महाराष्‍ट्र: रणजीत को ग्‍लोबल टीचर अवार्ड, इनाम की राशि का 50% अन्‍य फाइनलिस्‍टों के साथ करेंगे शेयर

गुरुवार को लंदन स्थित वार्की फाउंडेशन की ओर से ग्लोबल टीचर पुरस्कार के लिए जब अभिनेता स्टीफेन फ्राय ने रणजीत सिंह डिसले के नाम की घोषणा की, तब रणजीत शुरुआत में विश्वास ही नहीं कर पाए कि वो इस अवार्ड को जीत चुके हैं.

महाराष्‍ट्र: रणजीत को ग्‍लोबल टीचर अवार्ड, इनाम की राशि का 50% अन्‍य फाइनलिस्‍टों के साथ करेंगे शेयर

खास बातें

  • बालिकाओं की शिक्षा के लिए किया है काफी काम
  • QR कोड के जरिये लोगों की किताबों तक बढ़ाई पहुंच
  • सोलापुर जिले में प्राइमरी टीचर है रणजीत सिंह
मुंबई्र:

महाराष्ट्र के सोलापुर जिला परिषद के प्राइमरी शिक्षक रणजीत सिंह डिसले (Ranjit sinh Disale) को ग्लोबल टीचर पुरस्कार (Global Teacher Prize 2020) से सम्मानित किया गया है. रणजीत को लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने और QR कोड के ज़रिए पाठ्यपुस्तक को ज़्यादा से ज़्यादा छात्रों तक पहुंचाने की कोशिश के फलस्‍वरूप यह 'इनाम' मिला है. गुरुवार को लंदन स्थित वार्की फाउंडेशन की ओर से ग्लोबल टीचर पुरस्कार के लिए जब अभिनेता स्टीफेन फ्राय ने रणजीत सिंह डिसले के नाम की घोषणा की, तब रणजीत शुरुआत में विश्वास ही नहीं कर पाए कि वो इस अवार्ड को जीत चुके हैं. सात करोड़ की राशि वाले इस अवार्ड से रणजीत को इसलिए नवाज़ा गया क्योंकि उन्होंने अपने इलाके में लड़कियों की पढ़ाई को बढ़ावा दिया और QR कोड के ज़रिए पाठ्यपुस्तकों को ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंचाया. 

महाराष्ट्र के टीचर ने जीता 10 लाख अमेरिकी डॉलर का पुरस्कार

रणजीत बताते हैं, 'हमने जो QR कोड किताबों पर चिपकाए थे, उसमें उस चैप्टर से जुड़ी कई जानकारी होती है. मान लीजिए आप QR कोड स्कैन करते हैं तो आपको उस छोर से जुड़ी जानकारी, एनिमेटेड वीडियो और ऑडियो मिल जाता है. यह अहम पुरस्‍कार जीतने के बाद दरियादिली दिखाते हुए 31 वर्षीय रणजीत ने 7 करोड़ की इनामी राशि में से 50 फीसदी राशि अंतिम दौर में पहुंचने वाले 9 अन्य टीचर्स के साथ बांटने का ऐलान किया. पुरस्‍कार मिलने के बाद से ही उनके घर पर लोगों का आना जाना लगा है..  घर वाले उनके इस जीत से बहुत ही खुश हैं..

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

रणजीत की माँ कहती हैं कि पुरस्‍कार मिलने की खबर सुनकर बहुत खुशी हुआ. इस खुशी को बयां करने के लिए मेरे पास शब्द ही नहीं हैं. रणजीत के पिता बाइट: महादेव डिसले ने कहा, कोरोना काल में QR कोड के वजह से बहुत लोगों ने पढ़ाई शुरू की. जब बेटे का नाम का अवार्ड के लिए ऐलान किया गया तो उससे हमें बहुत खुशी हुई, बहुत अभिमान हुआ. रणजीत ने 2009 में जब सोलापुर ज़िला परिषद के स्कूल में पढ़ाना शुरू किया था तब इमारत की हालत खराब थी, लेकिन धुन के पक्‍के इस टीचर ने पिछले 12 सालों में कड़ी मेहनत कर कई बदलाव लाए QR कोड के ज़रिए मिलने वाले पाठ्यक्रम का भी फायदा लोगों को हुआ और इनके इस कदम के वजह से गाँव में बाल विवाह लगभग बंद हो गए और स्कूलों में लड़कियों का अटेंडेंस 100 फीसदी गई. जितना बदलाव एक शिक्षक समाज में ला सकता है, शायद कोई और ही उतना बदलाव समाज में ला सके.