जन्माष्टमी 2018: ये हैं कृष्‍ण के वो 5 बड़े चमत्‍कार, जिनके आगे नतमस्‍तक हो गया था हर कोई

कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami 2018) 2 सितंबर और 3 सितंबर दोनों ही दिन मनाया जाएगा. इस बार श्रीकृष्‍ण (Lord Krishna) की 5245वीं जयंती है.

जन्माष्टमी 2018: ये हैं कृष्‍ण के वो 5 बड़े चमत्‍कार, जिनके आगे नतमस्‍तक हो गया था हर कोई

कृष्णा जन्माष्टमी 2018: पढ़िए, भगवान श्री कृष्ण के 5 चमत्कार.

कृष्ण जन्माष्टमी (Janmashtami 2018) की तारीख को लेकर लोगों में काफी असमंजस में हैं. इस बार जन्‍माष्‍टमी दो दिन पड़ रही है क्‍योंकि यह त्‍योहार 2 सितंबर और 3 सितंबर दोनों ही दिन मनाया जाएगा. वहीं, वैष्‍णव कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी 3 सितंबर को है. 2 सितंबर यानी कि पहले दिन वाली जन्माष्टमी (Janmashtami 2018) मंदिरों और ब्राह्मणों के घर पर मनाई जाती है. 3 सितंबर यानी कि दूसरे दिन वाली जन्माष्टमी वैष्णव सम्प्रदाय के लोग मनाते हैं. इस बार श्रीकृष्‍ण (Lord Krishna) की 5245वीं जयंती है. भगवान श्री कृष्ण ने कई ऐसे चमत्कार किए, जिसको आज भी सुनाया जाता है. ऐसा ही एक चमत्कार है, जब श्री कृष्ण ने भगवान इंद्र का घमंड तोड़ने के लिए एक लीला रची थी. 

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Janmashtami 2018: गोवद्धन पर्वत को अंगुली पर उठाया

कथा के मुताबिक भगवान इंद्र को अपनी शक्तियों और पद पर घमंड हो गया था जिसे चकनाचूर करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने एक लीला रची. उन्होंने वृंदावन के लोगों को समझाया कि भगवान इंद्र की पूजा छोड़कर गोवर्धन पर्वत की पूजा करें. जिसके बाद भगवान इंद्र गुस्सा हो गए और वृंदावन पर मूसलाधार बारिश की. इंद्र के प्रकोप से बचने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने अपने बाएं हाथ की कनिष्ठ उंगली यानी छोटी उंगली पर पूरे गोवर्धन पर्वत को उठा लिया. लोग पर्वत के नीचे आ गए और खुद को बचा लिया. 7 दिन तक लगातार इंद्र ने वर्षा की लेकिन आखिर में उन्हें अपनी भूल का एहसास हुआ. भगवान इंद्र खुद धरती पर उतरे और श्री कृष्ण से माफी मांगी. 

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  कलिया नाग दमन भगवान कृष्ण के असंख्य कारनामों में से एक है. कालिया सर्प का असली घर रामनका द्वीप था, गरुड़ के भय के कारन वो वहासे अपनी पत्नियों के साथ वृन्दावन में आ बसा. वो यमुना नदी में रहने लगा था. नदी इतनी जहरीली हो गई थी कि पानी से बुलबुले निकलने लगे थे. एक बार कृष्ण अपने दोस्तों के साथ गेंद खेलने गए थे. खेलते-खेलते गेंद नदी में चली गई. श्री कृष्णा कदम्ब के वृक्ष पर से चढ़कर नदी में कूद गए. कलिया नाड अपनी दस भुजासे जहर को बहार निकलता था और कृष्ण के शरीर के चारों ओर से लपेट लिया था. श्री कृष्ण ने कालिया के हर प्रहार का मुकाबला किया और विवश होक कालिया नाग को शरणागति करनी पड़ी. कालिया नाग ने श्री कृष्ण से माफ़ी मांगी और जीवनदान के लिए विनती की.

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कृष्णा जन्माष्टमी 2018: अर्जुन को जब गीता का उपदेश दिया

जब भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को गीता का उपदेश दे रहे हैं, तब उन्होंने ये भी बोला था कि ये उपदेश पहले वे सूर्यदेव को दे चुके हैं. तब अर्जुन ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा था कि सूर्यदेव तो प्राचीन देवता हैं तो आप सूर्यदेव को ये उपदेश पहले कैसे दे सकते हैं. तब श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा था कि तुम्हारे और मेरे पहले बहुत से जन्म हो चुके हैं. तुम उन जन्मों के बारे में नहीं जानते, लेकिन मैं जानता हूं. इस तरह गीता का ज्ञान सर्वप्रथम अर्जुन को नहीं बल्कि सूर्यदेव को प्राप्त हुआ था.
 
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Krishna Janmashtami 2018: माता यशोदा को मुंह खोलकर जब कृष्‍ण ने कराए ब्रह्मांड के दर्शन


भगवान श्री कृष्ण की बाल लीला की कथा है, एक सुबह कृष्ण अपने मित्रों के संग खेल रहे थे. बलराम ने देखा कि कृष्ण ने मिट्टी खा ली है. वे और उनके मित्र मां यशोदा से इसकी शिकायत करने पहुंचे -"जल्दी चलो माँ, कृष्ण मिट्टी खा रहा है." यशोदा माता तुरंत दौड़ कर गईं और कृष्ण का हाथ पकड़कर करीब लाकर पूछा- "क्या तुमने मिट्टी खाई?" कृष्ण ने मां की ओर देखा और मासूमियत से कहा, "नहीं तो! मित्र झूठ बोल रहे हैं. देखो मेरा मुंह, क्या मैंने मिट्टी खाई है?" ऐसा कहकर कृष्ण ने अपना मुंह खोल दिया. माता यशोदा को मिट्टी तो नज़र नहीं आई, इसके स्थान पर कृष्ण के मुंह में यशोदा माता को संपूर्ण ब्रह्मांड के दर्शन हो गए- पर्वत, द्वीप, समुद्र, ग्रह, तारे.सम्पूर्ण सृष्टि दिखाई दी.
 
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Janmashtami 2018: कृष्ण के चमत्कार से बचा द्रौपदी के चीरहरण


महाभारत में द्युतक्रीड़ा के समय युद्धिष्ठिर ने द्रौपदी को दांव पर लगा दिया और दुर्योधन की ओर से मामा शकुनि ने द्रोपदी को जीत लिया. उस समय दुशासन द्रौपदी को बालों से पकड़कर घसीटते हुए सभा में ले आया. देखते ही देखते दुर्योधन के आदेश पर दुशासन ने पूरी सभा के सामने ही द्रौपदी की साड़ी उतारना शुरू कर दी. सभी मौन थे, पांडव भी द्रौपदी की लाज बचाने में असमर्थ हो गए. तब द्रौपदी ने आंखें बंद कर वासुदेव श्रीकृष्ण का आव्हान किया. श्रीकृष्ण उस वक्त सभा में मौजूद नहीं थे. द्रौपदी ने कहा, ''हे गोविंद आज आस्था और अनास्था के बीच जंग है. आज मुझे देखना है कि ईश्वर है कि नहीं''.तब श्री कृष्ण ने सभी के समक्ष एक चमत्कार प्रस्तुत किया और द्रौपदी की साड़ी तब तक लंबी होती गई जब तक की दुशासन बेहोश नहीं हो गया और सभी सन्न नहीं रह गए. सभी को समझ में आ गया कि यह चमत्कार है. 

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