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This Article is From Feb 17, 2019

Pulwama Terror Attack: अब सभी पाकिस्तानी सामानों पर भारत सरकार ने लगाया 200 फीसदी सीमा शुल्क

पाकिस्‍तान से एमएफएन का दर्जा वापस लिये जाने के बाद वहां से आयात होने वाली सभी वस्‍तुओं पर 200 फीसदी का सीमा शुल्‍क तत्‍काल रूप से लागू हो गया है. यह जानकारी केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने दी है. 

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पुलवामा अटैक के बाद पाकिस्तान को झटका

नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद अब भारत ने पाकिस्तान को वैश्विक मंच पर अलग-थलग करने के लिए काम शुरू कर दिया है. पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने शनिवार को एक और कड़ा कदम उठाते हुये पाकिस्तान से आयातित होने वाले सभी सामानों पर सीमाशुल्क तत्काल प्रभाव से बढ़ाकर 200 प्रतिशत कर दिया. पाकिस्‍तान से एमएफएन का दर्जा वापस लिये जाने के बाद वहां से आयात होने वाली सभी वस्‍तुओं पर 200 फीसदी का सीमा शुल्‍क तत्‍काल रूप से लागू हो गया है. यह जानकारी केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने दी है. 

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वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ट्वीट कर कहा कि ‘पुलवामा की घटना के बाद भारत ने पाकिस्तान से व्यापार के लिहाज से सबसे तरजीही देश का दर्जा वापस ले लिया है. इसके बाद पाकिस्तान से भारत में आयात किए जाने वाले सभी तरह के सामान पर सीमाशुल्क तत्काल प्रभाव से बढ़ाकर 200 प्रतिशत कर दिया गया है.'

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सीमाशुल्क बढ़ने से पाकिस्तान से भारत को किया जाने वाले निर्यात पर काफी बुरा असर पड़ेगा. वर्ष 2017-18 में पाकिस्तान से भारत को 3,482.3 करोड़ रुपये यानी 48.85 करोड़ डॉलर का निर्यात किया गया था. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ट्वीट कर कहा, ‘‘पुलवामा की घटना के बाद भारत ने पाकिस्तान से व्यापार के लिहाज से सबसे तरजीही देश का दर्जा वापस ले लिया है. इसके बाद पाकिस्तान से भारत में आयात किए जाने वाले सभी तरह के सामान पर सीमाशुल्क तत्काल प्रभाव से बढ़ाकर 200 प्रतिशत कर दिया गया है.''

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पाकिस्तान प्रमुख तौर पर भारत को ताजे फल, सीमेंट, बड़े पैमाने पर खनिज एवं अयस्क और तैयार चमड़ा उत्पाद निर्यात करता है. इसमें भी पाकिस्तान से सबसे ज्यादा ताजे फलों और सीमेंट का आयात होता है. इस पर मौजूदा सीमाशुल्क की दर क्रमश: 30 से 50 प्रतिशत और साढ़े सात प्रतिशत है. आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान से आयात पर शुल्क 200 प्रतिशत करने का सीधा सा मतलब पाकिस्तान से आयात बंद होने के समान है. पुलवामा में आतंकी हमले के बाद सरकार ने शुक्रवार को पाकिस्तान से व्यापार के लिहाज से सबसे तरजीही देश का दर्जा वापस ले लिया था. इस दर्जे को वापस लेने के लिए भारत सरकार ने विश्व व्यापार संगठन के सुरक्षा संबंधी प्रावधान का इस्तेमाल किया है. दोनों देश विश्व व्यापार संगठन के सदस्य हैं.

भारत कुछ पाकिस्तानी सामानों पर व्यापार प्रतिबंध लगा सकता है और पाकिस्तानी सामानों पर बंदरगाह संबंधी प्रतिबंध भी लगा सकता है. पाकिस्तान प्रमुख तौर पर भारत को ताजे फल, सीमेंट, बड़े पैमाने पर खनिज एवं अयस्क, तैयार चमड़ा, प्रसंस्कृत खाद्य, अकार्बनिक रसायन, कच्चा कपास, मसाले, ऊन, रबड़ उत्पाद, अल्कोहल पेय, चिकित्सा उपकरण, समुद्री सामान, प्लास्टिक, डाई और खेल का सामान निर्यात करता है. भारत ने पाकिस्तान को सबसे तरजीही देश का दर्जा 1996 में दिया था. हालांकि पाकिस्तान ने अब तक ऐसा नहीं किया.

सबसे तरजीही देश के प्रावधान के तहत विश्व व्यापार संगठन के सदस्य देश एक-दूसरे के साथ गैर-पक्षपातपूर्ण व्यवहार करते हैं. इसमें प्रमुख तौर पर सीमाशुल्क और अन्य शुल्क संबंधी प्रावधानों को आसान बनाना होता है. वर्ष 2012 में पाकिस्तान ने भी भारत को सबसे तरजीही देश का दर्जा देने की प्रतिबद्धता जतायी थी लेकिन घरेलू अवरोध के चलते ऐसा नहीं किया जा सका. बजाय इसके उसने भारत को गैर-भेदभाव वाले बाजार पहुंच का दर्जा देने के लिए कहा, लेकिन अभी तक इसकी घोषणा नहीं की गई. भारत पाकिस्तान के बीच कुल द्विपक्षीय व्यापार 2017-18 में मामूली बढ़कर 2.41 अरब डॉलर रहा जो 2016-17 में 2.27 अरब डॉलर था. भारत ने 2017-18 में 48.85 करोड़ डॉलर का सामान पाकिस्तान से आयात किया जबकि 1.92 अरब डॉलर का सामान निर्यात किया गया.

दरअसल, गुरुवार को सीआरपीएफ का काफिला जम्मू से श्रीनगर जा रहा था. इस काफिले में करीब 78 गाड़ियां थीं और 2500 जवान शामिल थे. उसी दौरान बाईं ओर से ओवरटेक कर विस्फोटक से लदी एक कार आई और उसने सीआरपीएफ की बस में टक्कर मार दी. आतंकवादी ने जिस कार से टक्कर मारी थी, उसमें करीब 60 किलो विस्फोटक थे. इसकी वजह से विस्फोट इतना घातक हुआ कि इसमें 40 जवान शहीद हो गए.

क्या होता है 'मोस्ट फेवर्ड नेशन' का दर्ज
दरअसल एमएफएन का मतलब है मोस्ट फेवर्ड नेशन, यानी सर्वाधिक तरजीही देश. विश्‍व व्‍यापार संगठन और इंटरनेशनल ट्रेड नियमों के आधार पर व्यापार में सर्वाधिक तरजीह वाला देश (एमएफएन) का दर्जा दिया जाता है. एमएफएन का दर्जा मिल जाने पर दर्जाप्राप्त देश को इस बात का आश्वासन रहता है कि उसे कारोबार में नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा.

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क्या लाभ हैं एमएफएन का दर्जा प्राप्त करने लेने में...
गौर करें कि एमएफएन का दर्जा कारोबार में दिया जाता है. इसके तहत आयात-निर्यात में आपस में विशेष छूट मिलती है. यह दर्जाप्राप्त देश कारोबार सबसे कम आयात शुल्क पर होता है.  डब्ल्यूटीओ के सदस्य देश खुले व्यापार और बाज़ार से बंधे हैं मगर एमएफएन के क़ायदों के तहत देशों को विशेष छूट दी जाती है. सीमेंट, चीनी, ऑर्गेनिक केमिकल, रुई, सब्जियों और कुछ चुनिंद फलों के अलावा मिनरल ऑयल, ड्राई फ्रूट्स, स्टील जैसी कमोडिटीज़ और वस्तुओं का कारोबार दोनों देशों के बीच होता है.

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क्या हैं इसके मायने
पाकिस्तान इस समय बड़ी आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा है और भारत के साथ उसका अच्छा खासा व्यापार होता रहा है. सीमा पर कितना भी तनाव रहा हो लेकिन व्यापार पर कुछ असर नहीं पड़ता रहा है. इस फैसले से पाकिस्तान को आर्थिक चोट पहुंचनी तय है. लेकिन एक पक्ष यह भी कहता है कि भारत अगर मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा खत्म करता है तो हो सकता है कि पाकिस्तान अपनी तरफ से भारत के साथ व्यापार ही रोक दे. ऐसे में घाटा भारत को हो सकता है लेकिन पुलवामा के हमले बाद ऐसा लग रहा है कि भारत  आर्थिक नुकसान सहकर पाकिस्तान को बख्शने के मूड में नहीं है.

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