महाराष्‍ट्र : जब इस घटना से दुखी CEO ने खुद की तुलना सीता और द्रौपदी से की

महाराष्‍ट्र : जब इस घटना से दुखी CEO ने खुद की तुलना सीता और द्रौपदी से की

यह वाकया 24 अप्रैल का है

मुंबई:

पालघर जिले की सीईओ निधि चौधरी ने खुद को सीता और द्रौपदी जैसे अनुभव से गुजरने की बात कही है. निधि ने अपने निजी ट्वीटर हैंडल पर एक के बाद कई ट्वीट कर अपनी व्यथा व्यक्त की है. हालांकि अपने ट्वीटर हैंडल में निधि चौधरी ने साफ किया है कि ये उनके निजी विचार हैं. निधि का आरोप है कि पूर्व विधायक विवेक पंडित के नेतृत्व में श्रमजीवी संघटना के लोगों ने उन्हें 3 घंटे तक बंधक बना कर रखा. उन्हें जरूरी मीटिंग में नहीं जाने दिया. निधि ने अपने ट्वीट के जरिये व्यवस्था पर भी सवाल उठाया है कि उस दौरान सिर्फ कुछ पुलिस वाले उनकी मदद के लिए थे जबकि जिले के कलेक्टर का दफ्तर पास में ही है. वहां पालक मंत्री भी थे.

उन्‍होंने एनडीटीवी से कहा, 'मैंने अपना काम न्यायरूप से किया है. मुझे किसी से डरने की जरूरत नहीं. मैं अपना काम अपने न्याय दायरे में करती रहूंगी. इस मामले में मैं किसी से नहीं मिली हूं.'

उन्‍होंने एक के बाद एक कई ट्वीट कर कहा, ''काश द्रौपदी आखिरी स्त्री होती जिसे सरेआम प्रताड़ित और लज्जित किया गया . हर औरत की जिंदगी में आज भी महाभारत जारी है . धन्यवाद भारत. युग कोई भी हो सीता की मासूमियत का फायदा उठाने के लिये साधु के वेश में एक नही अनेक रावण आ ही जाते हैं . लेकिन उसे बचाने एक भी राम नही आता. जिला परिषद के लिए क्या यही है पंचायतीराज दिन है . मोर्चा के जरिये पालघर सीईओ ऑफिस में दहशत, मारपीट और दुर्व्यवहार. सीता और द्रौपदी सिर्फ कथा नही हकीकत है.'' इसलिए एक और ट्वीट में उन्होंने लिखा है. ''गुंडों का सामना करने से अच्छा है बंदूक का सामना करना. कारतूस को बत्ती कार से ज्यादा वरीयता मिलनी चाहिए. व्यवस्था में गुंडे भगवान बन चुके हैं.''
 

इस बीच सीईओ की शिकायत पर पुलिस ने विवेक पंडित सहित उनके साथियों को गिरफ्तार कर लिया. 24 अप्रैल को हुए उस वाकये से पालघर जिले में कामकाज ठप्प सा है. एक तरफ पंचायत वसई और विरार जैसी पंचायत समितियों के कर्मचारी भी नाराज होकर हड़ताल पर चले गए वहीं दूसरी तरफ शुक्रवार को विवेक पंडित के समर्थक भी धरना प्रदर्शन कर रहे हैं.

वास्‍तव में यह व्यथा एक आईएएस महिला अधिकारी की है जो खुद को असुरक्षित और प्रताड़ित महसूस कर रही है. इसलिए उन्होंने व्यवस्था पर सवाल खड़ा किया है. यह मामला 24 अप्रैल का है जब आंगनवाड़ी में काम करने वाली महिलाओं के वेतन वृद्धि और दूसरी मांगों को लेकर श्रमजीवी संघटना ने सीईओ का घेराव किया था. निधि चौधरी का कहना है कि विवेक पंडित के नेतृत्व में मोर्चे में आये लोगों ने उन्हें 3 घंटे तक एक प्रकार से बंधक बना कर रखा था. उन्हें एक किलोमीटर दूर ही जिला कार्यालय में आयोजित महत्वपूर्ण मीटिंग में जाना था. वहां जिला कलेक्टर और जिले के पालकमंत्री भी मौजूद थे. लेकिन मोर्चे में आये लोगों ने उन्हें घेरे रखा. ये बताने पर भी कि मोर्चा में जो मांग की गई है वो राज्य और केंद्र सरकार के स्तर की हैं उसमें सीईओ कुछ नहीं कर सकता. मोर्चा अगर ले जाना है तो वहां ले जाएं. इसके बावजूद मोर्चा वहीं जमा रहा.

घटना से आहत निधि चौधरी बताती हैं कि इसलिए उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है कि रावण तो आज भी मौजूद हैं लेकिन महिलाओं को बचाने राम और भीम नहीं आते. निधि का कहना है शांतिप्रिय मोर्चा निकालना लोगों का हक है लेकिन इस तरह घेराव कर बंधक बनाना ये गलत है. निधि ने मोर्चा और घेराव के कुछ वीडियो भी ट्वीटर पर अपलोड किए हैं.

(साथ में प्रसाद काथे)

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