मुंबई : भोजपुरी फिल्मों में अश्लीलता का विरोध, कड़ा कानून लाने की मांग

भोजपुरी फिल्मों में बढ़ती अश्लीलता पर पूर्वांचल विकास प्रतिष्ठान ने नाराजगी जाहिर की, मुंबई में हुई सभा में महाराष्ट्र डांस बार एक्ट की तरह कड़ा कानून लाने की मांग की गई

मुंबई : भोजपुरी फिल्मों में अश्लीलता का विरोध, कड़ा कानून लाने की मांग

भोजपुरी फिल्मों में अश्लीलता के विरोध में मुंबई में पूर्वांचल विकास प्रतिष्ठान ने सभा आयोजित की.

खास बातें

  • यूपी, बिहार और झारखंड के मुख्यमंत्रियों से कड़ा कानून बनाने की मांग
  • अश्लीलता के विरोध में महाराष्ट्र के दो पूर्व मंत्री भी आगे आए
  • 26 अगस्त को बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में आयोजित होगी जनसभा
मुंबई:

भोजपुरी फिल्मों में बढ़ती अश्लीलता, द्विअर्थी गीत और संवादों का विरोध शुरू हो गया है. इसको लेकर पूर्वांचल विकास प्रतिष्ठान ने नाराजगी जाहिर की है. मुंबई में हुई एक सभा में भोजपुरी इंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में छाई अश्लीलता को रोकने के लिए महाराष्ट्र डांस बार एक्ट की तरह एक कड़ा कानून लाने की मांग की गई. 

पूर्वांचल विकास प्रतिष्ठान के सर्वेश सिंह ने बताया कि मुंबई के मलाड उपनगरीय इलाके के नवजीवन हाई स्कूल में एक सभा का आयोजन किया गया. पूर्वांचल विकास प्रतिष्ठान ने यह सभा बुलाई थी, जो कि पूर्वांचल में आर्थिक-औद्योगिक विकास और सांस्कृतिक बदलाव लाने के काम में जुटा है. सभा में फैसला लिया गया कि उत्तर प्रदेश और बिहार सहित झारखंड के मुख्यमंत्री से मांग की जाएगी कि भोजपुरी इंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में छाई अश्लीलता को रोकने के लिए महाराष्ट्र डांस बार एक्ट की तरह एक कड़ा कानून लाया जाए. 

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उन्होंने बताया कि सभा में मुख्यमंत्रियों को दिए जाने वाले कड़ा कानून लाने के प्रतिवेदन पर विचार किया गया. सभा में जानकारी दी गई कि अश्लीलता को रोकने के लिए पूर्वांचल में जनसभाएं आयोजित करके ज्ञापन पर 10 लाख से अधिक लोगों के दस्तखत कराने का काम शुरू कर दिया गया है. अगले तीन माह में 20 से अधिक जनसभाएं आयोजित की जाएंगी. सेंसर बोर्ड से भी मांग की जा रही है कि भोजपुरी फिल्मों के लिए सेंसर के नियम कड़े किए जाएं और 'ए' सर्टिफिकेट की फ़िल्में पास न की जाएं.   

 
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पूर्वांचल विकास प्रतिष्ठान के सचिव व वरिष्ठ पत्रकार ओम प्रकाश ने सभा में कहा कि  ``दुनिया की सबसे मीठी बोली इन दिनों अश्लीलता का पर्याय बन गई है. मर गए वे रोपनी-बोवनी - कटनी के गीत,  खो गए कजरी और फाग, लुप्त हो गई विद्यापति और भिखारी ठाकुर की परंपरा..रामलीला और रासलीला भी ऑर्केस्ट्रा के नीचे दब रहे हैं. भाषा-साहित्य, रहन-सहन, परंपरा, नैतिकता, मर्यादा  सभी पर बुरा असर पड़ रहा है. प्रदर्शनकारी कलाओं की हमारी बहुत विशाल धरोहर भी ख़त्म हो रही है. औरतों की गरिमा,मान-मर्यादा , सुरक्षा सब पर खतरा है. भूलने की बात है कि डेढ़ -दो साल की बच्चियों तक से बलात्कार की खबरें सामने आती हैं? बच्चे, युवा, किशोर यौन अपराधों में लिप्त पाए जाते हैं? अश्लीलता ने लैंगिक समता, समानता, संवेदीकरण आदि की सारी संवैधानिक संकल्पनाओं को खा लिया है. पूर्वांचल के कुछ क्षेत्र पहले से अश्लीलता प्रभावित रहे हैं. इस आंधी ने उसे तूफ़ान में बदल दिया है. आईपीसी और पुलिस एक्ट में अश्लीलता रोकने के कुछ फौरी प्रावधान हैं, लेकिन प्रशासन उन पर समुचित अमल नहीं कर रहा है.'' 

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सभा को सम्बोधित करते हुए महाराष्ट्र के पूर्व गृह राज्यमंत्री कृपाशंकर सिंह ने कहा ``चुप रहने का वक्त नहीं है. अश्लीलता मानवीय मूल्यों और मानवीय संवेदना के खिलाफ है. इसे रोकने के लिए सरकार और समाज दोनों को आगे आना होगा.''  पद्मश्री शोमा घोष ने कहा ``यौन कुंठा की अभिव्यक्ति हो रही है. महिलाओं पर नए सिरे से हमला किया जा रहा है और बच्चों का भी भविष्य खराब किया जा रहा है. पूर्व मंत्री चंद्रकांत त्रिपाठी ने कहा ``फूहड़ता की पराकाष्ठा हो गई है. संस्कार खत्म हो रहे हैं. आंखों की शर्म खत्म हो रही है. इसका प्रतिकार किया जाना चाहिए.''  इसके अलावा एनसीपी माइनॉरिटी सेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद जलालुद्दीन, फिल्म पत्रकार सरिता सिंह, भाजपा नेता सुमिता सुमन सिंह, 

उत्तर क्षेत्रीय महिला मंच की उपाध्यक्ष सुनीता सिंह, अधिवक्ता राकेश सिंह, मुंबई कांग्रेस के उपाध्यक्ष जयप्रकाश सिंह, अभिनेता कुणाल और विधायक प्रकाश सुर्वे ने भी सभा को संबधित किया. 

VIDEO : भोजपुरी फिल्म के विरोध में तोड़फोड़

सर्वेश सिंह ने बताया कि संस्था ने मांग का प्रतिवेदन महाराष्ट्र की महिला व बाल विकास मंत्री विद्या ठाकुर, यूपी, बिहार और झारखंड के मुख्यमंत्रियों, केंद्रीय गृहमंत्री समेत सूचना प्रसारण राज्यमंत्री और सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष को भेजे हैं. इन प्रतिवेदनों पर दस हजार लोगों के दस्तखत हैं. पूर्वांचल विकास प्रतिष्ठान की अगली जनसभा 26 अगस्त को बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में आयोजित की जाएगी.

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