बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद ही बनेंगे भारत के 14वें राष्ट्रपति!

यदि आंकड़ों पर गौर करें, तो एनडीए के पास इलेक्टोरल कॉलेज (राष्ट्रपति चुनाव में मतदान के अधिकारी सांसद तथा विधायक) में पर्याप्त संख्याबल है, और उनके प्रत्याशी का चुनाव अवश्यंभावी लग रहा है.

बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद ही बनेंगे भारत के 14वें राष्ट्रपति!

राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए के प्रत्याशी घोषित किए गए दलित नेता रामनाथ कोविंद किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं...

खास बातें

  • NDA के पास पर्याप्त संख्याबल, उनके प्रत्याशी का चुनाव लगभग तय लग रहा है
  • AIADMK, TDP समर्थन का ऐलान कर चुके, अब TRS ने भी समर्थन दिया
  • नीतीश, लालू, मुलायम और मायावती के लिए भी विरोध आसान न होगा
नई दिल्ली:

भारतीय गणराज्य के 14वें राष्ट्रपति के रूप में केंद्र में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) बिहार के मौजूदा राज्यपाल रामनाथ कोविंद को देखना चाहता है, और गठबंधन के प्रत्याशी के रूप में उनके नाम की घोषणा भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की एक बैठक के बाद की, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल थे. दलित नेता रामनाथ कोविंद एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं, और राजनीतिक दुनिया में प्रवेश करने से पहले लंबे अरसे तक वकील के रूप में भी सक्रिय रहे हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामनाथ कोविंद के नाम की घोषणा हो जाने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी तथा पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह से भी बात की, और एनडीए प्रत्याशी के लिए समर्थन मांगा. बताया जाता है कि रामनाथ कोविंद का नाम सार्वजनिक करने से पहले बीजेपी ने पार्टी के दिग्गज नेताओं लालकृष्ण आडवाणी तथा मुरली मनोहर जोशी को भी उनके चुने जाने की जानकारी दी.

वैसे, प्रधानमंत्री ने माइक्रो-ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर पर रामनाथ कोविंद का परिचय देते हुए एक पोस्ट भी किया. उन्होंने लिखा, "श्री रामनाथ कोविंद, एक किसान के पुत्र, साधारण पृष्ठभूमि से आते हैं... उन्होंने अपना जीवन समाजसेवा के लिए समर्पित कर दिया तथा गरीबों तथा हाशिये पर डाल दिए तबकों के कल्याण के लिए काम किया..."
 


यदि आंकड़ों पर गौर करें, तो एनडीए के पास इलेक्टोरल कॉलेज (राष्ट्रपति चुनाव में मतदान के अधिकारी सांसद तथा विधायक) में पर्याप्त संख्याबल है, और उनके प्रत्याशी का चुनाव अवश्यंभावी लग रहा है. एनडीए के घटक दलों में शिवसेना को छोड़कर सभी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चयनित प्रत्याशी को समर्थन देने का ऐलान किया था, और उनके अलावा तमिलनाडु में सत्तारूढ़ ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (एआईएडीएमके) तथा आंध्र प्रदेश में सत्तासीन तेलुगूदेशम पार्टी (टीडीपी) भी राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए प्रत्याशी को समर्थन देने का ऐलान कर चुके हैं.

इन दोनों दलों के अतिरिक्त रामनाथ कोविंद के नाम की घोषणा के तुरंत बाद तेलंगाना के मुख्यमंत्री तथा तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के प्रमुख के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने भी उन्हें समर्थन की घोषणा कर दी है. केसीआर ने कहा है कि उनकी पार्टी राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए प्रत्याशी रामनाथ कोविंद का समर्थन करेगी, क्योंकि वह दलित नेता हैं, तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके लिए स्वयं फोन कर अनुरोध किया था.

गौरतलब है कि विपक्षी दल अब तक केंद्र सरकार पर कोई भी नाम बताए बिना उनका समर्थन हासिल करने की कोशिश का आरोप लगाते आए हैं, और कहते रहे हैं कि जब तक एनडीए किसी नाम का ऐलान नहीं कर देता, वे यह निर्णय नहीं कर सकते कि राष्ट्रपति पद पर सर्वसम्मत नेता विराजमान होगा, या उसके लिए चुनाव की प्रक्रिया से गुज़रना होगा.

अब जबकि एनडीए प्रत्याशी के रूप में रामनाथ कोविंद के नाम का ऐलान हो गया है, कांग्रेस समेत समूचे संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) तथा वामदलों, तृणमूल कांग्रेस आदि विपक्षी पार्टियों को फैसला करना होगा कि वे राष्ट्रपति पद के लिए अपना प्रत्याशी खड़ा करना चाहते हैं या एनडीए के प्रत्याशी को ही समर्थन देंगे. हालांकि कांग्रेस ने अपनी पहली प्रतिक्रिया में सावधानी बरतते हुए यह तो कहा है कि बीजेपी ने रामनाथ कोविंद के नाम की घोषणा कर एकतरफा फैसला किया है, लेकिन कोविंद तथा उनकी उम्मीदवारी को लेकर कोई टिप्पणी करने से इंकार कर दिया है. संभव है, वह भी अपने सहयोगी दलों से बात करने के बाद बहती हवा का रुख देखकर कोई फैसला करे.

दरअसल, अब यह लगभग तय है कि एनडीए प्रत्याशी रामनाथ कोविंद चुनाव की स्थिति में भी जीत जाएंगे, क्योंकि आवश्यक संख्या एनडीए के पास दिखने लगी है. वैसे, एनडीए के घटक शिवसेना ने भी प्रत्याशी के नाम की घोषणा के बाद फैसला करने की बात कही थी, और संभावना है कि दलित नेता कोविंद के लिए शिवसेना समर्थन दे दे.

उधर, रामनाथ कोविंद के रिश्ते बिहार के मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तथा पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव से भी अच्छे रहे हैं, तथा गवर्नर के रूप में भी उनका व्यवहार कभी पक्षपातपूर्ण नहीं रहा है, सो, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के धुर-विरोधी होने के बावजूद बिहार के इन दोनों दिग्गजों के लिए रामनाथ कोविंद का विरोध करना आसान नहीं होगा, क्योंकि न सिर्फ कोविंद साफ-सुथरी छवि के नेता रहे हैं, बल्कि दलित भी हैं, सो, पिछड़ों के उत्थान की राजनीति करने वाले नीतीश और लालू के लिए एनडीए ने संकट पैदा कर दिया है. ठीक यही स्थिति उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) के मुलायम सिंह यादव और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) प्रमुख मायावती की होगी, क्योंकि ये दोनों नेता भी दलितों और पिछड़ों की ही राजनीति करते रहे हैं.

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com