तिब्बत को चीन से स्वतंत्रता नहीं और विकास चाहिए : दलाई लामा

दलाई लामा ने कहा- चीन के दुनिया के साथ शामिल होने के मद्देनजर इसमें पहले की तुलना में 40 से 50 फीसदी बदलाव हुआ

तिब्बत को चीन से स्वतंत्रता नहीं और विकास चाहिए : दलाई लामा

तिब्बतियों के धर्मगुरु दलाई लामा ने कहा है कि तिब्बत चीन से स्वतंत्रता नहीं और विकास चाहता है.

खास बातें

  • तिब्बती धर्मगुरु ने कहा- अतीत गुजर चुका, भविष्य पर ध्यान देना होगा
  • हम चीन के साथ रहना चाहते हैं, हम और विकास चाहते हैं
  • चीनी लोग अपने देश को प्रेम करते हैं, हम अपने देश को प्रेम करते हैं
कोलकाता:

तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के चीन को लेकर रवैये में बदलाव आ गया है. आज उनके एक बयान में यह साफ दिखाई दिया. तिब्बत से निर्वासित तिब्बतियों के सर्वोच्च धर्मगुरु अब अतीत को छोड़कर भविष्य पर ध्यान देने की बात कह रहे हैं. उन्होंने आज यहां कहा कि तिब्बत चीन से स्वतंत्रता नहीं चाहता बल्कि ज्यादा विकास चाहता है. दलाई लामा ने कहा कि चीन और तिब्बत के बीच करीबी संबंध रहे हैं. हालांकि, कभी-कभार उनके बीच संघर्ष भी हुआ है.

दलाई लामा ने इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा आयोजित संवाद सत्र में ये बातें कहीं. उन्होंने कहा, ‘‘अतीत गुजर चुका है. हमें भविष्य पर ध्यान देना होगा.’’ उन्होंने कहा कि तिब्बती चीन के साथ रहना चाहते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘हम स्वतंत्रता नहीं मांग रहे हैं, हम चीन के साथ रहना चाहते हैं. हम और विकास चाहते हैं.’’ दलाई लामा ने कहा कि चीन को तिब्बती संस्कृति और विरासत का अवश्य सम्मान करना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘तिब्बत की अलग संस्कृति और एक अलग लिपि है. चीनी जनता अपने देश को प्रेम करती है. हम अपने देश को प्रेम करते हैं.’’

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सर्वोच्च तिब्बती धर्मगुरु ने कहा कि कोई भी चीनी इस बात को नहीं समझता है कि पिछले कुछ दशकों में क्या हुआ है. उन्होंने कहा कि विगत कुछ वर्षों में देश बदला है. उन्होंने कहा, ‘‘चीन के दुनिया के साथ शामिल होने के मद्देनजर इसमें पहले की तुलना में 40 से 50 फीसदी बदलाव हुआ है.’’ दलाई लामा ने तिब्बती पठार के पारिस्थितिकीय महत्व का भी उल्लेख किया और इस बात को याद किया कि इसका पर्यावरणीय प्रभाव दक्षिणी ध्रुव और उत्तरी ध्रुव की तरह है.
(इनपुट भाषा से)


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