एमजे अकबर का इस्तीफा: आरोप लगाने वाली पत्रकार प्रिया रमानी ने कही यह बात, जानिये किसने क्या कहा...

प्रिया रमानी ने कहा कि अकबर के इस्तीफ़े से हमें लगता है कि हमारा पक्ष सही साबित हुआ. अब मुझे उस दिन का इंतज़ार है जब मुझे भी अदालत से इंसाफ़ मिलेगा.

एमजे अकबर का इस्तीफा: आरोप लगाने वाली पत्रकार प्रिया रमानी ने कही यह बात, जानिये किसने क्या कहा...

प्रिया रमानी ने ही एमजे अकबर पर सबसे पहले यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था.

नई दिल्ली:

एमजे अकबर (MJ Akbar) ने विदेश राज्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया है. #MeToo अभियान में यौन शोषण का आरोप लगने के बाद एमजे अकबर ने यह कदम उठाया है. इस्तीफे के बाद उन्होंने कहा कि, 'चूंकि मैंने निजी तौर पर कानून की अदालत में न्याय पाने का फैसला किया है, इसलिए मुझे यह उचित लगा कि मैं अपने पद से इस्तीफा दे दूं.' एमजे अकबर ने बयान जारी करके कहा कि मैंने निजी तौर पर अदालत में न्याय पाने का फ़ैसला किया है, मुझे यह उचित लगा कि पद छोड़ दूं और अपने ऊपर लगे झूठे इल्ज़ामों का निजी स्तर पर ही जवाब दूं. इसलिए मैंने विदेश राज्य मंत्री के पद से अपना इस्तीफ़ा दे दिया है. बता दें कि अकबर पर 20 महिला पत्रकारों ने यौन शोषण का आरोप लगाया है.

 


पत्रकार प्रिया रमानी ने अकबर के इस्तीफ़े का स्वागत करते हुए कहा कि महिला होने के नाते, अकबर के इस्तीफ़े से, हमें लगता है, हमारा पक्ष सही साबित हुआ. अब मुझे उस दिन का इंतज़ार है जब मुझे भी अदालत से इंसाफ़ मिलेगा. महिला पत्रकार प्रिया रमानी ने ही अकबर के खिलाफ सबसे पहले यौन उत्पीड़न की शिकायत की थी. बता दें कि एमजे अकबर ने भी प्रिया रमानी के ख़िलाफ़ मानहानि का केस किया है. इस मामले में गुरुवार को सुनवाई होनी है. 
 
उधर, राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने अकबर के इस्तीफे का स्वागत किया है. महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा कि आखिरकार सरकार ने महिलाओं की आवाज सुनी. मुझे इसकी उम्मीद थी. 
 
वहीं, दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष (DCW) स्वाति मालिवाल ने कहा कि आखिरकर एमजे अकबर ने इस्तीफा दे दिया. इस्तीफे में इतने समय तक देरी के लिए उन्हें शर्म आनी चाहिए. इस्तीफे का क्रेडिट न तो अकबर को जाना चाहिए और नहीं केंद्र सरकार को, क्योंकि यह इस्तीफा मीटू अभियान के दबाव के बाद हुआ है. 

द एशियन एज अखबार की रेजिडेंट एडिटर सुपर्णा शर्मा ने कहा कि वह इस्तीफे का स्वागत करती हैं. उन्होंने कहा, 'यह हमारे लिए बड़ा क्षण है. आरोपों की पुष्टि होती है. हालांकि उनके दिल्ली पहुंचते ही यह कदम उठाया जाना चाहिए था, लेकिन अब कम से कम शक्ति असंतुलन नहीं होगा और यह सरकार और रमानी के बीच लड़ाई नहीं होगी.

उधर, अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला संगठन की सचिव कविता कृष्णन ने कहा कि 20 महिलाओं के साहस और प्रतिबद्धता के कारण अकबर को देर से ही सही, लेकिन पद छोड़ना पड़ा. महिला अधिकार कार्यकर्ता रंजना कुमारी ने कहा कि अकबर को शर्म आनी चाहिए कि उन्होंने पहले इस्तीफा नहीं दिया.

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उधर, एशियन एज अख़बार की वर्तमान और पूर्व 19 महिला पत्रकारों ने पटियाला हाउस कोर्ट से अपील की है कि उन्हें भी एमजे अकबर के बारे में अपने अनुभव को बताने का मौका दिया जाए. उन्होंने प्रिया रमानी का समर्थन किया है और कहा है कि प्रिया रमानी अकेली नहीं हैं, वो उनके साथ हैं.

VIDEO : विदेश राज्‍यमंत्री एमजे अकबर ने दिया इस्‍तीफा

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