फसल बीमा या फ्रॉड बीमा ? किसानों को कम, बीमा कंपनियों को भारी फायदा

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) की जानिए कड़वी हकीकत. किसानों की जेब से और सरकार के अंशदान से कैसे बीमा कंपनियां हो रहीं मालामाल...

फसल बीमा या फ्रॉड बीमा ?  किसानों को कम, बीमा कंपनियों को भारी फायदा

प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री फसल बीमा को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. किसानों का कहना है कि फसल बीमा के प्रीमियम तो काटे जाते हैं लेकिन समय पर पैसा नहीं मिलता है. 29-30 नवंबर को दिल्ली में हुई किसान रैली में ज्यादा से ज्यादातर किसान  फसल बीमा को लेकर सवाल उठा रहे थे. किसी को फसल नष्ट होने के बाद बीमा का मुआवजा नहीं मिला था तो किसी को बहुत कम पैसा मिला था और किसी को पैसे मिलने के लिए कई महीने लग गए थे. कृषि मंत्रालय की तरफ से फसल बीमा को लेकर पूरा डाटा तैयार किया गया है. इस डाटा को जब आप गौर से देखेंगे तो आप को फसल बीमा की असलियत का पता चलेगा. इस डाटा से पता जाता है फसल बीमा से किसानों को नहीं बीमा कंपनियों को ज्यादा फ़ायदा हुआ है.  

बीमा कम्पनियों को प्रीमियम का कितना पैसा मिला
कृषि मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि 2016 खरीफ फसल के लिए कुल-मिलाकर 4 करोड़ दो लाख 36 हज़ार 472 किसानों ने किसानों ने फसल बीमा करवाया और प्रीमियम के रूप में करीब 2919 करोड़ दिए. यह रुपये किसानों ने दिया क्यों कि फसल बीमा के नियम के तहत कुछ पैसा किसान अपने पॉकेट से देते हैं कुछ केंद्र सरकार देती है और कुछ  राज्य सरकार. किसानों के पैसे का औसत निकाला जाए तो एक किसान प्रीमियम के रूप में अपने पॉकेट से 725 रूपया दिया है. केंद्र सरकार और राज्य सरकार कुल-मिलाकर 13357 करोड़ के करीब प्रीमियम बीमा कंपनियों को दिए हैं. किसानों की प्रीमियम, केंद्र और राज्य सरकार की प्रीमियम मिला दिया जाए तो कुल-मिलाकर 16276 करोड़ के करीब प्रीमियम बीमा कंपनियों को दिया गया यानी अगर औसत निकाला जाए तो एक किसान के लिए कुल-मिलाकर 4045  के करीब प्रीमियम बीमा कंपनियों को दिया गया है. 

किसानों का क्या फ़ायदा हुआ ?  
कृषि मंत्रालय के आंकड़े हिसाब से कुल-मिलाकर 4 करोड़ 23 लाख 6472 किसानों का बीमा हुआ था.  जिसमें से सिर्फ दो करोड़ 59 लाख 85453 किसानों को फसल नष्ट हो जाने के बाद बीमा का पैसा मिला है यानी  एक करोड़ 42 लाख 51019 किसानों को फ़ायदा नहीं हुआ. इसमें वो किसान होंगे जो बीमा करवाए थे लेकिन फसल नष्ट नहीं हुआ तो स्वभाविक बात है बीमा का फ़ायदा उन्हें नहीं हुआ और वो किसान भी है जिनके फसल नष्ट होने के बावजूद भी बीमा की राशि नहीं मिली है जो सवाल किसान उठा रहे हैं. अब पैसे पर आते हैं ,कृषि मंत्रालय के डाटा के हिसाब से 2 करोड़ 59 लाख 85453 किसानों को कुल-मिलाकर 10425 करोड़ के करीब बीमा की धनराशि मिली.  तो उसी के हिसाब से देखा जाए जो बीमा कंपनियों को बीमा के रूप में कुल मिलाकर 16276 करोड़ दिए गए और किसानों को 10425 करोड़ मिले यानी 5851 करोड़ बीमा कंपनियों को फ़ायदा हुआ. सबसे चौकाना वाला आंकड़ा यह है कि बीमा कंपनियों को प्रीमियम के रूप में एक किसान के लिए करीब 4045 रुपये दिया गया जबकि फसल नष्ट हो जाने के बाद एक किसान को बीमा के रूप में औसतन 4011 के करीब मिला. यानी एक किसान के लिए जीतना बीमा पैसा भरा गया,फसल नष्ट हो जाने के बाद बीमा के रूप में उसे कम पैसा मिला. 

2017 में किसानों का प्रीमियम बढ़ गया
2017 खरीफ फसल के लिए कुल-मिलाकर तीन करोड़ 46 लाख 52622  किसानों का बीमा हुआ. जबकि 2016 में 40236472 किसानों ने बीमा करवाया था यानि 5583850 कम हो गया. इसे आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि फसल बीमा से किसान क्यों भाग रहा है. किसान अपने पॉकेट से 3055 करोड़ के करीब प्रीमियम भरा यानी एक किसान का औसत प्रीमियम 881 रूपया रहा. 2016 में  एक किसान प्रीमियम के रूप में अपने पॉकेट से 725 रुपये के करीब दिया था तो 2017 में 156 रूपया ज्यादा , किसानों ने अपने पॉकेट से दिया. 2017 में केंद्र सरकार और राज्य सरकार कुल-मिलाकर 16204 करोड़ के करीब प्रीमियम बिमा कंपनियों दिए , यानी किसान और सरकार कुल-मिलाकर  19259 करोड़ प्रीमियम कंपनियों को दिया गया. अगर औसत निकाला जाए तो एक किसान के लिए प्रीमियम के रूप में 4786 रुपये बीमा कंपनियों को दिए गए. 2016 में एक किसान के लिए 4045 के करीब प्रीमियम भरे गए थे यानी 2017 में एक किसान के लिए 700 रूपया प्रीमियम ज्यादा दिया गया. 

क्या फ़ायदा हुआ ?
अब फायदे पर आते हैं.  2017 में तीन करोड़ 46 लाख 52622 किसानों ने बीमा करवाये थे. उसमें से 1 करोड़ 21 लाख 46456 किसानों को फसल नष्ट हो जाने के बाद बीमा का पैसा मिला.  यानी 22506166 किसानों को बीमा से कोई पैसा नहीं मिला. जैसा मैंने पहले भी बोला था इसमें वो किसान होंगे जो बीमा करवाए थे लेकिन उनकी फसल नष्ट नहीं हुई और वो किसान भी है जो बीमा करवाए थे फसल नष्ट हुए लेकिन फिर भी बीमा के पैसे नहीं मिले.  अब रुपये पर आते हैं। एक करोड़ 21 लाख 46456 किसानों को बीमा कंपनियों की तरफ से फसल नष्ट हो जाने के बाद कुल-मिलाकर 15181 करोड़ के करीब मुआवजा दिया गया. बीमा कंपनी को 19259 करोड़ के रूप में प्रीमियम मिले और 15181 करोड़ बीमा के रूप में किसानों को मिले तो इस लिहाज़ से बिमा कंपनियों  को 4070 करोड़ के करीब को फ़ायदा हुआ. 2016 और 2017 को मिला दिया जाए जो खरीफ फसल के लिए हुए बीमा से बीमा कंपनियों को 9921 करोड़ फ़ायदा हुआ. 


रबी फसलों के लिए बीमा से कितना फ़ायदा हुआ
अब 2016-17 रबी फसल की बात करते हैं. 2016-17 में 16980719 किसानों का फसल बीमा हुआ और किसानों ने 1291 करोड़ के करीब प्रीमियम के रूप में दिए. यानी एक किसान ने अपने पॉकेट से 760 रूपया प्रीमियम के रूप में दिया. केंद्र और राज्य सरकार ने अपने पॉकेट से कुल-मिलाकर 4625  करोड़ दिए. यानी कुल मिलाकर 5916 करोड़ के करीब प्रीमियम बीमा कंपनियों को दिया गया. अगर किसानों को पेमेंट की बात की जाए तो 16980719 में से सिर्फ 3378301 किसानों को बीमा पैसे के रूप में कुल मिलाकर 5464 करोड़ मिले. यानी 452 करोड़ बीमा कंपनियों को फ़ायदा हुआ.  ये सब आंकड़े बताते हैं कि फसल बीमा से किसानों को नहीं बल्कि ज्यादा से ज्यादा बीमा कंपनियों को फ़ायदा हुआ है. कई किसान यह भी आरोप लगाते हैं कि बीमा के रूप में किसी को दस रुपये मिले हैं तो किसी को सौ रुपये.  राज्य पर एक बार नज़र डाला जाये तो कई राज्य ऐसे भी हैं जहां पर एक किसान को भी बीमा का फ़ायदा नहीं हुआ है. 2017 में खरीफ फसल के लिए मेघालय से 2945 किसानों ने बीमा करवाया था. लेकिन एक भी किसानों को फ़ायदा नहीं हुआ है. अगर सिक्किम की बात की जाए तो 2017 खरीफ फसल के लिए सिक्किम से 793 किसानों ने बीमा करवाया था. लेकिन एक भी किसान को बीमा का मुवावजा नहीं मिला है. हम यह पता नहीं लगा पाए हैं कि मेघालय और सिक्किम से जीतने किसान बीमा किये थे क्या उनमें से किसी का फसल नष्ट नहीं हुआ है या फिर कुछ और मामला है.

क्या है प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhanmantri fasal bima yojana): 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नें 13 जनवरी 2016 को एक योजना लागू की. नाम है प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY). इस योजना को लागू करने का मकसद किसानों को खराब मौसम के चलते फसल नुकसान से सुरक्षा कवच प्रदान करना था.  यह कहा गया था कि बीमा दावे के निपटान की प्रक्रिया को तेज और आसान बनाने का निर्णय लिया गया है ताकि किसान फसल बीमा योजना के संबंध में किसी परेशानी का सामना न करें. यह योजना भारत के हर राज्य में संबंधित राज्य सरकारों के साथ मिलकर लागू की  गयी है.इस बीमा में यह बात कही गई है कि किसानों द्वारा सभी खरीफ फ़सलों के लिए केवल दो प्रतिशत एवं सभी रबी फसलों के लिए डेढ़ प्रतिशत का एक समान प्रीमियम का भुगतान किया जायेगा. वार्षिक वाणिज्यिक और बागवानी फसलों के मामले में प्रीमियम केवल पांच प्रतिशत होगा. सरकार यह मानती है की किसानों के द्वारा भुगदान किया प्रीमियम बहुत कम है और केंद्र और राज्य सरकार मिलकर बाकी प्रीमियम बीमा कंपनियों को देंगे. सरकारी सब्सिडी पर कोई ऊपरी सीमा नहीं है. भले ही शेष प्रीमियम 90% हो, यह सरकार द्वारा वहन किया जाएगा.इससे पहले, प्रीमियम दर पर कैपिंग का प्रावधान था जिससे किसानों को कम कम दावे का भुगतान होता था. अब इसे हटा दिया गया है और किसानों को बिना किसी कटौती के पूरी बीमित राशि का दावा मिलेगा.

योजना के उद्देश्य
प्राकृतिक आपदाओं,कीट और रोगों के चलते फसल में किसी भी तरह के नुकसान की स्थिति में किसानों को बीमा कवरेज और वित्तीय सहायता प्रदान करना इस योजना का मकसद है. कृषि में किसानों की तरक्की सुनिश्चित करने के लिए उनकी आय को स्थायित्व देने की भी इस योजना के तहत मंशा है..किसानों को कृषि में नए-नए आइडिया और आधुनिक पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने के साथ कृषि क्षेत्र में ऋण के प्रवाह को भी सुनिश्चित कराने की बात है.

 


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