Farm laws: चर्चा के पहले बोले किसान नेता, 'सरकार को प्रस्‍ताव ठुकराने की जानकारी देंगे, कानून रद्द करने की मांग करेंगे'

सरकार की ओर से बुधवार को कृषि कानूनों को डेढ़ साल के लिए रोकने का प्रस्‍ताव किसानों के समक्ष रखा गया था लेकिन किसानों ने इसे अस्‍वीकार कर दिया है.

Farm laws: चर्चा के पहले बोले किसान नेता, 'सरकार को प्रस्‍ताव ठुकराने की जानकारी देंगे, कानून रद्द करने की मांग करेंगे'

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खास बातें

  • कानून रद्द करने की अपनी मांग पर अडिग हैं किसान
  • कहा, MSP की लीगल गारंटी के लिए नया कानून बने
  • किसानों 'समर्थकों' को NIA के नोटिस की जानकारी भी सरकार को देंगे
नई दिल्‍ली:

Kisan Aandolan: कृषि कानूनों (Farm laws) को लेकर केंद्र सरकार और किसानों के बीच का गतिरोध खत्‍म होने का नाम नहीं ले रहा है. किसान इन तीनों कानूनों को रद्द करने की अपनी मांग पर अडिग हैं और उन्‍होंने सरकार की ओर से रखे गए प्रस्‍ताव को अपनी ठुकरा दिया है. सरकार की ओर से बुधवार को कृषि कानूनों को डेढ़ साल के लिए रोकने का प्रस्‍ताव किसानों के समक्ष रखा गया था लेकिन किसानों ने इसे अस्‍वीकार कर दिया है. दोनों पक्षों के बीच आज 11वें दौर की बैठक (Talk Between government and Farmers) हो रही है. बैठक के पहले ऑल इंडिया किसान सभा के नेता बालकरण सिंह बरार और पंजाब के किसान नेता बलदेव सिंह और लखबीर सिंह ने NDTV से बात की.

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तीनों नेताओं ने कहा, 'आज की बैठक में हम सरकार के सामने औपचारिक तौर पर कृषि मंत्री के प्रस्ताव को खारिज करने के अपने फैसले से अवगत कराएंगे. हम मांग करेंगे कि तीनों कानूनों को रद्द किया जाए और न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य (MSP) की लीगल  गारंटी के लिए नया कानून सरकार बनाए.किसान नेताओं ने कहा कि‍ किसानों के पक्ष में खड़े जिन नेताओं, कार्यकर्ताओं और संगठनों को एनआईए की नोटिस दी गई है उसकी जानकारी भी किसान संगठनों की तरफ से सरकार के सामने रखी जाएगी.हम कृषि मंत्री से यह भी मांग करेंगे कि 26 जनवरी को किसानों को शांतिपूर्वक ट्रैक्टर रैली निकालने के लिए हमें रूट मुहैया कराई जाए.

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भारतीय किसान यूनियन (असली) के नेता चौधरी हरपाल सिंह ने कहा कि 26 जनवरी को हम दिल्ली के रिंग रोड के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में ट्रैक्टर रैली निकालेंगे. पूरे यूपी में विरोध प्रदर्शन होंगे. उन्‍होंने कहा कि जब तक भारत सरकार तीनों कानून रद्द नहीं करती, चाहे 6 महीना लगे या एक साल, हमारा विरोध जारी रहेगा. यह आर-पार की लड़ाई है.

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