केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने किया 'संडे संवाद', कोरोना वैक्सीन को लेकर उठ रहे सवालों के दिए जवाब

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन (Harsh Vardhan) ने देश की जनता से संवाद करने के लिए आज 'संडे संवाद' के नाम से एक कार्यक्रम किया.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने किया 'संडे संवाद', कोरोना वैक्सीन को लेकर उठ रहे सवालों के दिए जवाब

केंद्रीय मंत्री डॉ हर्षवर्धन (फाइल फोटो).

नई दिल्ली:

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन (Harsh Vardhan) ने देश की जनता से संवाद करने के लिए आज 'संडे संवाद' के नाम से एक कार्यक्रम किया. डिजिटल माध्यम से किये गए 1 घंटे से ज्यादा लंबे इस कार्यक्रम में उन्होंने वैक्सीन (Coronavirus Vaccine) को लेकर उठ रहे सवालों पर जवाब दिए. साथ ही कोरोना से ठीक होकर फिर बीमार होने वाले लोगों के बारे में भी इस कार्यक्रम के दौरान जवाब दिया.

सुरक्षित वैक्सीन पर

डॉ हर्ष वर्धन ने वैक्सीन पर कहा, ''वैक्सीन कब लॉन्च होगी इसकी कोई तारीख तय नहीं है. मैं अपने मंत्रालय और देश के प्रधानमंत्री की तरफ से आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि क्लीनिकल ट्रायल में कोई कटौती नहीं की जाएगी. वैक्सीन तभी मिलना उपलब्ध होगी जब सरकार उसको सुरक्षित और प्रभावशाली सुनिश्चित करेगी. अपनी सरकार और अपने स्वास्थ्य मंत्री पर पूरा भरोसा रखें.''

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जो वैक्सीन लांच होगी क्या वह सुरक्षित होगी और क्या वह सुरक्षित होगी या नहीं इस शक को दूर करने के लिए देश के स्वास्थ्य मंत्री और अन्य मंत्री क्या सबसे पहले खुद लगवाएंगे?

जवाब: हर्ष वर्धन ने कहा, '' अगर आपको सरकार, वैज्ञानिकों और वैक्सीन से जुड़ी हुई सारी वैज्ञानिक प्रक्रिया पर कहीं पर भी भरोसे में कमी है तो मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि अगर उस भरोसे को और मजबूत करने के लिए डॉ हर्षवर्धन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को सबसे पहली वैक्सीन सबसे पहले लगवानी होगी तो मैं सबसे पहले लगवा लूंगा.'' '' लेकिन मेरा व्यक्तिगत मत यह है कि जब वैक्सीन उपलब्ध होगी तो देश में जिन लोगों को सबसे पहले वैक्सीन की जरूरत है जैसे हेल्थ केयर वर्कर, बुजुर्ग, कमजोर इम्युनिटी वाले लोग या ऐसे लोग जिनको अन्य दूसरी गंभीर बीमारी हैं, तो सबसे पहले वैक्सीन उनको लगनी चाहिए और मैं समझता हूं कि मैं उस कैटेगरी में नहीं आता मुझे सबसे पहले वैक्सीन लगवानी चाहिए. लेकिन देश के हित में और देश के लोगों का विश्वास बरकरार रखने के लिए जो भी कुछ आवश्यक होगा उसको हम बेशक करेंगे यह में आपको विश्वास दिलाता हूं.''

वैक्सीन स्टेटस और उपलब्धता

केंद्रीय मंत्री ने कहा,''अभी अलग-अलग वैक्सीन के देश और दुनिया में ट्रायल चल रहे हैं और हम अभी यह नहीं कह सकते कि कौन सी वैक्सीन सबसे ज्यादा प्रभावशाली और सुरक्षित साबित होगी. लेकिन संभावना है कि साल 2021 की पहली तिमाही तक  हमें अलग अलग वैक्सीन ट्रायल का नतीजा पता चल जाए.'' 

क्या वैक्सीन बन जाने के बाद कोरोना खत्म हो जाएगा , अगर हां तो इसमे कितना समय लगेगा या फिर कोरोना हमारी जिंदगी का एक हिस्सा बन जाएगा आम बीमारी बन जायेगा ?

जवाब: डॉ हर्ष वर्धन ने कहा जैसे-जैसे  ज़्यादातर लोगों में या तो संक्रमित हो कर या फिर वैक्सीन के माध्यम से इस वायरस के प्रति इम्यूनिटी विकसित होती जाएगी वायरस का प्रकोप कम होता जाएगा और समय के साथ धीरे धीरे जैसे दूसरे वायरस भी समय-समय पर आए और आने के बाद वह समाज के अंदर या कुछ कुछ देशों में या कुछ कुछ राज्यों में कभी-कभी वह अपना प्रकोप थोड़ी मात्रा के अंदर या थोड़े लोगों के अंदर दिखाते हैं उसको हम अंग्रेजी भाषा में कहते हैं कि वायरस या बीमारी एक खास जगह पर एंडेमिक हो गयी तो शायद उसी प्रकार से कुछ समय बाद इस वायरस का भी वही हश्र होगा लेकिन यह कितने समय के बाद होगा और कितने समय के बाद इसका संक्रमण बड़े स्तर पर कम होगा इसके बारे में कोई सही आकलन करना अभी संभव नहीं है.

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क्या सरकार कोरोना से होने वाले लोगों के केस को स्टडी कर रही है? अगर किसी ऐसी स्टडी के निष्कर्ष पर पहुंचे हो तो साझा करें.

जवाब:  दुनिया भर से इस बात के सुबूत निकल कर आ रहे हैं कि कोविड 19 शायद एक एक ऐसी बीमारी ना हो जो होकर ख़त्म हो जाती है. जैसा शुरू में सोचा गया. बल्कि इसके लंबे समय तक लक्षण दिख सकते हैं. खासतौर से ऐसे लोगों में जो इस बीमारी की ज़्यादा गंभीर फॉर्म से पीड़ित हुए. एक्सपर्ट ग्रुप में इस बारे में पहले ही चर्चा चल रही है और जो सबूत सामने आ रहे हैं उनकी समीक्षा की जा रही है. इस बारे में हम अपना डाटा भी जनरेट कर रहे हैं कि अलग-अलग अंगों पर जैसे रेस्पिरेटरी सिस्टम, रीनल सिस्टम, कार्डियो वैस्कुलर एंड गैस्ट्रो इन्सटेस्टिनल सिस्टम पर कोविड के चलते क्या प्रभाव पड़ता है?

इस मुद्दे पर मेरी हाल ही में बहुत सीनियर क्लीनिकल एक्सपर्ट से बात हुई जिनके तहत  इस मुद्दे पर सब-कमेटी बनाई गई हैं और उनको सलाह दी है कि इस मुद्दे पर अपने रिसर्च बढ़ाएं और जारी रखें. सभी एम्स जैसे संस्थानों से कहा गया है कि वह इस बारे में रिसर्च करें 'कोविड का लॉन्ग टर्म प्रभाव'. ICMR एक नेशनल क्लीनिकल रजिस्ट्री ऑन कोविड की स्थापना कर रहा है. इससे कोरोना बीमारी की और अंदर तक कि जानकारी मिलेगी, इसका दायरा पता चलेगा और मरीजों पर इसका प्रभाव पता चलेगा.

एम्स दिल्ली ने पहले ही एक स्पेशल क्लीनिक कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों के लिए खोल दिया है. इससे इस बीमारी की और जानकारी मिलेगी और लोगों पर इसके प्रभाव का पता चलेगा. 

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