कर्नाटक चुनाव से पहले भले ही इस बात के संकेत मिल रहे थे कि किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत प्राप्त नहीं होगा, बावजूद इसके लोग इस बात को लेकर आश्वस्त थे कि भारतीय जनता पार्टी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह की रणनीति किसी न किसी तरह से बीजेपी को सत्ता में ले ही आएगी. हालांकि, ऐसा हुआ भी, मगर कांग्रेस के 'चाणक्य' के सामने अमित शाह की रणनीति धरी की धरी रह गई और बीजेपी की येदियुरप्पा सरकार ढाई दिन में ही गिर गई. भले ही कर्नाटक का क्लाईमेक्स अब धीरे-धीरे अपने अवसान पर है, मगर इसके बावजूद लोगों की दिलचस्पी इस बात में बनी हुई है कि आखिर लगातार विजय पताका लहराने वाली पार्टी बीजेपी को कर्नाटक में किस शख्स ने पटखनी दी कि येदियुरप्पा को बहुमत साबित करने से पहले ही इस्तीफा देना पड़ गया. दरअसल, कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस ने अगर मिलकर बीजेपी को सत्ता में बने रहने से रोका है, तो उसका सारा क्रेडिट कांग्रेस के विधायक और कद्दावर नेता डी. के. शिवकुमार को जाता है.
एचडी कुमारस्वामी के शपथग्रहण से निकलेगा 2019 का रास्ता? इन नेताओं को निमंत्रण दे विपक्षी का मेगा शो बनाने की तैयारी
दरअसल, कांग्रेस के डी.के. शिवकुमार ने अपने दांव-पेंच और चाणक्य नीति से ऐसा बंदोबस्त किया कि बहुमत न होने के बाद भी आनन-फानन में सरकार बनाने वाली बीजेपी को सत्ता से हटना पड़ा और सीएम की कुर्सी कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के लिए छोड़नी पड़ी. डी. के. शिवकुमार ही वह कांग्रेसी नेता हैं, जिन्होंने अपने सभी विधायकों को बीजेपी की सेंधमारी से बचाए रखा और एक भी विधायक को टूटने नहीं दिया. जब बीजेपी बहुमत के आंकड़े को छूने के लिए एक-एक विधायक की जुगत में थी, तब कांग्रेस के लिए संकटमोचक की भूमिका में डी. के शिवकुमार ने पार्टी की नैया को संभाले रखा और बीच मझधार में डूबने से बचाया.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं