36 लाख प्रवासी श्रमिकों को घर पहुंचाने के लिए रेलवे बनाया ये खास प्लान

रेलवे ने करीब 36 लाख फंसे हुए प्रवासियों को पहुंचाने के लिए पिछले 23 दिनों में 2600 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलायी हैं

36 लाख प्रवासी श्रमिकों को घर पहुंचाने के लिए रेलवे बनाया ये खास प्लान

रेलवे ने कोविड-19 लॉकडाउन के चलते फंसे हुए करीब 36 लाख प्रवासी श्रमिकों को उनके गृह राज्यों तक पहुंचाने के लिए अगले दस दिनों में 2600 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाने का कार्यक्रम तैयार किया है. रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वी के यादव ने शनिवार को यह जानकारी दी. यादव ने बताया कि रेलवे ने करीब 36 लाख फंसे हुए प्रवासियों को पहुंचाने के लिए पिछले 23 दिनों में 2600 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलायी हैं. उन्होंने यह दर्शाने के लिए ग्राफ का इस्तेमाल किया कि कैसे रेलवे ने एक मई को परिचालन की शुरुआत के पहले दिन चार ट्रेन चलाने के बाद इस संख्या को बढ़ाकर 20 मई तक 279 ट्रेन किया.


अध्यक्ष ने कहा, ‘‘ हमने पिछले चार दिनों में रोजाना औसतन 260 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलायी हैं और प्रतिदिन तीन लाख यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया है. अगले दस दिनों में 2600 श्रमिक स्पशेल ट्रेनें 36 लाख प्रवासियों को (उनके गंतव्य तक) ले जायेगी. हम राज्यों के अंदर भी ट्रेनें चला सकते हैं, करीब 10-12 लाख लोग उन ट्रेनों से यात्रा कर सकते हैं.''


उन्होंने कहा कि अगले दस दिनों में आंध्रप्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गोवा, गुजरात, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, कर्नाटक, केरल , मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से स्पेशल ट्रेनें चलेंगी.उन्होंने कहा कि गंतव्य राज्य असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, जम्मू कश्मीर, कर्नाटक, झारखंड, केरल, मणिपुर, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तराखंड, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल होंगे.


जब रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष से एक जून से चलने वाली स्पेशल ट्रेनों के किराए के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि रेलवे लॉकडाउन से पहले का सामान्य किराया ही वसूल रहा है. उन्होंने दोहराया कि श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के खर्च का 85 फीसद हिस्सा केंद्र वहन करता है जबकि राज्य भाड़े के रूप में बस 15 फीसद का भुगतान कर रहे हैं.


यादव ने कहा, ‘‘ एक दूसरे से दूरी के नियम के हित में फिलहाल अनारक्षित यात्रा रोक दी गयी है. ट्रेनें बस निर्धारित क्षमता के हिसाब से ही भरी रहेंगी.''उन्होंने कहा, ‘‘ दुनिया में सभी के लिए यह मुश्किल स्थिति है. धीरे धीरे सामान्य स्थिति की ओर बढ़ने की कोशिश की जा रही हैं हमने मार्गों पर मांग के पैटर्न का अध्ययन किया है और उसके आधार पर ट्रेनें दी गयी हैं.''उन्होंने प्रवासी श्रमिकों को आश्वासन दिया कि रेलवे तबक श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाता रहेगा जबतक राज्यों को उनकी जरूरत होगी.


पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा चक्रवात अम्फान के चलते 26 मई तक राज्य में सभी प्रवासी स्पेशल ट्रेनें स्थगित करने का अनुरोध करते हुए भेजे गये पत्र के संबंध में यादव ने कहा कि ऐसा प्राकृतिक आपदा के कारण हुआ है और चीजें शीघ्र ही सामान्य हो जाएंगी.उन्होंने कहा, ‘‘ पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव ने मुझे पत्र लिखा कि स्थिति को सामान्य बनाने के लिए कार्य चल रहा है, और ऐसे में वे हमें शीघ्र ही बतायेंगे कि कब वे ट्रेनों को स्वीकार कर पायेंगे. जितना जल्दी वे हमें मंजूरी देंगे, हम पश्चिम बंगाल के लिए ट्रेनें चलायेंगे.''


कुछ ट्रेनों को लंबे मार्गों से उनके गंतव्य तक भेजने के बारे में पूछे गये सवाल पर बोर्ड के अध्यक्ष ने इसे सामान्य बात बतायी. उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि ज्यादातर प्रवासी स्पेशल ट्रेनें उत्तर प्रदेश और बिहार के एक या दो मार्गों पर चल रही हैं, ऐसे में उस मार्ग पर भीड़ हो जाती है.'' वह गोरखपुर जाने वाली ट्रेन को ओडिशा के रास्ते ले जाने की घटना के बारे में बोल रहे थे.उन्होंने कहा, ‘‘ यह तरीका सामान्य दिनों में भी भीड़भाड़ से बचने के लिए अपनाया जाता है. यादव ने यह भी कहा कि 17 समर्पित अस्पतालों में करीब 5000 बिस्तर तथा 22 पृथक अस्पताल ब्लॉक कोविड-19 देखभाल के लिए चिह्नित किये गये हैं.

उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमित लोगों के लिए पृथक वार्ड के रूप में तब्दील किये गये डिब्बे अबतक उपयोग में नहीं आये हैं, इसलिए उनमें से 50 फीसद डिब्बों का श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा. इसी सप्ताह के प्रारंभ में जारी किये गये एक आदेश में कहा गया था कि पृथक वार्ड के रूप में तब्दील किये गये करीब 5200 डिब्बों के 60 फीसद का प्रवासी स्पेशल ट्रेनें चलाने के लिए उपयोग किया जाएगा.रेलवे फिलहाल राजधानी मार्ग पर 15 जोड़ी विशेष ट्रेनें चला रहा है जबकि एक जून से 100 जोड़ी ट्रेनें चलने लगेंगी.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)