स्मृति ईरानी अमेठी में राहुल गांधी को दे रहीं टक्कर, पढ़ें- उनका सिनेमा से सियासत तक का सफर

2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी नेता स्मृति ईरानी चर्चा में हैं. वह कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ अमेठी से चुनाव लड़ रही हैं.

स्मृति ईरानी अमेठी में राहुल गांधी को दे रहीं टक्कर, पढ़ें- उनका सिनेमा से सियासत तक का सफर

स्मृति ईरानी.

खास बातें

  • अमेठी में राहुल गांधी को दे रहीं कड़ी टक्कर
  • 2004 में कपिल सिब्बल के खिलाफ भी लड़ा था चुनाव
  • 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' सीरियल से हुई थीं प्रसिद्ध
नई दिल्ली :

2019 के लोकसभा चुनावों में जितनी चर्चा यूपी की अमेठी सीट की है, उतनी ही चर्चा बीजेपी नेता स्मृति जुबिन ईरानी (Smriti Irani) की भी है. यह सीट कांग्रेस का गढ़ रही है और इस सीट से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के खिलाफ स्मृति ईरानी चुनाव लड़ रही हैं. राहुल को टक्कर देने के लिए ही बीजेपी ने यह दांव खेला है क्योंकि 2014 के लोकसभा चुनावों में भी स्मृति ने राहुल को कड़ी टक्कर दी थी. अमेठी को शुरुआत से ही गांधी परिवार के प्रभाव वाली सीट माना जाता है लेकिन इस बार बीजेपी पूरी कोशिश कर रही है कि वह इस सीट पर अपना कुछ प्रभाव जमा सके इसलिए उसने जुझारू नेता की छवि वाली स्मृति ईरानी को चुनाव में खड़ा किया है. हालांकि 2014 के लोकसभा चुनावों में स्मृति, राहुल से करीब एक लाख वोटों से हार गई थीं. इससे पहले 2004 में स्मृति ईरानी कांग्रेस के सीनियर नेता कपिल सिब्बल के खिलाफ दिल्ली के चांदनी चौक से चुनाव लड़ चुकी हैं.

कहां से शुरू हुआ स्मृति ईरानी का सफर 

स्मृति का जन्म 23 मार्च 1976 को दिल्ली में हुआ था. उनके पिता पंजाबी और मां बंगाली थीं. स्मृति तीन बहनों में सबसे बड़ी थीं इसलिए जब वह दसवीं क्लास में थीं,तभी से उन्होंने काम करना शुरू कर दिया था. एक ब्यूटी प्रोडक्ट के प्रमोशन के लिए उन्हें एक दिन के 200 रुपए मिलते थे. सबसे पहली बार स्मृति चर्चा में तब आईं जब उन्होंने मिस इंडिया प्रतियोगिता में हिस्सा लिया, यह प्रतियोगिता 1998 में हुई थी. हालांकि वह इसमें सफल  नहीं हो पाईं लेकिन इससे उन्हें पहचान जरूर मिली. 

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इसके बाद स्मृति मुंबई चली गईं जहां शुरुआत में पैसे कमाने के लिए उन्होंने मैकडॉन्लड्स में काम किया. 2001 में वह पारसी व्यापारी जुबिन ईरानी के साथ शादी के बंधन में बंध गईं. ईरानी की प्रोफेशनल जिंदगी में बदलाव तब आया जब उन्हें एकता कपूर का सीरियल मिला. इस सीरियल का नाम था 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी.' इस सीरियल में स्मृति ने तुलसी का किरदार निभाया था जो घर-घर में खूब प्रचलित हुआ. इस सीरियल ने स्मृति को खूब पहचान दिलाई. 2003 में वह अभिनय छोड़कर राजनीति में आ गईं. अब उन्हें राजनीति में आए हुए करीब डेढ़ दशक बीत चुका है. 

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2004 में वह बीजेपी महाराष्ट्र की युवा शाखा की उपाध्यक्ष बनीं. 2004 में ही उन्होंने दिल्ली के चांदनी चौक से कांग्रेस के सीनियर नेता कपिल सिब्बल के खिलाफ चुनाव लड़ा. हालांकि वह यह चुनाव हार गईं. फिर उन्हें बीजेपी की केंद्रीय समिति का एग्जीक्यूटिव मेंबर बनाया गया और 2010 में वह पार्टी की राष्ट्रीय सचिव और महिला विंग की अध्यक्ष बनाई गईं. 2011 में स्मृति को राज्यसभा का सदस्य बनाया गया. 2014 के लोकसभा चुनावों में उनके नाम की चर्चा इसलिए भी तेज हो गई क्योंकि उन्होंने अमेठी में राहुल गांधी के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ा. इस दौरान उन्होंने राहुल को कड़ी टक्कर दी लेकिन वह एक लाख वोटों से हार गईं. राहुल के खिलाफ चुनाव हारने के बावजूद 2014 में उन्हें केंद्र में मानव संसाधन विकास मंत्रालय दिया गया, हालांकि बाद में उन्हें केंद्रीय कपड़ा मंत्री बनाया गया. 2019 के लोकसभा चुनावों में वह एक बार फिर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को अमेठी में कड़ी टक्कर दे रही हैं.

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