मार्शल अर्जन सिंह सहित सिर्फ तीन भारतीय सेनाधिकारी पहुंचे पांच-सितारा रैंक तक

भारतीय सेनाओं के इतिहास में पूर्व थलसेनाप्रमुखों फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ तथा फील्ड मार्शल केएम करिअप्पा के बाद अर्जन सिंह मात्र ऐसे तीसरे अधिकारी थे, जो पांच सितारा रैंक तक पहुंचे.

मार्शल अर्जन सिंह सहित सिर्फ तीन भारतीय सेनाधिकारी पहुंचे पांच-सितारा रैंक तक

मार्शल ऑफ द इंडियन एयरफोर्स अर्जन सिंह...

खास बातें

  • IAF में पांच-सितारा रैंक तक पहुंचे पहले व एकमात्र अधिकारी रहे अर्जन सिंह
  • भारतीय थलसेना में सबसे पहले सैम मानेकशॉ को फील्ड मार्शल बनाया गया था
  • 1986 में देश के पहले सेनाप्रमुख केएम करिअप्पा को फील्ड मार्शल बनाया गया
नई दिल्ली:

मार्शल ऑफ द इंडियन एयरफोर्स अर्जन सिंह को पूरे राजकीय सम्मान के साथ लड़ाकू विमानों के फ्लाईपास्ट और बंदूकों की सलामी के बीच अंतिम विदाई दे दी गई है. भारतीय सेनाओं के इतिहास में पूर्व थलसेनाप्रमुखों फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ तथा फील्ड मार्शल केएम करिअप्पा के बाद अर्जन सिंह मात्र ऐसे तीसरे अधिकारी थे, जो पांच सितारा रैंक तक पहुंचे, जबकि वायुसेना के इतिहास में वह पांच सितारा रैंक तक पहुंचने वाले पहले और एकमात्र अधिकारी रहे.

मार्शल ऑफ द इंडियन एयरफोर्स अर्जनसिंह
अर्जनसिंह का जन्म 15 अप्रैल, 1919 को अविभाजित पंजाब के लायलपुर में हुआ था, जो अब पाकिस्तान के फैसलाबाद में है. उनके पिता रिसालदार थे व डिवीजन कमांडर के एडीसी के रूप में सेवारत थे. ब्रिटिश भारत के में मॉन्टेगोमरी में प्रारंभिक शिक्षा हासिल करने वाले अर्जन सिंह ने 1938 में क्रैनवेल के रॉयल एयरफोर्स कॉलेज प्रवेश लिया, और दिसंबर, 1939 में उन्हें एक पायलट अधिकारी के रूप में नियुक्ति दी गई.
VIDEO: आखिर क्यों खास हैं मार्शल अर्जन सिंह... देखें FBLive

वर्ष 1944 में उन्हें प्रतिष्ठित फ्लाइंग क्रॉस (डीएफसी) से सम्मानित किया गया और 1945 में उन्होंने भारतीय वायुसेना की प्रथम प्रदर्शन उड़ान की कमान संभाली. अर्जन सिंह को एक बार कोर्ट मार्शल का भी सामना करना पड़ा था, जब उन्होंने फरवरी, 1945 में केरल के एक आबादी वाले इलाके में बहुत नीची उड़ान भरी. उस वक्त उन्होंने यह कहते हुए अपना बचाव किया था कि वह एक प्रशिक्षु विमानचालक (बाद में एयर चीफ मार्शल दिलबाग सिंह) का मनोबल बढ़ाने की कोशिश कर रहे थे.

वर्ष 1969 में एयर चीफ मार्शल के पद से सेवानिवृत्त हुए अर्जन सिंह को 26 जनवरी, 2002 को पांच सितारा रैंक, यानी मार्शल ऑफ द इंडियन एयरफोर्स के रूप में पदोन्नत किया गया.

यह भी पढ़ें : 10 प्वॉइंट्स में जानें 1965 की जंग के 'हीरो' मार्शल अर्जन सिंह को

फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ

sam manekshaw

3 अप्रैल, 1914 को अमृतसर के एक पारसी परिवार में जन्मे सैम मानेकशॉ एकमात्र ऐसे सेनाधिकारी थे, जिन्हें सेवानिवृत्ति से पहले ही पांच सितारा रैंक तक पदोन्नति दी गई थी. अमृतसर में प्रारंभिक शिक्षा हासिल करने के बाद मानेकशॉ नैनीताल के शेरवुड कॉलेज में दाखिल हुए, और देहरादून के इंडियन मिलिट्री एकेडमी के पहले बैच के लिए चुने गए 40 छात्रों में से एक थे, जहां से कमीशन पाकर वह भारतीय सेना में भर्ती हुए.

'सैम बहादुर' के नाम से मशहूर सैम मानेकशॉ ने 7 जून 1969 को भारत के 8वें चीफ ऑफ द आर्मी स्टाफ का पद ग्रहण किया, और उसके बाद दिसंबर, 1971 में उन्हीं के नेतृत्व में भारत-पाक युद्ध हुआ, जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश का जन्म हुआ. सैम मानेकशॉ के देशप्रेम व देश के प्रति निस्वार्थ सेवा के चलते उन्हें वर्ष 1972 में देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मविभूषण से नवाज़ा गया, तथा जनवरी, 1973 को में उन्हें फील्ड मार्शल का पद दिया गया, और इसी माह वह सेवानिवृत्त हो गए. सैम मानेकशॉ देश के एकमात्र सेनाधिकारी थे, जो सेवानिवृत्ति से पहले ही पांच सितारा रैंक तक पहुंच गए थे. वृद्धावस्था में उन्हें फेफड़े संबंधी रोग हो गया था, और 27 जून, 2008 को तमिलनाडु के वेलिंगटन स्थित सैन्य अस्पताल में उनका देहावसान हो गया.

VIDEO: मार्शल अर्जन सिंह का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार


फील्ड मार्शल केएम करिअप्पा
km cariappa

28 फरवरी, 1899 को कर्नाटक के पूर्ववर्ती कूर्ग में जन्मे केएम करिअप्पा की प्रारंभिक शिक्षा माडिकेरी के सेंट्रल हाईस्कूल में हुई. करिअप्पा पढ़ाई में बहुत अच्छे थे, किन्तु गणित, चित्रकला उनके ज़्यादा प्रिय विषय थे. 1917 में स्कूली शिक्षा पूरी करने के पश्चात् इसी वर्ष उन्होंने मद्रास के प्रेसीडेंसी कालेज में दाखिला लिया. होनहार छात्र होने के साथ-साथ वह क्रिकेट, हॉकी, टेनिस के भी अच्छे खिलाड़ी थे.

देश की आज़ादी के बाद भारतीय सेना के पहले भारतीय प्रमुख बनने का गौरव हासिल करने वाले केएम करिअप्पा प्रथम विश्वयुद्ध की समाप्ति के कुछ ही समय बाद ब्रिटिश भारतीय सेना में शामिल हुए थे. उन्होने सन् 1947 के भारत-पाक युद्ध में पश्चिमी सीमा पर भारतीय सेना का नेतृत्व किया. करिअप्पा को 28 अप्रैल, 1986 को फील्ड मार्शल का रैंक प्रदान किया गया, और उनका देहावसान 15 मई, 1993 को हुआ.

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com