जब आरक्षण के आंदोलन में झुलसे राज्य, ये हैं देश के 5 हिंसक आंदोलन

देश में जाट, गुर्जर, पाटीदार और कापू समुदाय आदि भी आरक्षण को लेकर उग्र प्रदर्शन कर चुके हैं. जिसमें बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान हुआ है.

जब आरक्षण के आंदोलन में झुलसे राज्य, ये हैं देश के 5 हिंसक आंदोलन

मराठा आंदोलन की आग तेजी से फैल रही है. पहले भी देश में आरक्षण के लिए हिंसक आंदोलन हो चुके हैं.

नई दिल्ली :

महाराष्ट्र में आरक्षण की मांग को लेकर मराठा आंदोलन तेज हो गया है. मराठा मोर्चा ने आज मुंबई बंद बुलाया है. एहतियातन कई जगह स्कूल आदि बंद हैं. मुंबई समेत दूसरे इलाक़ों में बंद को देखते हुए कड़े सुरक्षा बंदोबस्त किए गए हैं. चप्पे-चप्पे पर पुलिस की तैनाती की गई है, ताकि कोई अप्रिय घटना न हो. हालांकि अभी तक आंदोलन की भेंट दो जिंदगियां चढ़ चुकी हैं. यह पहली बार नहीं है जब देश में आरक्षण की मांग को लेकर उग्र आंदोलन हुआ हो. इससे पहले भी जाट, गुर्जर, पाटीदार और कापू समुदाय आदि भी आरक्षण को लेकर उग्र प्रदर्शन कर चुके हैं. जिसमें बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान हुआ है. ये हैं आरक्षण को लेकर हुए 5 हिंसक आंदोलन. 

1. जाट आंदोलन से सिहर गया था देश, उतारनी पड़ी थी सेना 
दो साल पहले हरियाणा में जाट आरक्षण की मांग को लेकर हुए हिंसक आंदोलन को देश अबतक नहीं भूला है. फरवरी 2016 में शुरू हुए इस आंदोलन हरियाणा के अधिकतर हिस्सों को हिंसा की आग में झोंक दिया था. लोगों की दुकानें लूटी गईं, गाड़ियों में आग लगाई गई, राहगीरों से मारपीट हुई, लोगों को मौत के घाट उतारा गया. यहां तक कि आंदोलनकारियों ने मुरथल में 10 महिलाओं के साथ कथित रूप से बदसलूकी और गैंगरेप की वारदात को अंजाम दिया. जाट आंदोलन की आग इतनी तेज थी कि हरियाणा के तमाम हिस्से करीब-करीब देश के दूसरे हिस्सों से कटने लगे. रेल और बस सेवाएं ठप हो गईं. हरियाणा के पड़ोसी राज्यों पंजाब, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान में भी आंदोलन की आग में जलने लगा और इसके बाद केंद्र सरकार को इस आग को बुझाने के लिए सेना उतारनी पड़ी. करीब 15 दिनों बाद जब आंदोलन थमा तबतक राज्य को 34 हजार करोड़ रुपयों का नुकसान हो चुका था.
 

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जाट आंदोलन के दौरान बड़े पैमान पर संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया था. (फाइल फोटो) 
 
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2. गुर्जर आंदोलन की आग में झुलसता रहा है देश 
आरक्षण की मांग के लिए गुर्जर आंदोलन का अपना इतिहास रहा है. साल 2006 में पहली बार गुर्जर आंदोलन सुर्खियों में आया. 2007 में चले आंदोलन में 23 मार्च को पुलिस कार्रवाई में 26 लोग मारे गए. फिर अगले साल यानी 2008 में ये आंदोलन फिर से चल पड़ा. दौसा से भरतपुर तक पटरियों और सड़कों पर बैठे गुर्जरों ने रास्ता रोक दिया और देश के अन्य हिस्सों से राज्य का संपर्क टूटने लगा. इसके बाद पुलिस से झड़प में 38 लोग मारे गए. इस बीच गुर्जर आंदोलन छिट-पुट चलता रहा और पांच प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर मई 2015 में एक बार फिर आंदोलन शुरू हुआ और यह उग्र हो गया. आंदोलनकारी सड़क पर उतर आए. गाड़ियों में आग लगाई जाने लगी. रेल की पटरियां उखाड़ दी गईं और रेलवे ट्रैक पर कब्जा कर लिया गया. करीब सप्ताह पर चले आंदोलन के दौरान जमकर तांडव हुआ. इस दौरान रेलवे को अकेले 200 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ. 
 
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आरक्षण की मांग को लेकर गुर्जर समुदाय के लोग रेलवे की पटरियों पर बैठ गए थे. (फाइल फोटो) 

3. पाटीदार आंदोलन से मचा सियासी उथल-पुथल 
जुलाई 2015 में गुजरात में हुए पाटीदार आंदोलन को लोग अभी तक नहीं भूले हैं. पटेल समुदाय को आरक्षण की मांग को लेकर राज्य में दो दशक से ज्यादा समय से चल रहे पाटीदार आरक्षण आंदोलन ने जुलाई 2015 में उग्र रूप धारण कर लिया. हार्दिक पटेल के नेतृत्व में शुरू हुए इस आंदोलन ने राज्य में हलचल मचा दी. हार्दिक पटेल की अगुवाई में राज्य के तमाम हिस्सों में पाटीदार समुदाय से ताल्लुक रखने वाले युवा सड़क पर आ गए. धीरे-धीरे आंदोलन की आग तेज होने लगी. विसनगर में प्रदर्शन के दौरान एक भाजपा विधायक के कार्यालय में आग लगा दी गई. गाड़ियां फूंकी गईं. करीब दो महीने तक चले इस आंदोलन की आंच पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र तक पड़ी. करीब दो महीने के बाद जब आंदोलन शांत हुआ तबतक करोड़ों रुपये इसकी भेंट चढ़ चुके थे.
 
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पाटीदार आंदोलन के दौरान गुजरात में तमाम गाड़ियों को अाग के हवाले कर दिया गया था.  (फाइल फोटो) 

4. आरक्षण के आंदोलन में सुलगा है दक्षिण भारत 
आरक्षण की आग में सिर्फ उत्तर भारत ही नहीं, दक्षिण के राज्य भी झुलसते रहे हैं. आंध्र प्रदेश में कापू समुदाय की आरक्षण की मांग काफी पुरानी है और वे लगातार ओबीसी के तहत आरक्षण की मांग करते रहे हैं. फरवरी 2016 में कापू आरक्षण आंदोलन की मांग उग्र और हिंसक हो गई थी. प्रदर्शनकारियों ने पूर्वी गोदावरी जिले के तुनी रेलवे स्टेशन पर रत्नाचल एक्सप्रेस के चार डिब्बों में आग लगा दी. इससे ट्रेनों की आवाजाही बाधित हो गई है. सड़कों पर बस सेवाएं ठप कर दी गईं, राहगीरों की गाड़ियों को तो नुकसान पहुंचाया ही गया, पुलिस वाहनों में भी आग लगाई गई. प्रदर्शनकारी और पुलिस के बीच हिंसक झड़प में सैकड़ों लोग घायल हुए. इस आंदोलन में भी करोड़ों रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ.

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5. और अब फिर हिंसक हो गया है मराठा आंदोलन 
महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर लंबे समय से चल रहा आंदोलन एक बार फिर शुरू हो गया है और यह हिंसक रूप धारण करता जा रहा है. मुंबई समेत दूसरे इलाक़ों में बंद को देखते हुए कड़े सुरक्षा बंदोबस्त किए गए हैं. चप्पे-चप्पे पर पुलिस की तैनाती की गई है. अभी तक आंदोलन की भेंट दो जिंदगियां चढ़ चुकी हैं. एक आंदोलनकारी ने खुदकशी कर ली थी, जबकि पथराव में एक कॉन्स्टेबल की मौत हो चुकी है. दो और आंदोलनकारी खुदकशी का प्रयास कर चुके हैं. आंदोलनकारियों ने कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया. कई जगह चक्का जाम भी हुआ है और कई गाड़ियों में तोड़-फोड़ की गई. आंदोलनकारियों ने सिर मुंडाकर अपना विरोध जताया. मराठा मोर्चा ने आने वाले दिनों आंदोलन और तेज करने की धमकी दी है. 

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VIDEO: महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की आग


 

 

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