबंध सेवा की नयी सामान्य शर्तों (जीसीसी) के तहत रेलवे ने पुलों, इमारतों के निर्माण, आमान परिवर्तन से जुड़े ठेकेदारों के नियम और शर्तें सेवा प्रदाता क्षेत्र से जुड़े कर्मियों से अलग होंगी. इसे कार्यकारी निदेशकों की समिति ने तैयार किया था और रेलवे बोर्ड में मंजूरी दी है. इन सेवा शर्तों की एक प्रति पीटीआई-भाषा के पास मौजूद है.

अब कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे एंप्लॉयीज़ का डेटाबेस बनाएगा रेलवे, संगठित क्षेत्र की तरह देगा फायदा

प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली:

रेलवे गैर संचालन क्षेत्र, मसलन रखरखाव, साफ-सफाई, परामर्शकार्य, प्रशिक्षण और ऐसी दूसरी सेवाओं में लगे अनुबंध कर्मियों का डेटाबेस तैयार करेगा जिससे किसी भी तरह के श्रम अधिकारों के उल्लंघन पर नजर रखी जा सके. अनुबंध सेवा की नयी सामान्य शर्तों (जीसीसी) के तहत रेलवे ने पुलों, इमारतों के निर्माण, आमान परिवर्तन से जुड़े ठेकेदारों के नियम और शर्तें सेवा प्रदाता क्षेत्र से जुड़े कर्मियों से अलग होंगी. इसे कार्यकारी निदेशकों की समिति ने तैयार किया था और रेलवे बोर्ड में मंजूरी दी है. इन सेवा शर्तों की एक प्रति पीटीआई-भाषा के पास मौजूद है.

नयी नीति में पहली बार डिजिटल अनुबंध श्रम प्रबंधन प्रणाली पेश की गयी है जो रेलवे में सेवा प्रदान कर रहे सभी अनुबंध कर्मियों का एक डेटाबेस होगी.

जीसीसी में कहा गया है, ‘‘ जैसा रेलवे द्वारा अनुबंध की विशेष शर्त के तौर पर तय किया गया है यह प्रणाली ठेकेदार या भारतीय रेलवे द्वारा लगाई जायेगी. इस प्रणाली का इस्तेमाल उन अनुबंध सेवाओं में अनिवार्य होगा जहां श्रमिकों की अधिकता होती है.’’

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कंप्यूटरीकृत प्रणाली में एक डेटाबेस होगा जिसमें सभी कर्मचारियों के व्यक्तिगत विवरण, पुलिस वेरिफिकेशन, चिकित्सा बीमा, भविष्य निधि पंजीकरण, भारत सरकार द्वारा जारी पहचान प्रमाण पत्र, उपस्थिति आंकड़े, शिफ्ट, सुरक्षा और श्रम कानून प्रशिक्षण व वेतन के विवरण होंगे.
 


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