नई दिल्ली: कपिल देव के नेतृत्व में जिस भारतीय क्रिकेट टीम ने 1983 वर्ल्ड कप फ़ाइनल में वेस्ट इंडीज़ को हराकर नया इतिहास बनाया, उसके बारे में आप कितना जानते हैं?
हम आपको बताते हैं वे 15 बातें, जो आप शायद ही जानते हों :-
- भारतीय क्रिकेट टीम 1983 के वर्ल्ड कप के लिए जब रवाना हुई, तो एयर इंडिया ने खिलाड़ियों के सामानों के लिए भारतीय क्रिकेट बोर्ड से अलग से पैसों का भुगतान करवाया था।
- 1983 वर्ल्ड कप के लिए जब टीम इंडिया रवाना हो रही थी तो भारतीय क्रिकेट बोर्ड का केवल एक प्रतिनिधि प्रोफेसर चांदगादकर टीम को रवाना करने पहुंचे थे।
- भारतीय टीम के साथ केवल एक बीसीसीआई अधिकारी टीम मैनेजर के साथ जुड़ा हुआ था। वे थे पीआर मान सिंह।
- टीम इंडिया के साथ ना तो कोई कोच था, ना ही कोई डॉक्टर और ना ही कोई फीजियोथेरेपिस्ट।
- वर्ल्ड कप के दौरान टीम इंडिया की ट्रेनिंग सत्र के दौरान मोहिंदर अमरनाथ ने मुख्य कोच की भूमिका निभाई। उन्होंने ही कपिल देव और सुनील गावस्कर के साथ मिलकर टीम की बल्लेबाज़ी और गेंदबाज़ी क्रम को तय किया।
- जिम्बाब्वे के खिलाफ टीम इंडिया को हार से बचाने के लिए कपिल देव ने नाबाद 175 रनों की पारी खेली। बीबीसी में हड़ताल के चलते कपिल देव की इस यादगार पारी की टीवी रिकॉर्डिंग नहीं हो पाई।
- टीम में मौजूद बाएं हाथ के तेज गेंदबाज़ सुनील वाल्सन को वर्ल्ड कप के दौरान एक भी मैच खेलने का मौका नहीं मिला। वर्ल्ड कप के बाद भी उन्हें कभी वनडे खेलने का मौका नहीं मिल पाया।
- वर्ल्ड कप फाइनल से पहले सट्टा बाज़ार में भारत के पक्ष 66:1 का भाव चल रहा था।
- भारतीय टीम को वर्ल्ड कप जीतने पर 20 हज़ार पाउंड की इनामी रकम मिली थी। भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने इस टीम के लिए कोई इनामी रकम की घोषणा नहीं की।
- मैन ऑफ़ द मैच मोहिंदर अमरनाथ को मैन ऑफ द मैच चुने जाए पर 600 पाउंड मिले थे।
- भारतीय टीम में शामिल प्रत्येक खिलाड़ी को पूरे दौरे के लिए 12,500-12,500 रुपये दिए गए थे।
- बाद में भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने पूरी टीम को दो लाख रुपये इनामी रकम देने की घोषणा की थी, लेकिन सुनील गावस्कर ने इस रकम को टिप्स कहते हुए लेने से इनकार कर दिया था।
- बाद में बॉलीवुड सिंगर लता मंगेशकर ने टीम इंडिया के लिए एक कंसर्ट का आयोजन किया। इससे जुटाए गए पैसों की मदद से टीम के सभी 14 खिलाड़ियों को एक-एक लाख रुपये दिए गए थे।
- हालांकि भारत में वर्ल्ड चैंपियन टीम का जोरदार स्वागत हुआ। वर्ल्ड चैंपियन टीम से तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह भी मिले और बधाई दी।
- मशहूर क्रिकेट इतिहासकार डेविड एडवर्ड फ्रीथ ( विजडन क्रिकेट मंथली के संस्थापक संपादक) ने वर्ल्ड कप से पहले लिखा था कि वर्ल्ड कप जैसे टूर्नामेंट में भारत जैसी टीमों को हिस्सा नहीं लेना चाहिए। बाद में उन्होंने अगले अंक में लिखा था, भारत ने मुझे अपने ही शब्दों को निगलने के लिए मज़बूर कर दिया।