राहुल गांधी ने अपने माफीनामे में कहा है कि कोर्ट का अपमान करने की उनकी कोई मंशा नहीं थी. ना ही उन्होंने जानबूझ कर ऐसा किया. ना ही अदालत की न्यायिक प्रक्रिया में वो किसी तरह की बाधा पहुंचाना चाहते थे. भूलवश उनसे ये गलती हो गई. लिहाजा इसके लिए वो क्षमा चाहते हैं. उनके बिना शर्त माफीनामा को कोर्ट स्वीकार करते हुए उन्हें इस भूल के लिए क्षमा किया करे. साथ ही कहा है कि सुप्रीम कोर्ट इस माफीनामे को स्वीकार कर केस को बंद करे.
बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा था कि राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर शीर्ष अदालत के फैसले पर पुनर्विचार के लिये दायर याचिकाओं और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ ‘चौकीदार चोर है' टिप्पणी गलत तरीके से सुप्रीम कोर्ट के हवाले से कहने के मामले में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ अवमानना याचिका पर दस मई को एकसाथ सुनवाई की जायेगी. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने कहा कि 14 दिसंबर, 2018 के फैसले पर पुनर्विचार के लिये दायर याचिकायें 10 मई को सूचीबद्ध होंगी.
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कोर्ट ने 30 अप्रैल को राहुल गांधी को अपनी टिप्पणियों के बारे में एक और हलफनामा दाखिल करने के लिये अंतिम अवसर दिया था. कांग्रेस अध्यक्ष ने अपने वकील के माध्यम से यह स्वीकार किया था कि उन्होंने इस टिप्पणी को गलत तरीके से शीर्ष अदालत के नाम से कहकर गलती की. . इस पर न्यायालय ने कहा था कि पहले दाखिल हलफनामे में एक स्थान पर कांग्रेस अध्यक्ष ने अपनी गलती स्वीकार की है और दूसरे स्थान पर अपमानजनक टिप्पणी करने से इंकार किया है.
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इस मामले में सोमवार को संक्षिप्त सुनवाई के दौरान अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने पीठ से कहा कि वह पुनर्विचार याचिका और चुनिन्दा दस्तावेज पेश करने के लिये दायर आवेदन पर बहस करेंगे. उन्होंने कहा कि न्यायालय को सह-याचिकाकर्ता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरूण शौरी को राफेल मामले में सुनवाई के दौरान न्यायालय को कथित रूप से गुमराह करने के लिये अज्ञात सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ गलत बयानी के आरोप में मुकदमा चलाने के लिये दायर आवेदन पर बहस करने की अनुमति देनी चाहिए.
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भूषण ने अरूण शौरी और पूर्व केन्द्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा के साथ 14 दिसंबर, 2018 के फैसले पर पुनर्विचार के लिये याचिका दायर की है जबकि आप पार्टी के नेता संजय सिंह और वकील विनीत ढांडा ने भी पुनर्विचार याचिका दायर कर रखी है. भूषण ने न्यायालय को गुमराह करने और महत्वपूर्ण जानकारी छिपाने के लिये सरकारी कर्मचारियों के गलत बयानी के आरोप में मुकदमा चलाने के लिये एक आवेदन दायर कर रखा है. दूसरे आवेदन में इन तीनों ने चुनिन्दा संबंधित दस्तावेज पेश करने का केन्द्र सरकार को निर्देश देने का अनुरोध किया है.
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शीर्ष अदालत ने 14 दिसंबर के अपने फैसले में कहा था कि फ्रांस से 36 लड़ाकू विमान खरीदने के लिये फैसला लेने की प्रक्रिया में किसी भी तरह का संदेह करने की कोई वजह नहीं है. न्यायालय ने इसके साथ ही इस सौदे में अनियमित्ताओं की जांच के लिये दायर सभी याचिकायें खारिज कर दी थीं.
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