लॉकडाउन के बाद पढ़ाई नहीं करने वालों की संख्या बढ़ी, स्कूल-कॉलेज छोड़ने को मजबूर हैं छात्र

"लॉकडाउन में खाने के पैसे नहीं है तो टच मोबाइल कहां से लेंगे? दाल है तो भाजी नहीं है, टच मोबाइल कहां से लेंगे? बच्चे पढ़ नहीं पा रहे हैं जो पढ़े थे वो भी भूल जा रहे हैं."

लॉकडाउन के बाद पढ़ाई नहीं करने वालों की संख्या बढ़ी, स्कूल-कॉलेज छोड़ने को मजबूर हैं छात्र

ऑनलाइन पढ़ाई का गरीब तबके पर ज्यादा असर पड़ा है

मुंबई:

स्कूल कॉलेज की पढ़ाई लगातार ऑनलाइन (Online Classes) की जा रही है पर आर्थिक हालात की वजह से ऐसे कई परिवार हैं जिनके बच्चे अब पढ़ नहीं पा रहे हैं और जब तक हालात नहीं सुधरते इनकी पढ़ाई अधूरी ही रहेगी. ऐसी ही कहानी है मुंबई की रुखसार शेख़ की, आमतौर पर दोपहर को रुखसार की पढ़ाई का समय होता है. इस साल वो दसवीं कक्षा में होतीं. वो डॉक्टर बनना चाहती हैं. पर लॉकडाउन के बाद अब पढ़ाई बंद है. घरवालों के साथ वो हर रोज़ पापड़ बेलने का काम करती हैं. पिताजी का देहांत हो चुका है, मामा मजदूरी करते हैं पर काम बंद है. दोस्तों से जो जानकारी मिलती है, वो पढ़ाई के लिए नाकाफी है. लिहाज़ा स्कूल के खुलने का इंतज़ार है और तब तक पढ़ाई बंद है.

रुखसार शेख ने एनडीटीवी को बताया, "पहले मैं ट्यूशन में पढ़ने जाती थी पर अब नहीं जा पाती, कोरोना के वजह से वो बंद हो गया. ऑनलाइन भी नहीं पढ़ पाती"रुखसार के मामा अली शेख ने बताया, "अभी जब सब कुछ खुलेगा तब ही काम मिल सकेगा. ट्रेन में जाने नहीं देते हैं, इसलिए घर पर बैठते हैं, क्या कर सकते हैं?"

ऐसी ही कहानी समीर मंडल की है भी है, समीर इस साल कक्षा 12 में पढ़ने वाले थे, पर एडमिशन के लिए फीस नहीं जमा कर सके. आर्थिक हालात खराब है इसलिए अब पिता के पान की दुकान में काम करते हैं. इंतज़ार है हालात के बेहतर होने का ताकि पढ़कर अपना भविष्य सुधार सके. 

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समीर मंडल ने बताया, "बाकी सब मेरे दोस्त पढ़ रहे हैं, मैं अकेला हूं जो कॉलेज से निकल चुका हूं  देखकर गिल्टी (अपराधबोध) फील होता है, बुरा लगता है."

लॉकडाउन के बाद से ही ऑनलाइन पढ़ाई का गरीब तबके पर ज्यादा असर पड़ा है और कई लोगों को पढ़ाई छोड़नी पड़ी है.. अगस्त की बीएमसी रिपोर्ट के अनुसार करीब 60 से 70 हज़ार बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई कर पा रहे हैं. लॉकडाउन के समय बीएमसी स्कूल में आने वाले 1 लाख 15 हज़ार बच्चे यानी 21 फीसदी बच्चों के परिवार वालों ने पलायन किया है. कई परिवार वापस लौटे पर फोन नहीं होने के कारण वो पढ़ नहीं पा रहे.

कई छात्रों की बताया, "लॉकडाउन में खाने के पैसे नहीं है तो टच मोबाइल कहां से लेंगे? दाल है तो भाजी नहीं है, टच मोबाइल कहां से लेंगे? बच्चे पढ़ नहीं पा रहे हैं जो पढ़े थे वो भी भूल जा रहे हैं."

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