‘शुभ मंगल सावधान’ पर आयुष्मान खुराना बोले, ऐसी कोई फिल्म नहीं करूंगा जिससे मेरे परिवार को दिक्कत हो

‘शुभ मंगल सावधान’ में आयुष्मान खुराना और भूमि पेडनेकर की जोड़ी फिर से लौट रही है, और वह भी देसी अंदाज में

‘शुभ मंगल सावधान’ पर आयुष्मान खुराना बोले, ऐसी कोई फिल्म नहीं करूंगा जिससे मेरे परिवार को दिक्कत हो

आयुष्मान खुराना

खास बातें

  • पहली सितंबर को रही है रिलीज
  • चंडीगढ़ के रहने वाले हैं आयुष्मान
  • विकी डोनर थी पहली फिल्म
नई दिल्ली:

आयुष्मान खुराना हमेशा कम बजट फिल्मों के साथ गहरा असर डालने में कामयाब रहते हैं. फिर वह ‘विकी डोनर’ हो या फिर ‘दम लगा के हईशा’, या दो हफ्ते पहले रिलीज हुई ‘बरेली की बर्फी’. अब वे ‘शुभ मंगल सावधान’ लेकर आ रहे हैं, जिसमें वे मर्दों वाली समस्या की बात कर रहे हैं. छोटे शहरों की कहानियों के जरिये वे न सिर्फ गहरे तक दिलों को छू रहे हैं बल्कि प्रोड्यूसर और डायरेक्टर के लिए फायदे का सौदा भी साबित हो रहे हैं. ‘शुभ मंगल सावधान’ में वे एक बार फिर भूमि पेडनेकर के साथ नजर आएंगे. इससे पहल दोनों की जोड़ी ‘दम लगा के हईशा’ में दिखी थी. फिल्म और करियर को लेकर आयुष्मान खुराना से एनडीटीवी की हुई खास बातचीत के प्रमुख अंशः

हर बार मर्दों वाली समस्या (स्पर्म डोनर-विकी डोनर और ओवरवेट बीवी-दम लगा के हईशा) पर ही फिल्म क्यों करते हैं?
आजकल के दौर में इस तरह की बातें कहना जरूरी हैं. वैसे ये ऐसी समस्याएं हैं जो हमारे ईर्द-गिर्द ही हैं. स्पर्म डोनेट तो मैंने खुद कर रखा है. यह बात 2004 की है, मैं कॉलेज में था, और इलाहाबाद में किया था. फिर ओवरवेट बीवी वाला किस्सा तो कितने दोस्त या लोग शेयर कर चुके हैं. अब हम ‘शुभ मंगल सावधान’ की बात करें तो मेल परफॉर्मेंस एंजाइटी (Male Performance Anxiety) से जुड़ी फिल्म है. यह ऐसा टॉपिक है, जिस पर कोई बात नहीं करना चाहता. लेकिन ये विषय लोगों को एक्साइट करते हैं.

Video: आयुष्मान खुराना से खास मुलाकात



जब आपने ‘शुभ मंगल सावधान’ के सब्जेक्ट को सुना तो पहला रिएक्शन क्या था?
रिएक्शन तो अच्छा ही था. कहानी मैंने 2013 में सुनी थी. विषय सुनकर ही अच्छा लगा था. हमारा पुरुष प्रधान समाज है. यहां इस तरह की बातें नहीं की जाती हैं. लेकिन औरतों के बीच इस तरह की बातें होती रहती हैं, और वह बहुत कॉमन है. यह अनटच टॉपिक है, जिसके बारे में अब तक बात नहीं की गई है.

इस कैरेक्टर के लिए आपको किस तरह की तैयारी करनी पड़ी?
आपको बताया ‘विकी डोनर’ और ‘दम लगा के हईशा’ के कैरेक्टर्स से मैं किसी न किसी तरह जुड़ा हुआ था. यह कैरेक्टर मेरे लिए एकदम नया था क्योंकि मैं यंग हूं और इस तरह की सिचुएशन से गुजरा नहीं हूं. ऐसे में यह कैरेक्टर और भी चैलेंजिंग हो जाता है. आप ऐसी चीजों पर जोक कर सकते हैं, लेकिन नजरअंदाज नहीं कर सकते. इन्हें गंभीरता से लेना चाहिए.

इस तरह के रोल करते हैं, तो घरवाले कैसे रिएक्ट करते हैं?
मैं कोई ऐसी फिल्म नहीं करूंगा जिससे मेरे घरवालों को दिक्कत हो. यह एक फनी फिल्म है. पारिवारिक फिल्म है. इस फिल्म के बाद मेल परफॉर्मेंस एंजाइटी के बारे में उसी तरह बात की जाएगी जैसे सिरदर्द और वायरल की.

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इस मर्दों वाली समस्या के बारे में आपका क्या कहना है?
इस तरह की समस्या किसी के भी साथ हो सकती है. इसे नॉर्मल बात की तरह लेना चाहिए. इलाज करवाना चाहिए क्योंकि यह मानसिक और शारीरिक दोनों ही वजहों से हो सकती है. फिल्म में हमने दिखाया है कि बाबा या जड़ी-बूटी के भ्रम में नहीं पड़ना चाहिए.

आपकी भूमि के साथ कैमिस्ट्री खूब जमती है, इस बारे मे क्या कहना है?
हम दोनों की पिछली फिल्म भूमि की टॉयलेट... और मेरी बरेली को दर्शकों ने पसंद किया है. इस तरह हमारी जोड़ी के लिए यह पॉजिटिव बात है. हम दोनों ने कैरेक्टर्स की डिमांड के हिसाब से काम किया है.

छोटे शहर के लड़के के किरदार में आप फिट बैठ जाते हैं, कैसे?
मैं चंडीगढ़ से हूं लेकिन थिएटर से जुड़ा रहा इसलिए पूरे भारत भर में घूम चुका हूं. हर छोटे-बड़े शहर में गया हूं तो इस तरह मैं चीजें सीखता रहा. मैं वीजे भी रहा तो उसक जरिये मुझे शहरी भारत के बारे में जानने का मौका मिला. मैंने बहुत जल्दी शुरुआत कर दी थी, उसका फायदा मिला.

आज कंटेंट हीरो हो गया है, क्या कहना आपका?
आज हम बहुत ही अहम दौर से गुजर रहे हैं. मनोरंजन पर हर किसी की आसान पहुंच है. टीवी और इंटरनेट के जरिये यह हर वक्त और हर जगह उपलब्ध है. ऐसे में कुछ नया करने का दबाव है. जब तक कुछ नया नहीं होगा, चीजें आगे नहीं बढ़ेंगी. इसलिए नई तरह की कहानियां और मजबूत कंटेंट पर फोकस हो रहा है.


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