राफेल मामले मे पुनर्विचार याचिकाओं और राहुल गांधी के खिलाफ अवमानना याचिका पर एक साथ होगी सुनवाई

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने कहा कि 14 दिसंबर, 2018 के फैसले पर पुनर्विचार के लिये दायर याचिकायें 10 मई को सूचीबद्ध होंगी.

राफेल मामले मे पुनर्विचार याचिकाओं और राहुल गांधी के खिलाफ अवमानना याचिका पर एक साथ होगी सुनवाई

राफेल मामले में सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि राफेल लड़ाकू विमान सौदे (Rafale Deal) पर शीर्ष अदालत के फैसले पर पुनर्विचार के लिये दायर याचिकाओं और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Modi) के खिलाफ ‘चौकीदार चोर है' टिप्पणी गलत तरीके से उच्चतम न्यायालय के हवाले से कहने के मामले में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के खिलाफ अवमानना याचिका पर दस मई को एकसाथ सुनवाई की जायेगी. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने कहा कि 14 दिसंबर, 2018 के फैसले पर पुनर्विचार के लिये दायर याचिकायें 10 मई को सूचीबद्ध होंगी. पीठ ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि पुनर्विचार याचिकायें और राहुल गांधी के खिलाफ अवमानना याचिका अलग अलग तारीखों पर कैसे सूचीबद्ध हैं जबकि उसने दोनों ही मामलों की एकसाथ सुनवाई करने का आदेश दिया था.

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पीठ ने कहा, ‘‘हम थोड़ा उलझन में हैं कि दो मामले दो अलग-अलग तारीखों पर सूचीबद्ध हैं जबकि इनकी एकसाथ सुनवाई करने का आदेश था.'' राहुल गांधी ने नरेन्द्र मोदी के खिलाफ ‘‘चौकीदार चोर है'' की अपमानजनक टिप्पणी की थी जिसके बारे में उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि यह उसके नाम से गलत कहा गया है. शीर्ष अदालत ने 30 अप्रैल को राहुल गांधी को अपनी टिप्पणियों के बारे में एक और हलफनामा दाखिल करने के लिये अंतिम अवसर दिया था. कांग्रेस अध्यक्ष ने अपने वकील के माध्यम से यह स्वीकार किया था कि उन्होंने इस टिप्पणी को गलत तरीके से शीर्ष अदालत के नाम से कहकर गलती की थी. इस पर न्यायालय ने कहा था कि पहले दाखिल हलफनामे में एक स्थान पर कांग्रेस अध्यक्ष ने अपनी गलती स्वीकार की है और दूसरे स्थान पर अपमानजनक टिप्पणी करने से इंकार किया है.

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इस मामले में सोमवार को संक्षिप्त सुनवाई के दौरान अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने पीठ से कहा कि वह पुनर्विचार याचिका और चुनिन्दा दस्तावेज पेश करने के लिये दायर आवेदन पर बहस करेंगे. उन्होंने कहा कि न्यायालय को सह-याचिकाकर्ता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरुण शौरी को राफेल मामले में सुनवाई के दौरान न्यायालय को कथित रूप से गुमराह करने के लिये अज्ञात सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ गलत बयानी के आरोप में मुकदमा चलाने के लिये दायर आवेदन पर बहस करने की अनुमति देनी चाहिए. भूषण ने अरुण शौरी और पूर्व केन्द्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा के साथ 14 दिसंबर, 2018 के फैसले पर पुनर्विचार के लिये याचिका दायर की है जबकि आप पार्टी के नेता संजय सिंह और वकील विनीत ढांडा ने भी पुनर्विचार याचिका दायर कर रखी है. भूषण ने न्यायालय को गुमराह करने और महत्वपूर्ण जानकारी छिपाने के लिये सरकारी कर्मचारियों के गलत बयानी के आरोप में मुकदमा चलाने के लिये एक आवेदन दायर कर रखा है. दूसरे आवेदन में इन तीनों ने चुनिन्दा संबंधित दस्तावेज पेश करने का केन्द्र सरकार को निर्देश देने का अनुरोध किया है. शीर्ष अदालत ने 14 दिसंबर के अपने फैसले में कहा था कि फ्रांस से 36 लड़ाकू विमान खरीदने के लिये फैसला लेने की प्रक्रिया में किसी भी तरह का संदेह करने की कोई वजह नहीं है.

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शनिवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर सभी पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज करने की मांग की है. हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा कि सुरक्षा संबंधी गोपनीय दस्तावेजों के इस तरह सार्वजनिक खुलासा भारत राज्य के आस्तित्व पर खतरा हो गया है. सुप्रीम कोर्ट के राफेल सौदे के गोपनीय दस्तावजों से परीक्षण के फैसले से रक्षा बलों की तैनाती, परमाणु प्रतिष्ठानों, आतंकवाद निरोधक उपायों आदि से संबंधित गुप्त सूचनाओं का खुलासा होने की आशंका बढ़ गई है. राफेल पुनर्विचार याचिकाओं के जरिए सौदे की चलती-फिरती जांच की कोशिश की गई. मीडिया में छपे तीन आर्टिकल लोगों के विचार हैं ना कि सरकार का अंतिम फैसला.

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ये तीन लेख सरकार के पूरे आधिकारिक रुख को व्यक्त नहीं करते. ये सिर्फ अधिकारियों के विचार हैं जिनके आधार पर सरकार कोई फैसला कर सके. सीलबंद नोट में सरकार ने कोई गलत जानकारी सुप्रीम कोर्ट को नहीं दी. CAG ने राफेल के मूल्य संबंधी जानकारियों की जांच की है और कहा है कि यह कीमत 2.86% कम है. 

केंद्र सरकार ने कहा कि कोर्ट जो भी मांगेगा सरकार राफेल संबंधी दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए तैयार है. राफेल पर पुनर्विचार याचिकाओं में कोई आधार नहीं है इसलिए सारी याचिकाएं खारिज की जानी चाहिए. PMO के सौदे की निगरानी करने को प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं माना जा सकता. दिसंबर के अपने फैसले में अदालत ने कहा था कि वर्तमान जैसे मामलों में मूल्य निर्धारण विवरण की तुलना करना इस अदालत का काम नहीं है.

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इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि वो द हिंदू में छपे रक्षा मंत्रालय के गोपनीय दस्तावेजों पर भरोसा कर उनके आधार पर सुनवाई करेगा. ये याचिकाएं यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और प्रशांत भूषण के अलावा मनोहर लाल शर्मा, विनीत ढांडा और आप सासंद संजय सिंह ने दाखिल की है.सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की बेंच ने केंद्र की प्रारंभिक आपत्ति को खारिज कर दिया था कि ये दस्तावेज विशेषाधिकार प्राप्त हैं और कोर्ट इन्हें नहीं देख सकती.

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