CJI जस्टिस दीपक मिश्रा ने उत्तराधिकारी के रूप में जस्टिस रंजन गोगोई का नाम केंद्र को भेजा

प्रधान न्‍यायाधीश दीपक मिश्रा ने जस्टिस रंजन गोगोई का नाम अगले CJI के लिए केंद्र सरकार को भेजा है. जस्टिस गोगोई का देश का अगला चीफ जस्टिस बनना तय है.

CJI जस्टिस दीपक मिश्रा ने उत्तराधिकारी के रूप में जस्टिस रंजन गोगोई का नाम केंद्र को भेजा

जस्टिस रंजन गोगोई

खास बातें

  • रंजन गोगोई का नाम अगले CJI के लिए केंद्र सरकार को भेजा है
  • स्टिस गोगोई का देश का अगला चीफ जस्टिस बनना तय है
  • CJI दीपक मिश्रा ने मंत्रालय को अपने बाद बनने वाले चीफ जस्टिस का नाम भेजा
नई दिल्ली:

प्रधान न्‍यायाधीश दीपक मिश्रा ने जस्टिस रंजन गोगोई का नाम अगले CJI के लिए केंद्र सरकार को भेजा है. जस्टिस गोगोई का देश का अगला चीफ जस्टिस बनना तय है. लॉ मिनिस्ट्री ने CJI दीपक मिश्रा को पत्र लिखकर अगले चीफ जस्टिस के नाम का प्रस्ताव मांगा था. इसके बाद CJI दीपक मिश्रा ने मंत्रालय को अपने बाद बनने वाले चीफ जस्टिस का नाम भेजा है.  

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चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा दो अक्टूबर को रिटायर होने जा रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट में उनके बाद वरिष्ठता में सबसे ऊपर नाम जस्टिस रंजन गोगोई का है, जिनकी रिटायरमेंट की तारीख़ 17.11.19 है. यह परंपरा है कि कानून मंत्रालय मौजूदा चीफ जस्टिस से आने वाले चीफ जस्टिस के नाम की सिफारिश मांगी जाती है. चीफ जस्टिस वरिष्ठता में दूसरे नंबर के जज  के नाम की सिफारिश का पत्र भेजते हैं.  इसके बाद वरिष्ठ जज को चीफ जस्टिस बनाया जाता है.  जस्टिस रंजन गोगोई का नाम सुप्रीम कोर्ट के उन चार जजों में शामिल हैं, जिन्होंने 12 जनवरी को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के ख़िलाफ़ प्रेस कॉन्‍फ्रेंस की थी, जिसके बाद कानून के गलियारे में भूचाल आ गया था और देश की राजनीति भी गरमा गई थी. 

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गौरतलब है कि न्यायमूर्ति गोगोई सहित उच्चतम न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों ने इस साल जनवरी में अभूतपूर्व ढंग से संवाददाता सम्मेलन बुलाकर विभिन्न मुद्दों, खासकर खास पीठों को मामलों के आवंटन के मुद्दे पर न्यायमूर्ति मिश्रा की आलोचना की थी.    न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर (अब सेवानिवृत्त), न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ संवाददाता सम्मेलन करने वालों में शामिल थे. भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में शायद ऐसा पहली बार हुआ था. उच्च न्यायापालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति से संबंधित प्रक्रिया पत्रक के अनुसार भारत के प्रधान न्यायाधीश के पद के लिए शीर्ष अदालत के वरिष्ठतम न्यायाधीश को उपयुक्त माना जाना चाहिए.    इसमें कहा गया है कि विधि मंत्री उचित समय पर निवर्तमान प्रधान न्यायाधीश से अगले सी जे आई की नियुक्ति के बारे में सिफारिश मांगेंगे.

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इस प्रक्रिया के तहत सी जे आई की नियुक्ति की सिफारिश मिलने के बाद विधि मंत्री इसे प्रधानमंत्री के समक्ष रखते हैं. इसके बाद प्रधानमंत्री संबंधित मामले में राष्ट्रपति को सलाह देते हैं. दस्तावेज कहता है, ‘‘जब भी प्रधान न्यायाधीश के पद के लिए वरिष्ठतम न्यायाधीश की उपयुक्तता के बारे में कोई संदेह हो तो अगले प्रधान न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए अन्य न्यायाधीशों से विमर्श किया जाएगा.’’    


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