अब मेघालय में कांग्रेस का साथ छोड़ सकते हैं तीन पूर्व मंत्री और दो विधायक

विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के पूर्व उप मुख्यमंत्री रॉवेल लिंगदोह, पूर्व मंत्री प्रेस्टोन टिनसोंग और स्नियाभालंग धर के अलावा दो विधायकों ने पार्टी से टिकट नहीं मांगा, बीजेपी का दामन थामने की संभावना

अब मेघालय में कांग्रेस का साथ छोड़ सकते हैं तीन पूर्व मंत्री और दो विधायक

प्रतीकात्मक फोटो.

खास बातें

  • मेघालय, त्रिपुरा और नगालैंड फतह करने की रणनीति बनाने में जुटी बीजेपी
  • मेघालय में अगले साल फरवरी-मार्च में होंगे विधानसभा चुनाव
  • 60 सदस्यीय विधानसभा में हैं कांग्रेस के 30 एमएलए
नई दिल्ली:

पूर्वोत्तर के सभी राज्यों में सत्ता पर काबिज होने के बीजेपी के अभियान का असर दिखाई देने लगा है. मेघालय में कांग्रेस के तीन पूर्व मंत्रियों और दो विधायकों ने अगले साल फरवरी-मार्च में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी से टिकट नहीं मांगे हैं. संकेत साफ है कि वे अब कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ना नहीं चाहते. इससे यह संकेत भी मिल रहे हैं कि यह कांग्रेस नेता किसी अन्य पार्टी से चुनाव लड़ेंगें और वह पार्टी बीजेपी भी हो सकती है.    

कांग्रेस के पदाधिकारियों के अनुसार कांग्रेस से टिकट के लिए आवेदन करने की अंतिम तारीख 15 सितंबर थी. इस दिन तक पूर्व उप मुख्यमंत्री रॉवेल लिंगदोह, पूर्व मंत्री प्रेस्टोन टिनसोंग और स्नियाभालंग धर ने आवेदन नहीं किया. निलंबित विधायक और जनजातीय खासी पर्वतीय स्वायत्त जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी सदस्य पीएन सीयम और धर के विधायक भाई गैतलांग धर ने भी कांग्रेस के टिकट के लिए आवेदन नहीं किया है.

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मेघालय के शहरी मामलों के मंत्री रोनी वी लिंगदोह के मुताबिक 60 विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस में 100 से अधिक उम्मीदवारों ने टिकट के लिए आवेदन दिए हैं. फिलहाल विधानसभा में कांग्रेस के 30 विधायक हैं.

बीजेपी का मिशन पूर्वोत्तर को फतह करना है. इसे अंजाम देने के लिए बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने पिछले सप्ताह दिल्ली में त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड के भाजपा के कोर समूह की बैठक की थी. इस बैठक का मकसद त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड में सत्ता हासिल करने के लिए पार्टी के नेताओं के साथ रणनीति बनाना था.

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पूर्वोत्तर के असम, मणिपुर और अरुणाचल में बीजेपी सरकार बना चुकी है और सिक्किम के पवन चामलिंग की पार्टी सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट एनडीए का हिस्सा बन चुकी है. त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड में फिलहाल बीजेपी की सरकार नहीं है. बीजेपी ने अब इन तीनों राज्यों को फतह करने पर ध्यान केंद्रित कर लिया है.

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अगले साल फरवरी-मार्च में इन तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. बीजेपी का मानना है कि त्रिपुरा और मेघालय में उसकी राह आसान है. त्रिपुरा में बीजेपी ने वाम दल सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. हाल ही में बीजेपी के पूर्वोत्तर के प्रभारी राम माधव ने बयान दिया था कि त्रिपुरा में वाम मोर्चा की सरकार चंद महिनों की मेहमान है. उधर मेघालय में भी बीजेपी की तैयारी जोरों पर है. मेघालय में कांग्रेस का टिकट लेने से इनकार करने वाले इसके नेताओं के टूटकर बीजेपी में जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.


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