'पद्मावती' विवाद पर सेंसर बोर्ड ने 6 सदस्यों की बनाई कमेटी, जानिए क्या है पूरा मामला

केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) फिल्म 'पद्मावती' की समीक्षा के लिए इतिहासकारों और पूर्व राजघराने की समिति गठित है. इसमें 6 सदस्य होंगे.

'पद्मावती' विवाद पर सेंसर बोर्ड ने 6 सदस्यों की बनाई कमेटी, जानिए क्या है पूरा मामला

खास बातें

  • 'पद्मावती' के लिए सेंसर बोर्ड ने किया कमेटी का गठन
  • कमेटी में इतिहासकार और पूर्व राजघराने के 6 सदस्य भी
  • विवादों की वजह से 'पद्मावती' की रिलीज़ टाल दी गई थी
नई दिल्ली:

केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) फिल्म 'पद्मावती' की समीक्षा के लिए इतिहासकारों और पूर्व राजघराने की समिति गठित है. इसमें 6 सदस्य होंगे. सभी सदस्य फिल्म को लेकर यह फैसला लेंगे कि 'पद्मावती' को रिलीज किया जाए या नहीं. यह फिल्म अगले साल मार्च तक रिलीज होने की संभावना है. प्रमाणन बोर्ड में मौजूद सूत्र ने कहा कि 'पद्मावती' के निर्माताओं ने फिल्म के प्रमाणन के लिए भेजे अपने आवेदन के साथ अस्पष्ट दावापत्र लगाकर मामले को व्यर्थ में जटिल कर दिया. आवेदन में उन्होंने लिखा कि फिल्म आंशिक रूप से ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित है. 

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बता दें कि विवादों की वजह से 1 दिसंबर को रिलीज होने वाली फिल्म 'पद्मावती' को टाल दी गई थी. एक न्यूज एजेंसी के सूत्र के अनुसार अब प्रामाणिकता के लिए सामग्री की छानबीन करनी होगी. फिल्म को पहले निमार्ताओं के पास वापस भेज दिया था, क्योंकि उन्होंने उस कॉलम को रिक्त छोड़ दिया था, जिसमें यह लिखना था कि यह फिल्म काल्पनिक है या ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित है.

सूत्र ने बताया कि सीबीएफसी ने कहा कि 'पद्मावती' को जनवरी में ही प्रमाणित किया जा सकता है, क्योंकि दिसंबर तो लगभग बीत रहा है. 'पद्मावती' से पहले विभिन्न भाषाओं की कम से कम 40 फीचर फिल्में कतार में हैं. सूत्र ने कहा कि वर्ष का अंतिम महीना होने के कारण बोर्ड के कुछ सदस्य छुट्टी पर हैं और कुछ अन्य बीमार हैं.

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सूत्र ने कहा कि फिल्म के जनवरी के दूसरे सप्ताह में प्रमाणित होने की संभावना है. मुझे नहीं लगता कि वे मार्च या अप्रैल से पहले फिल्म को रिलीज कर सकेंगे. यह भी तब होगा, जब सीबीएफसी फिल्म को बिना किसी आपत्ति के प्रमाणित कर दे. हिमाचल प्रदेश और गुजरात चुनाव से ठीक पहले 'पद्मावती' पर राजपूत संगठनों ने इसके खिलाफ आंदोलन तेज कर दिया था. यह मुद्दा उठाने से राजपूत वोट मिलने की संभावना देख भाजपा भी इस आंदोलन में कूद पड़ी. भाजपा हालांकि खुद को जाति की राजनीति न करने का दावा करती है.

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(इनपुट आईएएनएस से)

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