CBI के अधिकार पर मोदी सरकार से नई लड़ाई मोल लेने को तैयार उद्धव ठाकरे, TRP घोटाले की जांच है वजह?

केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई को दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टेब्लिशमेंट एक्ट 1946 के तहत पूरे देश मे जांच का अधिकार मिला है और इसके लिए राज्य सरकारों की आम सहमति मिली है लेकिन 21 अक्टूबर को महाराष्ट्र सरकार ने आम सहमति वापस लेकर सीबीआई को बड़ा झटका दिया है.

CBI के अधिकार पर मोदी सरकार से नई लड़ाई मोल लेने को तैयार उद्धव ठाकरे, TRP घोटाले की जांच है वजह?

उद्धव ठाकरे सरकार ने CBI को जांच के लिए मिली आम सहमति रद्द कर दी है. (फाइल फोटो)

मुंबई:

सुशांत सिंह राजपूत संदिग्ध मौत के बाद अब एक बार फिर महाराष्ट्र सरकार और केंद्र सरकार की मोदी सरकार आमने-सामने हैं. महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार (Udhhav Thackeray) ने केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई (Central Bureau of Investigation) को मिली आम सहमति रद्द कर दी है. मतलब यह कि आगे से सीबीआई को महाराष्ट्र में अगर किसी केस की जांच करनी है तो उसे महाराष्ट्र सरकार की अनुमति लेनी होगी. सुशांत सिंह राजपूत केस में झटका खाने के बाद महाराष्ट्र सरकार सचेत हो गई है. TRP घोटाले की जांच भी उसके हाथ से ना निकल जाए इसलिए राज्य सरकार ने केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई को दी गई आम सहमति रद्द कर दी है.

केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई को दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टेब्लिशमेंट एक्ट 1946 के तहत पूरे देश मे जांच का अधिकार मिला हुआ है और इसके लिए राज्य सरकारों की आम सहमति मिली है, लेकिन 21 अक्टूबर को महाराष्ट्र सरकार ने आम सहमति वापस लेकर सीबीआई को बड़ा झटका दिया है. जाहिर है बीजेपी को ये फैसला नागवार लग रहा है.

बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने इस कदम पर कहा कि 'ठाकरे सरकार की कांग्रेस-शिवसेना-NCP की सरकार को लगता है कि सीबीआई से उनके घोटाले उजागर हो जाएंगे.'

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वैसे महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले के पीछे TRP घोटाले की जांच हाथ से निकलने का डर है. 20 अक्टूबर को लखनऊ में ऐसी ही एक TRP केस की जांच सीबीआई को दे दी गई. महाराष्ट्र सरकार को शक है कि TRP घोटाले में घिरी रिपब्लिक टीवी को बचाने के लिए केंद्र सरकार सीबीआई का दुरुपयोग कर सकती है. महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि 'हो सकता है कि मुंबई TRP केस सीबीआई को देने का दबाव पड़ सकता है, इसलिए सीबीआई को इस राज्य में जांच के लिए सरकार की इजाजत लेनी होगी.'

ऐसा माना जा रहा है कि ठाकरे सरकार के इस फैसले से राज्य और केंद्र सरकार के बीच नया विवाद शुरू हो सकता है. लेकिन ऐसा करने वाली महाराष्ट्र कोई पहली राज्य सरकार नही है. राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल पहले ही यह आम सहमति रद्द कर चुके हैं.

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