शिवसेना ने कहा- 35ए पर आतंकवाद की भाषा बोल रही हैं महबूबा मुफ्ती, उन्हें जेल भेजा जाए

शिवसेना ने कहा कि “आतंकवाद की भाषा” बोलने के लिए महबूबा मुफ्ती पर संशोधित आतंकवाद निरोधी कानून के तहत मामला दर्ज किया जाना चाहिए.

शिवसेना ने कहा- 35ए पर आतंकवाद की भाषा बोल रही हैं महबूबा मुफ्ती, उन्हें जेल भेजा जाए

शिवसेना ने वार्षिक अमरनाथ यात्रा को रोकने के सरकार के फैसले का समर्थन भी किया.

खास बातें

  • शिवसेना ने कहा कि महबूबा मुफ्ती 35ए पर आतंकवाद की भाषा बोल रही हैं.
  • उनके ऊपर संशोधित आतंकवाद निरोधी कानून के तहत मामला दर्ज किया जाना चाहिए.
  • महबूबा ने कहा था कि अनुच्छेद 35ए को छूने वाले हाथ जला दिए जाने चाहिए.
नई दिल्ली:

Jammu Kashmir News: शिवसेना (Shiv Sena) ने सोमवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती पर अनुच्छेद 35ए (Article 35a) का विरोध करने वालों के खिलाफ “आतंकवाद की भाषा” बोलने के लिए संशोधित आतंकवाद निरोधी कानून के तहत मामला दर्ज किया जाना चाहिए. अनुच्छेद 35ए कश्मीर के स्थायी निवासियों को विशेषाधिकार देता है. अपने मुखपत्र “सामना” के मराठी संस्करण में प्रकाशित संपादकीय में पार्टी ने वार्षिक अमरनाथ यात्रा को रोकने के सरकार के फैसले का भी समर्थन किया.

शिवसेना ने कहा, “(महबूबा) मुफ्ती ने कहा था कि अनुच्छेद 35ए को छूने वाले हाथ जला दिए जाने चाहिए और कश्मीरियों को बलिदान के लिए तैयार रहना चाहिए. “देश के गृह मंत्री को उकसावे एवं विद्रोह की ऐसी भाषा को बर्दाश्त नहीं करना चाहिए. यह आतंकवाद की भाषा है. उन्हें (मुफ्ती को)नये यूएपीए के तहत जेल भेज दिया जाना चाहिए..अगर ऐसा नहीं हुआ तो कश्मीर में दंगे कराने की उनकी साजिश कामयाब हो जाएगी.”

गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून (यूएपीए) में किए गए नये सुधार केंद्र सरकार को किसी व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने और उनकी संपत्ति जब्त करने का अधिकार देती है. इस संशोधन को संसद में दो अगस्त को स्वीकृति मिली थी. संपादकीय में कहा गया, “अमरनाथ यात्रा को बीच में ही रोक देने की आलोचना हो सकती है लेकिन कई बार चार आगे कदम बढ़ने के लिए आपको एक कदम पीछे लेना पड़ता है.''

जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बढ़ाए जाने के विषय पर शिवसेना ने कहा, ‘‘केंद्र सरकार ने कश्मीर में जिस तरीके से सशस्त्र बलों की तैनाती की है और अगर वे आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने की मंशा रखते हैं तो लोगों को बातचीत के जरिए कश्मीर मुद्दा सुलझाए जाने की उम्मीद छोड़ देनी चाहिए. सरकार को बेशक अपनी योजना पर आगे बढ़ना चाहिए.”

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