कोरोना से आगे की लड़ाई में सरकार का तीन बातों पर जोर, पॉजिटिविटी रेट घटने की बताई वजह

भारत में तेजी से घट रहे कोरोनावायरस के नए मामलों को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस मंगलवार को हुई. इस दौरान स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कई जानकारियां दीं.

कोरोना से आगे की लड़ाई में सरकार का तीन बातों पर जोर, पॉजिटिविटी रेट घटने की बताई वजह

प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली:

भारत में तेजी से घट रहे कोरोनावायरस के नए मामलों को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस मंगलवार को हुई. इस दौरान स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा, ''62 लाख से ज़्यादा लोग ठीक हो चुके हैं और साप्ताहिक संक्रमण दर 6.24% हो गई है. पिछले 24 घंटे में 5.16% संक्रमण दर रही है. एक्टिव केस 9 लाख से नीचे हैं और आज 5वां दिन है, जब मामले 9 लाख से कम हैं.''

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उन्होने कहा, ''अभी इस महामारी के खिलाफ आने वाले दो महीने और भी जुटकर लड़ना होगा. साधारण और सबको समझ आ जाने वाला संदेश है कि अगर हम साथ मिलकर इस बीमारी से लड़े तो जीता जा सकता है. हमें अहम बातों पर जोर देना होगा. मास्क पहने, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें और हाथ धुलें. साथ ही 'जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं' नारे को फॉलो करना बेहद जरूरी है.''

राजेश भूषण ने कहा, ''टेस्ट बढ़ने से पाजिटिविटी रेट घट रहा है. टेस्ट पर मिलियन के अनुसार 14 राज्य में कई देशों से अधिक है. इसके बावजूद पाजिटिविटी रेट नेशनल एवरेज से कम है. अब तक कुल 86.78% लोग ठीक हो चुके हैं और 11.69% एक्टिव मरीज हैं, जबकि मौतों का प्रतिशत 1.53% है. 10 राज्यों में 79% एक्टिव केस है. केवल 3 राज्य करीब 50% प्रतिशत के मामले हैं.''

कोरोनावायरस से मौतों के आंकड़ों पर स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि अब तक इस महामारी से 70% पुरुष, 30% महिला की मौत हुई है, जबकि 53% मौत 60 वर्ष से ऊपर वालों की हुई है. वहीं, 35 प्रतिशत मौत 45-60 वर्ष के लोगों की हुई. 10 प्रतिशत मौत 26 से 44 वर्ष के थे, एक प्रतिशत लोग 18-25 वर्ष के लोग और एक ही प्रतिशत लोग 17 साल से कम उम्र के थे.

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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, मरने वालों में 45-60 वर्ष के लोगों में 13.9% पुरानी गंभीर बीमारी थी, 1.5% में नहीं. 60 साल से ऊपर के मरने वालों में 24.6% में पुरानी गंभीर बीमारी थी, 4.8% में नहीं. 45 से कम उम्र के मरने वालों में 8.8% को पुरानी गंभीर बीमारी थी, 0.2% को नहीं थी. कुल मिलाकर मरने वालों में 17.9% पुरानी गंभीर बीमारी से ग्रस्त थे, 1.2% नहीं थे.

नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी के पॉल ने कहा, ''ठंड के मौसम में ये बीमारी बढ़े और बेकाबू होने की कोशिश करेगी, क्योंकि यह एक सांस संबंधित वायरस है. ऐसा वायरस सर्दी में प्रकोप बढ़ाता है. ऐसा लगता है ये वायरस भी ऐसा ही व्यवहार करेगा. इसलिए हमारा मानना है कि सर्दी में और भी सावधानी बरतनी चाहिए. सर्दियों में बहुत से देशों में केस बढ़ते देखे गए हैं. त्योहार का भी सीजन है, लोग मिलते हैं इकट्ठे होते हैं और ये बात वायरस को भी अच्छी लगती है और वायरस ऐसे में फैलता है. इसी के मद्देनजर जान आंदोलन पीएम ने शुरू किया है.''

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डॉ. वी के पॉल ने कहा, ''सही से मास्क पहनें, नाक और मुंह कवर होने चाहिए. मास्क आपका निजी रक्षक है. सार्वजनिक जगह पर तो 100% मास्क पहनना है. अपने हाथों का लगातार साफ़ करते रहें. दो ग़ज़ की दूरी बनाकर रखें, वायरस के लिए इतनी दूसरी तय करना बहुत मुश्किल है. जो लोग मास्क नहीं पहनते उनको टोकें कि क्यों नुकसान कर रहे हो अपना और हमारा. युवा लोग भी अपनी ज़िम्मेदारी समझें. यूथ तो ज़्यादा फैला सकता है संक्रमण क्योंकि उनकी संख्या ज्यादा है. यूथ लापरवाह होते देखा जा रहा है क्योंकि कम उम्र के लोग की मौत कम हो रही है. क्या मीडिया दूरदर्शन की तरह मास्क-अप इंडिया कैंपेन चला सकते हैं?''