यूपी की सियासत में बसपा-सपा गठबंधन में अब भी सीटों को लेकर पेच फंसा है. मायावती की बसपा और अखिलेश यादव की सपा ने भले ही 38-38 सीटों पर यूपी में लोकसभा में चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है, मगर अब भी स्पष्ट नहीं है कि सहयोगी आरएलडी को कितनी सीटें मिलेंगी. हालांकि, RLD और सपा-बसपा गठबंधन पर आज आखिरी फैसला होना है. RLD उपाध्यक्ष जयंत चौधरी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव की लखनऊ में मुलाकात करने वाले हैं, जहां आरएलडी को मिलने वाली सीटों पर से सस्पेंस खत्म हो जाएगा. बताया जा रहा है कि बैठक के बाद अखिलेश यादव और जयंत चौधरी मायावती से मिलने भी जाएंगे. बता दें कि सपा-बसपा गठबंधन में दो सीटें RLD के लिए रखी गई थीं. मुज़फ्फरनगर से अजीत सिंह और बागपत से जयंत चौधरी के लिए दो सीटें रखी गई हैं.
हालांकि, सूत्रों की मानें तो आरएलडी जहां गठबंधन में पांच सीटों की मांग कर रही है, वहीं सपा-बसपा गठबंधन से 2 सीटें मिलने का अनुमान है. RLD ने कैराना, मथुरा और हाथरस की भी सीटें मांगी हैं. मगर हाथरस की सीट बसपा के कोटे में जा चुकी है और मायावती अपने कोटे से RLD को कोई सीट देनें को तैयार नहीं हैं. ऐसे में अखिलेश सपा के कोटे से मथुरा सीट RLD को देने को तैयार हो गये हैं. कैराना की सीट को लेकर पेंच फ़ंसा है. सैद्धांतिक रूप से RLD और सपा-बसपा के साथ गठबंधन के लिए तैयार है. इस पर गठबंधन का औपचारिक ऐलान गुरुवार को ऐलान हो सकता है.
बता दें कि यूपी की राजधानी लखनऊ में संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सपा प्रमुख अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती ने सीटों के बंटवारे पर से सस्पेंस खत्म कर दिया और 38-38 सीटें अपने पास रख लीं. मायावती ने प्रेस कांफ्रेंस में सपा और बसपा दोनों दलों के लिए कुल 80 सीटों में 38-38 सीटें लड़ने का ऐलान किया बाक़ी 2 सीटें सहयोगी दलों और अमेठी और रायबरेली की सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ने की बात कही.
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एनडीटीवी को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, सपा-बसपा गठबंधन में जिन दो सीटों को सहयोगियों के लिए छोड़ा गया है, वे दोनों सीटें चौधरी अजित सिंह की राष्ट्रीय लोकदल के खाते में जाएंगी. दरअसल, 4 जनवरी को दिल्ली में मायावती और अखिलेश की बैठक में RLD को दो सीटें देने का फ़ार्मूला तय हुआ था. ये दो सीटें मुज़फ्फरनगर और बागपत हैं. मुजफ्फरनगर से चौधरी अजीत सिंह और बागपत से जयंत चौधरी प्रत्याशी होंगे. मगर बुधवार को जयंत चौधरी ने अखिलेश यादव से मिलकर कैराना, मथुरा और हाथरस की सीटें भी मांगी. कैराना सीट पर सपा के समर्थन से RLD की उम्मीदवार तब्बसुम हसन उपचुनाव जीती थीं. अखिलेश ने सपा के कोटे से RLD को दो और सीटें देने का भरोसा दिलाया था, पर हाथरस सीट बसपा के कोटे में पहले ही जा चुकी है. हालांकि, कैराना और मथुरा सीट पर आरएलडी के दरवाजे अभी बंद नहीं हुए हैं. दो सीटों पर आरएलडी की अब भी बात बन सकती है.
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सूत्रों की मानें तो अखिलेश यादव जहां आरएलडी को अपने कोटे से सीट देने को तैयार हैं, वहीं मायावती अपने कोटे से RLD को एक भी सीट देनें को तैयार नहीं हैं. बहरहाल, इस महीने की 15 तारीख के बाद अखिलेश और जयंत चौधरी की मुलाक़ात फिर होगी जिसमें टेबल पर बैठ कर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में RLD के साथ तालमेल बैठाने पर चर्चा होगी. वहीं सपा अपने कोटे से एक सीट निषाद पार्टी और एक सीट ओपी राजभर को भी दे सकती है. सपा निषाद पार्टी के संजय निषाद को सपा के सिंबल पर चुनाव लड़ाएगी. ऐसा माना जा रहा है कि सपा ओपी राजभर को साथ लाने की कोशिश बड़े फ़ायदे के लिए कर रही है.
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ऐसा माना जा रहा है कि ओपी राजभर महागठबंधन में आते हैं तो वो अपने साथ अपने चार विधायक भी लाएंगे. ऐसे में चार विधायकों के आने से एक राज्यसभा सीट पर भी दावेदारी होगी. ऐसे में राजभर को सीट देना सपा के लिए फ़ायदे का सौदा है. फ़िलहाल ओपी राजभर बीजेपी के साथ गठबंधन में हैं और लोकसभा चुनाव में अपने लिए दो से ज़्यादा सीटें मांग कर बीजेपी पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
VIDEO: सपा-बसपा के बीच हुआ गठबंधन
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