विकराल जल संकट से घिरे तमिलनाडु और महाराष्ट्र, जलाशय सूखे

तमिलनाडु के बड़े जलाशयों में औसत से 40 फ़ीसदी कम पानी, 20 जून तक दक्षिण भारत के 31 बड़े जलाशयों में उनकी क्षमता का सिर्फ 10% पानी बचा

विकराल जल संकट से घिरे तमिलनाडु और महाराष्ट्र, जलाशय सूखे

जलाशयों में पानी खत्म हो जाने से तमिलनाडु भीषण जल समस्या को झेल रहा है.

खास बातें

  • महाराष्ट्र के चार बड़े जलाशयों में महज 2 फीसदी पानी बचा
  • महाराष्ट्र में जलाशयों की लिंकिंग की पहल करने की गुज़ारिश
  • जलवायु परिवर्तन का असर मानसून की दिशा और दशा पर
नई दिल्ली:

तमिलनाडु और दक्षिण भारत के दूसरे राज्यों में जो पेयजल संकट है, वो और खतरनाक हो सकता है. जिन जलाशयों के सहारे सरकारें लोगों को पीने का पानी मुहैया करा रही हैं, वे सब सूख रहे हैं.

चेन्नई में पानी का संकट सुर्खियों में है.यही हाल दक्षिण भारत के कई और शहरों का है. वैसे तो हर साल गर्मियों में पानी की किल्लत होती है लेकिन इस साल संकट बड़ा है. केंद्रीय जल आयोग बता रहा है कि चेन्नई और दूसरे बड़े शहरों में पानी के संकट की एक महत्वपूर्ण वजह जलाशयों में पानी का घटता स्तर है. उसकी ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक तमिलनाडु के बड़े जलाशयों में औसत से 40 फ़ीसदी कम पानी है 20 जून तक  दक्षिण भारत के 31 बड़े जलाशयों में उनकी क्षमता का बस 10% पानी बचा है. सबसे बुरा हाल कर्नाटक का है जहां के 4 बड़े जलाशयों में उनकी क्षमता का बस 1 से 2 फ़ीसदी पानी बचा है

महाराष्ट्र के चार बड़े जलाशयों में भी महज 2 फीसदी पानी बचा है. वहां के छह बड़े जलाशयों का पानी इस्तेमाल के लायक नहीं बचा है. महाराष्ट्र में मांग हो रही है कि सरकार जलाशयों को जोड़ने की योजना और इस पर क़ानून बनाए.

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महाराष्ट्र से राज्य सभा सांसद संबाजी क्षत्रपति ने एनडीटीवी से कहा कि ग्लोबल वार्मिंग के असर को स्टडी करना बेहद ज़रूरी है. साथ ही, उन्होंने सरकार के गुज़ारिश की कि वो जलाशयों की लिंकिंग के लिए पहल करें जिससे महाराष्ट्र के जिन जलाशयों में ज़्यादा पानी है वहां से पानी का संकट झेल रहे जलाशयों में पानी ट्रांसफर किया जा सके.

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कई सांसद ये मानते हैं कि जलवायु परिवर्तन का असर मानसून की दिशा और दशा पर पड़ रहा है. और इसी की वजह से कृषि के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण राज्यों में मानसून को लेकर अनिश्चितता भी बढ़ रही है. ऐसे में अब सरकर को इस पानी के संकट का दूरगामी हल खोजना होगा.

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