
फाइल फोटो
नई दिल्ली:
सीलिंग मामले में दिल्ली में अतिक्रमण व अवैध निर्माण पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एसटीएफ
पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि स्पेशल टास्क फोर्स को इतने अधिकार दिए फिर भी हमे नतीजा नहीं मिल रहा है. लगता है कि फोर्स भी किसी के दबाव में काम कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सड़कों के दोनों ओर किए गए अतिक्रमण को सीधा नापा जाए तो दिल्ली से कन्याकुमारी तक की दूरी तय हो जाएगी.
यह भी पढ़ें: दिल्ली : अवैध निर्माण की सीलिंग में रोड़ा डालने वालों को सीधे तिहाड़ जेल भेज देगा सुप्रीम कोर्ट
वहीं, अमिक्स क्यूरी अपर्णा भट्ट की रिपोर्ट पर कोर्ट ने कहा कि इसका मतलब तो चप्पे-चप्पे पर अतिक्रमण है. फुटपाथों और सड़कों पर अतिक्रमण से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये कितनी गंभीर समस्या है, क्या सरकार नहीं समझ रही है. अथॉरिटी कोई भी काम नहीं कर रही है. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि मॉनीटरिंग कमेटी घर-घर जाकर ये तो पूछ नहीं सकती कि किसने अतिक्रमण किया है और किसने नहीं.
यह भी पढ़ें: दिल्ली में अवैध निर्माण और सीलिंग के मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई छह माह टली
मामले पर सरकार ने कहा कि कम से कम जिन लोगों ने अवैध निर्माण किया है, उनको 2 से 3 दिन पहले नोटिस तो दिया ही जाना चाहिए. हालांकि एसटीएफ की तरफ से कहा गया कि 2208 किमी के एरिया से अतिक्रमण पर कार्रवाई कर उसको हटा दिया गया है, लेकिन अभी भी एक हजार किमी के एरिया पर अतिक्रमण है.
VIDEO: मंदिर पर भी सीलिंग की तलवार
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने फॉरेस्ट और वाटर लैंड एरिया पर भी अतिक्रमण पर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है. मामले की अगली सुनवाई 12 सिंतंबर को होगी.
पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि स्पेशल टास्क फोर्स को इतने अधिकार दिए फिर भी हमे नतीजा नहीं मिल रहा है. लगता है कि फोर्स भी किसी के दबाव में काम कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सड़कों के दोनों ओर किए गए अतिक्रमण को सीधा नापा जाए तो दिल्ली से कन्याकुमारी तक की दूरी तय हो जाएगी.
यह भी पढ़ें: दिल्ली : अवैध निर्माण की सीलिंग में रोड़ा डालने वालों को सीधे तिहाड़ जेल भेज देगा सुप्रीम कोर्ट
वहीं, अमिक्स क्यूरी अपर्णा भट्ट की रिपोर्ट पर कोर्ट ने कहा कि इसका मतलब तो चप्पे-चप्पे पर अतिक्रमण है. फुटपाथों और सड़कों पर अतिक्रमण से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये कितनी गंभीर समस्या है, क्या सरकार नहीं समझ रही है. अथॉरिटी कोई भी काम नहीं कर रही है. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि मॉनीटरिंग कमेटी घर-घर जाकर ये तो पूछ नहीं सकती कि किसने अतिक्रमण किया है और किसने नहीं.
यह भी पढ़ें: दिल्ली में अवैध निर्माण और सीलिंग के मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई छह माह टली
मामले पर सरकार ने कहा कि कम से कम जिन लोगों ने अवैध निर्माण किया है, उनको 2 से 3 दिन पहले नोटिस तो दिया ही जाना चाहिए. हालांकि एसटीएफ की तरफ से कहा गया कि 2208 किमी के एरिया से अतिक्रमण पर कार्रवाई कर उसको हटा दिया गया है, लेकिन अभी भी एक हजार किमी के एरिया पर अतिक्रमण है.
VIDEO: मंदिर पर भी सीलिंग की तलवार
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने फॉरेस्ट और वाटर लैंड एरिया पर भी अतिक्रमण पर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है. मामले की अगली सुनवाई 12 सिंतंबर को होगी.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं