लोकसभा का मानसून सत्र समाप्त, असाधारण हालात में बने कई रिकॉर्ड

167 प्रतिशत उत्पादकता के साथ इतिहास में सबसे अधिक उत्पादकता वाला रहा मानसून सत्र, कई नए रिकॉर्ड बने, 25 विधेयक हुए पारित

लोकसभा का मानसून सत्र समाप्त, असाधारण हालात में बने कई रिकॉर्ड

लोकसभा का मानसून सत्र बुधवार को समाप्त हो गया.

नई दिल्ली:

संसद (Parliament) का मॉनसून सत्र (Monsoon session) इसकी तय अवधि से पहले समाप्त हो गया. बुधवार को दोपहर में राज्यसभा (Rajya Sabha) का सत्रावसान हो गया और शाम को लोकसभा (Lok Sabha) को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया. इस बार कोविड-19 (Covid-19) की छाया के बीच चले संसद के मानसून सत्र में लोकसभा ने इतिहास रच दिया. मानसून सत्र में लोकसभा की कार्य उत्पादकता 167 प्रतिशत रही जो लोकसभा के किसी भी सत्र में सर्वाधिक है. दस दिन चले सत्र में 25 विधेयक पारित किए गए तथा कई अन्य रिकॉर्ड भी बने.

सत्रहवीं लोकसभा के चौथे सत्र के समापन अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि वैश्विक महामारी के दौरान भी इस सत्र में सदन की कार्य उत्पादकता 167 प्रतिशत रही है जो अन्य सत्रों की तुलना में अधिक है. इस उपलब्धि के लिए आप सभी माननीय सदस्य बधाई के पात्र हैं.

लोकसभा सत्र के आंकड़ों को देखें तो मानसून सत्र की उत्पादकता 167 प्रतिशत रही. इससे पूर्व आठवीं लोकसभा के तीसरे सत्र में कार्य उत्पादकता 163 प्रतिशत रही थी. सत्र के दौरान 21 सितंबर को 234 प्रतिशत उत्पादकता रही जो लोकसभा के इतिहास में किसी एक दिन में सर्वाधिक है. यह पहली बार हुआ जब सत्र के दौरान कोई अवकाश नहीं था. रविवार और सोमवार को दो दिन तक सदन ने देर रात 12.30 बजे तक काम किया. 

कुल 10 बैठकों में 37 घंटे के कार्य के स्थान पर 60 घंटे काम हुआ जो निर्धारित समय से डेढ़ गुना से भी अधिक है. सत्र के दौरान विधायी कार्यों को 68 प्रतिशत तथा अन्य कार्यों को 32 प्रतिशत समय दिया गया. सत्र के दौरान 16 विधेयक पुनर्स्थापित किए गए तथा 25 विधेयक पारित किए गए.

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शून्यकाल की निर्धारित अवधि में कुल 180 सदस्यों को अविलंब लोक महत्व के विषय उठाने थे, जिसकी तुलना में 370 सदस्यों को विषय उठाने का अवसर मिला जो दोगुने से भी अधिक है. सत्र के दौरान 20 सितंबर को कुल 88 सदस्यों ने शून्य काल में अपनी बात रखी तथा 78 महिला सदस्यों में से लगभग 60 महिला सदस्यों को बोलने का अवसर मिला.

नियम 377 के तहत भी लोकसभा का मानसून सत्र के दौरान प्रदर्शन उल्लेखनीय है. 15वीं व 16वीं लोकसभा के चौथे सत्र की तुलना में 17वीं लोकसभा के चौथे सत्र में लगभग दोगुने सदस्यों ने अपने प्रश्न रखे. सरकार की ओर से भी प्रश्न देने की स्थिति में भी प्रदर्शन काफी बेहतर रहा तथा करीब 99 प्रतिशत विषयों के जवाब दे दिए गए. इसके साथ सदन के पटल पर करीब 2300 अतरांकित प्रश्नों का जवाब रखा गया.

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सदन के दौरान स्वास्थ्य सुरक्षा पर भी विशेष ध्यान दिया गया. सांसदों, उनके परिजनों, निजी स्टाफ के साथ लोकसभा अधिकारियों, कर्मचारियों व मीडिया कर्मियों समेत 8029 व्यक्तियों के कोविड टेस्ट किए गए. देश में कोविड पर 5 घंटे 8 मिनट चर्चा भी की गई.