विपक्षी दलों ने की दिल्ली हिंसा की न्यायिक जांच की मांग, गृह मंत्रालय और पुलिस की भूमिका पर उठाए सवाल

दिल्ली हिंसा के विषय पर बुधवार को सदन में चर्चा में भाग लेते हुए तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय ने गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग उठाई. उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और भाजपा के नेताओं ने भड़काऊ बयान दिए जिससे हिंसा हुई.

विपक्षी दलों ने की दिल्ली हिंसा की न्यायिक जांच की मांग, गृह मंत्रालय और पुलिस की भूमिका पर उठाए सवाल

प्रतीकात्मक तस्वीर

खास बातें

  • गृह मंत्रालय और दिल्ली पुलिस पर अपनी जिम्मेदारी निभाने में रहे विफल
  • हिंसा की सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान न्यायाधीश को लेकर न्यायिक जांच कराई जाए
  • TMC के सौगत रॉय ने गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग उठाई
नई दिल्ली:

विपक्षी दलों ने पिछले दिनों दिल्ली हिंसा के दौरान गृह मंत्रालय और दिल्ली पुलिस पर अपनी जिम्मेदारी निभाने में विफल रहने का आरोप लगाया और मांग की कि इस प्रकरण की सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान न्यायाधीश को लेकर न्यायिक जांच कराई जानी चाहिए. दिल्ली हिंसा के विषय पर बुधवार को सदन में चर्चा में भाग लेते हुए तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय ने गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग उठाई. उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और भाजपा के कुछ अन्य नेताओं ने भड़काऊ बयान दिए जिससे तनाव बढ़ा और हिंसा हुई. रॉय ने गृह मंत्री और दिल्ली पुलिस पर सक्रियता से काम नहीं करने का आरोप लगाया और कहा कि दिल्ली हिंसा की न्यायिक जांच कराई जाए और यह जांच सुप्रीम कोर्ट के किसी वर्तमान न्यायाधीश से कराई जाए.

द्रमुक के टीआर बालू ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों से सरकार को बातचीत करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि दिल्ली हिंसा की न्यायिक जांच होनी चाहिए. शिवसेना के विनायक राउत ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे के समय ये दंगे हुए और प्रशासन से रोक नहीं पाया. उन्होंने सवाल किया कि क्या सुरक्षा एजेंसियां विफल रही हैं? बीजद के पिनाकी मिश्रा ने कहा कि सीएए में मुस्लिम समुदाय को भी शामिल किया जाए तथा सरकार अल्पसंख्यकों में विश्वास बहाली के लिए कदम उठाए ताकि गलत फहमियां दूर हो सकें.

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उन्होंने कहा कि अहिंसा शब्द को संविधान की प्रस्तावना में शामिल किया जाए. बसपा के रितेश पांडे ने भी गृह मंत्रालय और दिल्ली पुलिस पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि हिंसा में पुलिस की भूमिका को लेकर जो वीडियो सामने आए हैं वो शर्मनाक हैं. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के किसी वर्तमान न्यायाधीश द्वारा दिल्ली हिंसा की जांच कराई जाए. सपा के शफीकुर्रहमान बर्क ने भी दिल्ली हिंसा के मामले की न्यायिक जांच की मांग की. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अमोल कोल्हे ने भी न्यायिक जांच की मांग उठाई और कहा कि दिल्ली पुलिस ने अपनी भूमिका का सही निर्वहन नहीं किया. 

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उन्होंने कहा कि केंद्र को राजधर्म का पालन करना चाहिए. भाजपा की सहयोगी जदयू के राजीव रंजन सिंह ने कहा कि इसकी जांच होनी चाहिए कि हिंसा के पीछे कौन लोग हैं. अगर इसकी जांच सही से हो गई तो कई सफेदपोश लोगों के नाम सामने आ जाएंगे. उन्होंने कहा कि कुछ राजनीतिक दल CAA के नाम पर अल्पसंख्यकों में डर पैदा करने और उन्हें भड़काने का प्रयास कर रहे हैं. सिंह ने कहा कि कुछ लोग CAA को NRC से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं जबकि प्रधानमंत्री ने कहा कि NRC का कोई प्रस्ताव नहीं है.

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भाजपा के संजय जायसवाल ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सत्ता में बाहर रहने की वजह से एक फिर हिंसा भड़का रही है क्योंकि वह ‘बांटो और राज करो' में विश्वास करती है. उन्होंने कहा कि क्या कारण है कि सुप्रीम कोर्ट शाहीन बाग में प्रदर्शनों को लेकर सिर्फ वार्ताकार नियुक्त कर रहा है जबकि वह पहले के अपने कई आदेशों में वह कह चुका है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब सड़क अवरुद्ध करना नहीं है.



(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)