क्या से क्या हो गए देखते-देखते! जब कुमारस्वामी का शपथग्रहण बना था विपक्षी एकता की मिसाल, PM मोदी को हराने का था सपना

सरकार में अंदर ही अंदर ही उबाल था लेकिन किसी तरह से वह चल रही थी. इसके बाद लोकसभा चुनाव आया और दोनों पार्टियों के गठबंधन पर फिर एक संकट आ गया. कांग्रेस के रवैये से सीएम कुमारस्वामी नाराज थे क्यों कि कांग्रेस के नेता अब उनकी सरकार गिराने की धमकी भी दे रहे थे.

क्या से क्या हो गए देखते-देखते! जब कुमारस्वामी का शपथग्रहण बना था विपक्षी एकता की मिसाल, PM मोदी को हराने का था सपना

कुमारस्वामी के शपथग्रहण बना था विपक्षी एकता की मिसाल

खास बातें

  • ऐतिहासिक था कुमारस्वामी का शपथग्रहण
  • विपक्षी एकता का बना था मिसाल
  • देखा गया था पीएम मोदी को हराने का सपना
नई दिल्ली:

कर्नाटक के मंत्री एवं निर्दलीय विधायक एच. नागेश ने एचडी कुमारस्वामी की अगुवाई में चल रही गठबंधन सरकार से समर्थन वापस ले लिया है और इसके साथ ही उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. इस नए घटनाक्रम के चलते राज्य सरकार पर संकट और गहरा गया है. उधर कांग्रेस के सांसदों ने संसद में भी इस मुद्दे को जोर शोर से उठाया है. कांग्रेस आरोप लगा रही है कि मोदी सरकार राज्य सरकार को अस्थिर करने की कोशिश रही है और इसके लिए वह राजभवन का इस्तेमाल कर रही है. वहीं डिप्टी सीएम जी परमेश्वरा ने कहा है कि अगर जरूरत पड़ी तो कांग्रेस के सभी मंत्री इस्तीफा दे देंगे और उनकी जगह पर नाराज विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है. फिलहाल देखने वाली बात यह होगी कि राज्यपाल को इस्तीफा सौंप चुके विधायक कितनी सुनते हैं. लेकिन इस नए घटनाक्रम से इतर अगर हम पीछे जाएं तो पता चलेगा कि जबसे राज्य में कांग्रेस और जेडीएस गठबंधन की सरकार बनी है वह लगातार छिचकोले खा रही है. साल 2018 में हुए चुनाव में बीजेपी राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और उसको 104 सीटें मिली थीं. लेकिन वह बहुमत से 10 सीटें पीछे रह गई. तत्कालीन सीएम सिद्धारमैया की अगुवाई में कांग्रेस को 78 और जेडीएस को 38 सीटें मिलीं. खास बात यह है कि राज्य में तीनों ने ही अलग-अलग चुनाव लड़ा था.  इसके बाद बड़ी पार्टी होने के नाते बीजेपी के बीएस येदियुरप्पा को सरकार बनाने का मौका दिया उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ भी ली. कई दिनों तक चले नाटकीय घटनाक्रम के बाद जिसमें कांग्रेस को अपने विधायकों को होटल तक में बंद करना पड़ा, के बाद बीजेपी को बहुमत का आंकड़ा नहीं जुटा पाई और विधानसभा में बिना शक्ति परीक्षण के ही सीएम पद से इस्तीफा दे दिया.

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इसके बाद राज्य में एक और महत्वपूर्ण घटनाक्रम के तहत कांग्रेस और जेडीएस ने मिलकर सरकार बनाने की घोषणा कर दी. दोनों की सीटें मिलाकर बहुमत के जरूरी आंकड़े से ज्यादा थीं. कांग्रेस ने सीएम पद का दावा छोड़ते हुए जेडीएस नेता कुमारस्वामी को सीएम बनाने की घोषणा कर दी. यह एक बड़ा घटनाक्रम था जिसे कांग्रेस के लिए राजनीतिक संजीवनी माना गया क्योंकि कुमारस्वामी का शपथग्रहण विपक्षी एकता का भी मंच बन गया था. इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए मायावती, अखिलेश यादव, ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल और विपक्ष के तमाम दिग्गज पहुंचे थे. सरकार बनने के बाद कुछ दिन तक तो सब ठीक था लेकिन अंदर ही अंदर मंत्रिमंडल के बंटवारे और डिप्टी सीएम पद के लिए खींचतान जारी थी. कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता खुद को उपेक्षित समझ रहे थे. इसी बीच कई मु्द्दों पर मतभेद खुलकर सामने आने लगे और कुमारस्वामी ने राहुल गांधी से मिलकर कांग्रेस नेताओं को समझाने के लिए कहा. लेकिन हालात नहीं संभले और एक दिन सीएम कुमारस्वामी ने सार्वजनिक मंच पर रोते हुए कहा, 'आप मेरा मान-सम्मान रखने के लिए गुलदस्ते के साथ खड़े हैं, क्योंकि आपका भाई सीएम बन गया है और आप सभी खुश हैं, लेकिन मैं नहीं हूं. मुझे गठबंधन सरकार का दर्द पता है. मैं विषकांत बन गया और इस सरकार के दर्द को निगल लिया.'

सरकार में अंदर ही अंदर ही उबाल था लेकिन किसी तरह से वह चल रही थी. इसके बाद लोकसभा चुनाव आया और दोनों पार्टियों के गठबंधन पर फिर एक संकट आ गया. कांग्रेस के रवैये से सीएम कुमारस्वामी नाराज थे क्यों कि कांग्रेस के नेता अब उनकी सरकार गिराने की धमकी भी दे रहे थे. इस पर कुमारस्वामी ने खुले मंच पर कांग्रेस से कहा कि वह जेडीएस के साथ चौथे दर्जे के चपरासी की तरह न पेश आए. इतना ही नहीं मंच पर प्रचार के दौरान फिर एक बार कुमारस्वामी के आंसू निकल आए. इस बार उन्होंने कहा, हर रोज मीडिया में कहा जा रहा है कि कल मैं चला जाउंगा (सीएम के पद से). लेकिन लोकसभा चुनाव के नतीजों से सारी कसर पूरी दी. राज्य की 28 सीटों में बीजेपी ने 25 सीटें जीत लीं और एक सीट भी उसके समर्थन से प्रत्याशी जीती. कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के पास सिर्फ 2 ही सीटें आईं. पीएम मोदी पहले से और अधिक ताकतवर बनकर उभरे. उसी के बाद से माना जाने लगा था कि कर्नाटक सरकार अब ज्यादा दिन की सरकार नहीं है. और अब 11 विधायक इस्तीफा देकर मुंबई के होटल में ठहरे हैं और कांग्रेस-जेडीए मिलकर सत्ता बचाने के लिए जूझ रहे हैं.

क्या है अभी का समीकरण
कर्नाटक विधानसभा में कुल 225 सीटें हैं. इसमें 1 सीट नामांकित हैं. वर्तमान में 78 सीट कांग्रेस, 37 जेडीएस, बसपा 1, निर्दलीय-2, बीजेपी 105 और अन्य अन्य के खाते में कुल 1 सीट है. गठबंधन का दावा था कि उसके पास 118 विधायक हैं. अब 14 विधायकों के इस्तीफे के बाद विधायकों की संख्या 210 और बहुमत के लिए 106 विधायकों की जरूरत होगी. बीजेपी के पास पहले ही 105 विधायक हैं.

कैसे बच सकती है सरकार
अगर कांग्रेस अपने नाराज विधायकों को यह समझाने में कामयाब हो जाती है कि अगर चुनाव हुए तो सबकी हार होगी क्योंकि लोकसभा चुनाव नतीजे सभी देख चुके हैं. इसलिए साथ बने रहने में भी भलाई है.

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