किसानों के मुद्दों पर पी चिदंबरम ने कहा- "मोदी सरकार ट्रम्प से प्रेरित"

एनडीटीवी को दिए एक साक्षात्कार में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कृषि सुधारों पर सत्तारूढ़ बीजेपी के पाखंड के आरोपों को खारिज कर दिया

किसानों के मुद्दों पर पी चिदंबरम ने कहा-

पी चिदंबरम ने कहा है कि सरकार के बिल ने अनियमित वातावरण बना दिया है.

नई दिल्ली:

कांग्रेस (Congress) नेता पी चिदंबरम (P Chidambaram) ने आज कहा कि सरकार "ट्रम्पिज्म" से प्रेरित है. किसान तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ हैं. एनडीटीवी को दिए एक साक्षात्कार में पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने सत्तारूढ़ भाजपा (BJP) की ओर से ओर से लगाए गए कृषि सुधारों पर पाखंड करने के आरोपों को खारिज कर दिया. चिदंबरम ने कहा कि "मैं तो बस अहंकार देख रहा हूं, यह (नरेंद्र) मोदी सरकार (Modi Government) का अहंकार है, 'माई वे ऑर हाईवे.' मैंने यह कानून बनाया है, मेरे पास बहुमत है, यह है. उनको प्रेरणा डोनाल्ड ट्रम्प (Donald Trump) से मिली है."

उन्होंने कहा कि "सरकार का यह रवैया, मैं किसी से सलाह नहीं लूंगा, मैं विपक्ष से परामर्श नहीं करूंगा... मैं कानून पारित करूंगा. यदि आप एक वोट को बाध्य करते हैं, तो यह सुनिश्चित करेगा कि हाउस में कोई वोट न हो. राज्यसभा में कोई वोट नहीं था. इसे ट्रम्पिज्म के रूप में जाना जाता है. ट्रम्पिज्म वह शब्द है जो बताता है कि मोदी सरकार क्या कर रही है." 

कांग्रेस सहित विपक्षी दल और कुछ केंद्र सरकार के सहयोगी कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों का समर्थन कर रहे हैं. किसानों को डर है कि उन्हें उनकी उपज पर सुनिश्चित आय से वंचित किया जाएगा और उन्हें कॉर्पोरेट की दया पर छोड़ दिया जाएगा, जो कि कीमतों को नियंत्रित करेंगे. अब तक की बातचीत में सरकार ने कानूनों में संशोधन करने की पेशकश की है, लेकिन किसानों का कहना है कि वे कानूनों को खत्म कराना चाहते हैं.

चिदंबरम ने कहा कि अगर सरकार किसानों को संतुष्ट करती है तो उसे "विधायी उपकरण का इस्तेमाल करना चाहिए, जिसे निरसन और पुन: अधिनियमित कहा जाता है."

कांग्रेस के दिग्गज नेता ने कहा, "यह बिल किसान-विरोधी है. प्रो-मार्केट बिल नहीं है जैसा कि इसे बताया जा रहा है. यह एक बिल है जो कॉरपोरेट के लिए मार्ग प्रशस्त करता है, एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमेटी  (APMC) सिस्टम को कमजोर करता है. यह किसानों का एकमात्र सुरक्षा कवच छीनने वाला है और किसानों के बीच यह भय पैदा कर रहा है कि आखिरकार वे एक अनियमित वातावरण में अपनी उपज कैसे बेचेंगे.''

केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के कांग्रेस पर सत्ता में होने के दौरान इन सुधारों को शुरू करने और बाद में इस पर 180 डिग्री से घूम जाने के आरोप का चिदंबरम ने मजबूती से खंडन किया.

उन्होंने कहा कि "कानून मंत्री के शब्दों में सच्चाई नहीं हैं. हमारे घोषणा पत्र को पढ़ें. हमारे घोषणापत्र में कहा गया है कि कृषि उपज की मार्केटिंग में सुधार किया जाना चाहिए, इस पर कोई झगड़ा नहीं है और एक तरह से किसान खुद को ठगा हुआ महसूस नहीं करते हैं. उनके पास सुरक्षा कवच है जिससे उन्हें वंचित किया जा रहा है और उन्हें कॉरपोरेट की दया पर छोड़ा जा रहा है.''

उन्होंने कहा कि "हमने जो प्रस्ताव दिया वह बड़े गांवों और छोटे शहरों में बाजार स्थापित करने के लिए था. कई बाजार, हजारों बाजार, और उन्हें किसान के लिए सुलभ बनाना. लेकिन हल्के विनियमन के साथ - कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम नहीं होनी चाहिए. तब एपीएमसी एक समय पर अप्रासंगिक हो जाता है. यह कृषि कानून किसानों के लिए एकमात्र सुरक्षा कवच को कमजोर करते हैं."

सरकार के तर्क, कानून किसानों को बेचने के लिए और अधिक बाजार बनाएंगे, पर पूर्व मंत्री ने इसे "गलत धारणा" कहा. उन्होंने जोर देकर कहा कि "सरकार का बिल अनियमित वातावरण बनाने वाला है."

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कृषि बाजार राज्य सरकारों द्वारा बनाए गए कृषि उपज बाजार समिति (APMC) कानूनों द्वारा शासित होते हैं. किसान अपनी उपज को न्यूनतम गारंटी मूल्य पर एपीएमसी या राज्य द्वारा संचालित बाजारों में बेच सकते हैं. किसानों का कहना है कि नए कानून एक समानांतर बाजार बनाने और एपीएमसी को कमजोर करने की कोशिश है, जिससे उनकी सुरक्षा कम हो जाएगी.