जम्मू-कश्मीर पर चर्चा के दौरान जब विपक्ष ने अमित शाह को टोका, नाराज क्यों हो रहे हैं

लेकिन चर्चा के दौरान अमित शाह कई बार नाराज होते भी दिखे इस पर विपक्ष के सांसदों ने टोका कि शांत रहें नाराज होकर न बोलें. विपक्षी सांसदों की इस बात पर अमित शाह ने कहा कि वह गुस्सा बिलकुल नहीं हैं, आवाज थोड़ा ऊंची हुई है ताकि जिन लोगों को नहीं सुनाई दे रहा है वह भी सुन लें. इसको इतना पर्सनली लेने की जरूरत नहीं है. 

जम्मू-कश्मीर पर चर्चा के दौरान जब विपक्ष ने अमित शाह को टोका, नाराज क्यों हो रहे हैं

गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में चर्चा का जवाब दिया

खास बातें

  • अमित शाह को विपक्ष ने टोका
  • नाराज क्यों हो रहे हैं
  • शाह ने कहा- सिर्फ आवाज ऊंची है
नई दिल्ली:

जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने के सांविधिक प्रस्ताव पर लोकसभा में हुई चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कश्मीर समस्या को लेकर देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के दोषी ठहराया है. उनके बयान पर कांग्रेस की ओर से हंगामा भी हुआ. चर्चा पर जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा 'जम्मू कश्मीर की जनता का कल्याण हमारी ‘‘प्राथमिकता'' है और उन्हें ज्यादा भी देना पड़ा तो दिया जाएगा क्योंकि उन्होंने बहुत दुख सहा है.''गृह मंत्री ने कश्मीर की वर्तमान स्थिति को लेकर प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि उन्होंने (पंडित नेहरू) तब के गृह मंत्री एवं उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल को भी इस विषय पर विश्वास में नहीं लिया. उन्होंने सवाल किया कि जब आजादी के बाद पाकिस्तान की ओर से राज्य में आक्रमण हुआ और हमारी सेना पूरी ताकत से आगे बढ़ रही थी, तब किसने संघर्ष विराम किया ? कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी सहित पार्टी के अन्य सदस्यों ने इसका विरोध किया. इस पर अमित शाह ने कहा, ‘‘ उस भूल के कारण ही सजा भुगत रहे हैं. उस भूल के कारण ही हजारों लोग मारे गए जरूर नाम लेंगे (पंडित नेहरू का) ये इतिहास का हिस्सा है."

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लेकिन चर्चा के दौरान अमित शाह कई बार नाराज होते भी दिखे इस पर विपक्ष के सांसदों ने टोका कि शांत रहें नाराज होकर न बोलें. विपक्षी सांसदों की इस बात पर अमित शाह ने कहा कि वह गुस्सा बिलकुल नहीं हैं, आवाज थोड़ा ऊंची हुई है ताकि जिन लोगों को नहीं सुनाई दे रहा है वह भी सुन लें. इसको इतना पर्सनली लेने की जरूरत नहीं है. इससे पहले  शाह ने कहा कि तब 630 रियासतों के साथ संधि हुई थी लेकिन अनुच्छेद 370 कहीं नहीं है. एक रियासत जम्मू कश्मीर पंडित नेहरू देख रहे थे और स्थिति सबके सामने है. शाह ने कहा, ‘‘ हम इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत की नीति पर चल रहे हैं. जहां तक जम्हूरियत की बात है तो जब चुनाव आयोग कहेगा तो तब शांति पूर्ण तरीके से चुनाव कराए जाएंगे. आज सालों बाद ग्राम पंचायतों का विकास चुनकर आए पंच और सरपंच कर रहे हैं. ये जम्हूरियत है.'' 

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गृह मंत्री ने कहा, ‘‘ कश्मीरियत खून बहाने में नहीं है. कश्मीरियत देश का विरोध करने में नहीं है. कश्मीरियत देश के साथ जुड़े रहने में है. कश्मीरियत कश्मीर की भलाई में है. कश्मीर की संस्कृति को बचाने में है. '' कांग्रेस पर निशाना साधते हुए गृह मंत्री ने कहा कि जम्मू कश्मीर की आवाम और भारत की आवाम के बीच ‘‘एक खाई पैदा की गई. क्योंकि पहले से ही भरोसा बनाने की कोशिश ही नहीं की गई.'' शाह ने कहा, ‘‘ जहां तक अनुच्छेद 370 है, ... ये अस्थायी है, स्थायी नहीं. 370 हमारे संविधान का अस्थायी मुद्दा है.'' उन्होंने कहा कि जो देश को तोड़ना चाहते हैं उनके मन में डर होना चाहिए. जम्मू-कश्मीर की आवाम के मन डर नहीं होना चाहिए. अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार आने के बाद आतंकवादियों से कड़ाई से निबटा गया. उन्होंने कहा, ‘‘ (कांग्रेस नेता) मनीष तिवारी आज देश के विभाजन पर सवाल उठा रहे हैं, मैं इनसे पूछना चाहता हूं कि देश का विभाजन किसने किया था? आज कश्मीर का एक तिहाई हिस्सा भारत के पास नहीं है, ऐसा किसके कारण हुआ?'' 

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इनपुट : भाषा