महाराष्‍ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोश्‍यारी से जुड़ी याचिका पर SC ने अवमानना कार्रवाई पर लगाई रोक

इससे पहले केंद्रीय मंत्री और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली थी. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड HC द्वारा किराया नहीं देने पर पूर्व सीएम के खिलाफ अवमानना कार्रवाई पर रोक लगाई थी.

महाराष्‍ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोश्‍यारी से जुड़ी याचिका पर SC ने अवमानना कार्रवाई पर लगाई रोक

खास बातें

  • कोश्‍यारी ने उत्‍तराखंड हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल की थी याचिका
  • मामला कोश्‍यारी को देहरादून में मिले बंगले को खाली करने से जुड़ा
  • कोर्ट ने पूर्व सीएम के तौर पर कोश्‍यारी को अलॉट बंगले को अवैध माना था
नई दिल्ली:

उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) के फैसले के खिलाफ महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh Koshyari) की ओर से दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने नोटिस जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना कार्यवाही पर भी रोक लगाई. मामला कोश्यारी को देहरादून में मिले बंगले को खाली करने से जुड़ा है. इस पर इसी तरह की मानव संसाधन विकास मंत्री (HRD) मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की याचिका के साथ सुनवाई होगी. उत्तराखंड में पूर्व मुख्यमंत्री के तौर पर कोश्‍यारी को अलॉट बंगले को हाईकोर्ट ने अवैध करार दिया था और मार्केट रेट पर किराया वसूलने का आदेश दिया था. कोश्यारी ने  उत्तराखंड HC  के फैसले को चुनौती दी है. याचिका में कहा  गया है कि हाईकोर्ट का  फैसला सही नहीं है और ये प्राकृतिक न्याय के खिलाफ है क्योंकि उनका पक्ष नहीं सुना गया. इसके अलावा राज्यपाल होने के कारण उन्हें संविधान द्वारा अदालती कार्रवाई से सरंक्षण दिया गया है.

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इससे पहले केंद्रीय मंत्री और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली थी. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड HC द्वारा किराया नहीं देने पर पूर्व सीएम के खिलाफ अवमानना कार्रवाई पर रोक लगाई थी. उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी किया  गया  था. सुप्रीम कोर्ट ने इसे मामले को अन्य समान याचिकाओं के साथ टैग किया था. सरकारी बंगलों के किराए का भुगतान करने के लिए उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ निशंक सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं. हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों के सरकारी बंगलों का बाजार का किराया न देने पर अवमानना का नोटिस जारी किया था, उसने पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास और अन्य सुविधाओं का बकाया 6 माह के भीतर जमा करने के निर्देश दिया था.

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