सेना प्रमुख बिपिन रावत ने पाकिस्तान को चेताया- भारत के साथ मिलकर रहना है तो धर्मनिरपेक्ष देश बनना होगा

जरनल रावत ने कहा, 'पाकिस्तान ने खुद को इस्लामिक देश बना लिया है. अगर उन्हें भारत के साथ मिलकर रहना होगा, तो उन्हें धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के तौर पर विकसित होना होगा. हम एक धर्मनिरपेक्ष देश हैं.'

सेना प्रमुख बिपिन रावत ने पाकिस्तान को चेताया- भारत के साथ मिलकर रहना है तो धर्मनिरपेक्ष देश बनना होगा

भारतीय थलसेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत.

खास बातें

  • 'पाकिस्तान ने खुद को इस्लामिक देश बना लिया'
  • 'पाकिस्तान की बातों में है विरोधाभास'
  • 'हमारी नीति आतंक-बातचीत साथ-साथ नहीं'
नई दिल्ली:

भारतीय थलसेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने शुक्रवार को पाकिस्तान को चेताया है. पाकिस्तान को चेताते हुए उन्होंने कहा कि अगर भारत के साथ मिलकर रहना है तो उसे धर्मनिरपेक्ष देश बनना होगा. जरनल रावत ने कहा, 'पाकिस्तान ने खुद को इस्लामिक देश बना लिया है. अगर उन्हें भारत के साथ मिलकर रहना होगा, तो उन्हें धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के तौर पर विकसित होना होगा. हम एक धर्मनिरपेक्ष देश हैं. यदि वे हमारी तरह धर्मनिरपेक्ष बनना चाहते हैं, तभी उनके पास कोई अवसर हो सकता है.'

इसके साथ ही उन्होंने कहा, 'वे (पाकिस्तान) कह रहे हैं कि आप एक कदम बढ़ाइए, हम दो कदम बढ़ाएंगे. जो वे कह रहे हैं, उसमें विरोधाभास है. उनकी तरफ से उठने वाला एक कदम भी सकारात्मक तरीके से उठाया जाना चाहिए, हम देखेंगे कि उसका जमीनी रूप से कोई असर पड़ा है या नहीं. तब तक हमारे देश की नीति कतई स्पष्ट है- आतंक और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते.'

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इसके अलावा सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने सेना में महिलाओं की भूमिका के बारे में भी बात कही. उन्होंने कहा, 'आप देखेंगे कि सशस्त्र बलों में महिलाओं की भूमिका बढ़ रही है. हम अब तक उन्हें फ्रंट-लाइन कॉम्बैट की भूमिका में नहीं लाए हैं, क्योंकि हमारा मानना है कि हम फिलहाल तैयार नहीं हैं. पश्चिमी देशों का माहौल ज्यादा खुला है. बड़े शहरों में यहां भी लड़के और लड़कियां एक साथ काम कर रहे हैं, लेकिन सेना में लोग सिर्फ बड़े शहरों से नहीं आते हैं.'

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साथ ही कहा, 'विचार कर रहे हैं कि महिलाओं को स्थायी रूप से कमीशन किया जा सके. कुछ क्षेत्रों में, जहां स्थायी नियुक्तियों की ज़रूरत है, और कमांड-ओरिएंटेड सेना में पुरुष अधिकारी हर स्थान पर फिट नहीं हो पाते हैं. भाषा अनुवादक, सैन्य कूटनीति जैसे क्षेत्रों में महिला अधिकारियों को रखना लाभदायक हो सकता है.'

(इनपुट- एएनआई)

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