खास बातें
- सुुबह ट्विटर पर किया था ऐलान
- उद्धव की हां का था इंतजार
- बीजेपी पर लगाया वादे से मुकरने का आरोप
नई दिल्ली: महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर जारी राजनीतिक घटनाक्रम के बीच, केंद्र में भारी उद्योग मंत्री एवं शिवसेना नेता अरविंद सावंत ने सोमवार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार से इस्तीफा दे दिया और भाजपा पर सत्ता में हिस्सेदारी के तय फार्मूले से मुकरने का आरोप लगाया. सावंत ने दिल्ली में संवाददाताओं से कहा, 'हमने विधानसभा चुनाव गठबंधन में लड़ा था. इसमें कुछ चीजों पर सहमति बनी थी' उन्होंने कहा कि इसमें मुख्यमंत्री पद सहित सीटों के 50-50 के अनुपात में बंटवारे का फार्मूला तय हुआ था लेकिन बीजेपी अब इससे इनकार कर रही है. शिवसेना नेता ने कहा कि वे इस झूठ से आहत हैं और अब उनके बीच कोई विश्वास नहीं बचा. उन्होंने कहा, 'चूंकि अब कोई विश्वास नहीं बचा है, इसलिये मैंने इस्तीफा देने का फैसला किया है. मैंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपना इस्तीफा भेज दिया है. ' यह पूछे जाने पर कि क्या शिवसेना एनडीए से अलग हो गई है, सावंत ने कहा, 'जब मैंने इस्तीफा दे दिया है तो आप समझ सकते हैं कि इसका क्या अर्थ है.
इससे पहले, मोदी मंत्रिमंडल में शिवसेना के इकलौते मंत्री सावंत ने टि्वटर पर अपने इस्तीफे संबंधी फैसले की घोषणा की थी. इससे एक दिन पहले महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य में उनकी पार्टी शिवसेना को सरकार बनाने का दावा पेश करने का निमंत्रण दिया था. सावंत ने ट्वीट किया, 'शिवसेना सच के साथ है. मुझे दिल्ली में झूठ के माहौल में क्यों रहना चाहिए? मैं केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे रहा हूं.' उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले सत्ता और सीटों की साझेदारी पर एक फार्मूला तय हुआ था. शिवसेना और बीजेपी दोनों इस पर राजी हुए थे. उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, 'लेकिन अब यह हैरान करने वाली बात है कि जो तय हुआ था उससे इनकार किया गया और शिवसेना को इस तरह से पेश किया जा रहा है जैसे वह झूठ बोल रही है. यह स्तब्ध कर देने वाला है. यह राज्य के गौरव पर धब्बा है. बीजेपी ने झूठ की हदें पार करके अपने रास्ते बदल लिए.'
आपको बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव मे बीजेपी को 105, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली हैं. बीजेपी और शिवसेना ने मिलकर बहुमत का 145 का आंकड़ा पार कर लिया था. लेकिन शिवसेना ने 50-50 फॉर्मूले की मांग रख दी जिसके मुताबिक ढाई-ढाई साल सरकार चलाने का मॉडल था. शिवसेना का कहना है कि बीजेपी के साथ समझौता इसी फॉर्मूले पर हुआ था लेकिन बीजेपी का दावा है कि ऐसा कोई समझौता नहीं हुआ. इसी लेकर मतभेद इतना बढ़ा कि दोनों पार्टियों की 30 साल पुरानी दोस्ती टूट गई.
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